Health-and-Nutrition/C2/Essential-nutrition-actions-for-young-children/Hindi

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Narration
00:00 शिशुओं के लिए जरूरी पोषण क्रियाओं पर बने स्पोकन ट्यूटोरियल में  आपका स्वागत है।
00:07 इस ट्यूटोरियल में हम कुपोषण को रोकने के सही तरीकों के बारे में जानेंगे।
00:15 जरूरी पोषण क्रियाएं कुपोषण को हटाने के लिए उठाये गए कदम हैं।
00:21 पहले 1,000 दिनों के समय इनकी जरूरत होती है।
00:26 गर्भधारण से लेकर शिशु के दूसरे जन्मदिन तक को पहले 1,000 दिन कहते हैं।
00:34 जरूरी पोषण क्रियाों को ईएनए' के नाम से भी जाना जाता है।
00:39 पैदा हुए शिशु के लिए, सबसे पहला ईएनए' जो किया जाता है, वो है गर्भनाल को दबा कर बंद करने में देरी ।
00:47 शिशु के पैदा होने के तुरंत बाद गर्भनाल को नहीं काटना चाहिए।
00:53 नर्स को सबसे पहले गर्भनाल की धड़कन को महसूस करना चाहिए।
00:58 जब धड़कन बंद हो जाए तो ही नाल को काटना चाहिए।
01:02 नाल को कुछ देर के बाद बंद करने से गर्भनाल और शिशु के बीच रक्त का प्रवाह होने लगता है।
01:09 इससे, पहले 6 महीनों तक के लिए शिशु में आयरन की मात्रा बेहतर होती है।
01:16 ऐसा करने से इन महीनों में शिशुओं में एनीमिया से बचाव होता है।
01:21 गर्भनाल को दबाने के बाद शिशु को स्तनपान कराना चाहिए।
01:26 ऐसा करने के लिए, शिशु को मां के बिना कपड़े ओढ़े हुए पेट पर रखना चाहिए।
01:32 शिशु पैदाइश से ही स्वाभाविक रूप से स्तनपान करना जानता है ।
01:38 इस स्‍वभाव से वह माँ के स्तन को ढूंढ सकता है ।
01:41 और दूध पीना शुरू कर सकता है।
01:45 इस पूरे प्रक्रिया को ब्रेस्ट क्रॉल कहते हैं।
01:50 एक अन्य ट्यूटोरियल में ब्रेस्ट क्रॉल के बारे में ज़्यादा बताया गया है।
01:55 उस ट्यूटोरियल के लिए हमारी वेबसाइट पर जाएँ।
01:59 शिशु के पैदा होने के एक घंटे के अंदर ही स्तनपान शुरू कराना बहुत जरूरी है।
02:06 पहले दूध को कोलोस्ट्रम कहते हैं।
02:09 नवजात शिशु के लिए यह पोषक तत्वों का सबसे पहला स्रोत है।
02:14 कोलोस्ट्रम में बीमारियों से लड़ने वाले तत्व और अच्छे फैट होते हैं।
02:20 मां का दूध शिशु के लिए विटामिन ए का पहला स्रोत भी होता है।
02:26 विटामिन ए स्वस्थ आंखों और रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए बहुत जरूरी है।
02:33 मां का दूध पहले 6 महीनों के लिए विटामिन ए की जरूरत को पूरा करने के लिए काफी है।
02:40 6 महीने के बाद विटामिन ए से भरपूर पूरक आहार देना चाहिए।
02:47 असरदार स्तनपान के लिए, स्तन पर शिशु के मुँह की सही पकड़ सबसे जरूरी है।
02:52 शिशु के मुंह का, स्तन पर गलत जुड़ाव होने की वजह से निप्पल से स्तनपान होगा ।
03:00 इससे शिशु को बहुत कम दूध मिलेगा।
03:04 शिशु का मुंह एरीओला के निचले हिस्से से जुड़ा होना चाहिए।
03:09 इससे शिशु को काफी दूध मिलेगा।
03:13 एरीओला, निप्पल के आसपास का काला भाग है।
03:18 स्तनपान के सही तकनीकों के बारे में अन्य ट्यूटोरियल में बताया गया है।
03:22 6 महीने पूरे होने पर शिशु की पोषक तत्वों की जरूरत तेजी से बढ़ जाती है।
03:29 इस दौरान सिर्फ स्तनपान काफी नहीं होता।
03:34 ऐसे में, स्तनपान के साथ पूरक आहार भी शिशु को खिलाना चाहिए।
03:40 जैसे ही शिशु 6 महीने पूरे कर ले, पूरक आहार शुरू कर दें ।
03:46 6 महीने की उम्र का मतलब शिशु के जीवन के छठे महीने की शुरुआत नहीं है।
03:53 इसका मतलब है कि उसने 6 महीने पूरे कर लिए हैं और अपने जीवन का सातवां महीना शुरू कर दिया है।
04:02 साथ ही उम्र के हिसाब से खाने की मात्रा और गाढ़ापन भी बदलते रहना चाहिए।
04:10 शिशु के खाने में अलग-अलग खाने के समूहों की चीज़े होनी चाहिए।
04:15 खाने के समूहों में पहला है स्तनपान ।
04:19 दूसरा अनाज, जड़ और कंद हैं।
04:24 तीसरा फलियां, बीज और दाने हैं।
04:30 चौथा है दूध से बनी चीज़ें।
04:34 पांचवा मांस, मछली और मुर्गी है।
04:38 छठा समूह है अंडा ।
04:41 सातवां विटामिन ए से भरपूर फल और सब्‍जी हैं।
04:47 आठवां हैं बाकी के सभी फल और सब्जियां ।
04:53 शिशु के खाने में इन सभी आठ खाने के समूहों की चीज़े होनी चाहिए।
04:59 इन खानों के पोषक तत्वों से शिशु के विकास में मदद मिलती है ।
05:05 पूरक आहार के बारे में एक अन्य ट्यूटोरियल में विस्तार से बताया गया है।
05:11 आइए अब उन परिपोषक के बारे में जानते हैं जो शिशुओं को देनी चाहिए।
05:16 छह महीने से 5 साल तक के शिशु को आयरन-फोलिक एसिड परिपोषक देना चाहिए।
05:23 स्वास्थ्य सेवक को इसे सप्‍ताह में दो बार शिशुओं को देना होता है।
05:29 विटामिन ए परिपोषक साल में दो बार दी जानी चाहिए।
05:34 यह परिपोषक 9 महीने से 5 साल की उम्र तक दिया जाता है।
05:40 परिपोषक स्वास्थ्य कर्मी के सलाह से ही देना चाहिए ।
05:46 अब हम दस्त लगे हुए शिशु के इलाज के लिए ईएनए देखेंगे।
05:52 दस्त लगना, कुपोषण का एक प्रमुख कारण है।
05:56 यह शरीर में पानी की कमी, सोडियम और पोटेशियम' के स्तर के बिगड़ने का कारण बनता है।
06:03 ज्‍यादा दस्त होने पर, शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।
06:08 इसलिए दस्त का इलाज बहुत जरूरी है।
06:13 ओआरएस और जिंक परिपोषक, दस्त के इलाज में मदद करते हैं।
06:18 ओआरएस ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट है।
06:22 यह शरीर में पानी, सोडियम और पोटेशियम को पूरा करता है।
06:29 यह बाजार में पाउडर वाले पैकेट जैसा आसानी से मिल जाता है।
06:35 ओआरएस का एक पैकेट इस्तेमाल करने के लिए इसे 1 लीटर उबालकर ठंडे किये हुए पानी में मिला लें।
06:43 ओआरएस के साथ-साथ जिंक भी जरूरी है।
06:48 जिंक दस्त की अवधी कम करता है,
06:51 दस्त का बार-बार होना, और
06:53 शिशु में दस्त की गंभीरता को भी कम करता है।
06:57 इससे शिशु की बीमारी से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।
07:00 इसे 14 दिनों के लिए दिन में एक बार दिया जाना चाहिए।
07:06 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को हर रोज 10 मिलीग्राम जिंक दिया जाना चाहिए।
07:13 6 महीने से ज्यादा उम्र के शिशुओं को 20 मिलीग्राम जिंक हर रोज दिया जाना चाहिए।
07:21 जिंक की गोली, एक छोटे चम्मच में मां के दूध या ओआरएस में घोल कर दें।
07:27 आप उबालकर ठंडा किया हुआ पानी भी ले सकते हैं।
07:31 ओआरएस और जिंक की गोली स्वास्थ्य सेवक की सलाह के बाद ही देनी चाहिए।
07:38 ओआरएस और जिंक के साथ 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को मां का दूध पिलाना चाहिए।
07:45 6 से 24 महीने के शिशुओं को मां का दूध पिलाना चाहिए और पूरक आहार भी देना चाहिए।
07:53 याद रखें कि बीमारी के समय शिशु को मां का दूध बार बार पिलाना चाहिए।
07:59 यह शिशु को जल्‍दी से ठीक होने और वजन के बढ़ने में मदद करता है।
08:04 इससे बीमार शिशु को आराम भी मिलता है।
08:07 स्तनपान के साथ, हर शिशु को कंगारू मदर केयर भी दी जानी चाहिए।
08:14 पैदा होने के समय कम वजन वाले शिशुओं के लिए कंगारू मदर केयर की भी सलाह दी जाती है।
08:20 कंगारू मदर केयर के बारे में एक अन्य ट्यूटोरियल में बताया गया है।
08:26 यदि शिशु 6 महीने से बड़ा है, तो उसका खाना डेढ़ गुना बढ़ा दें।
08:34 ऐसा तब करें जब ठीक होने पर शिशु को फिर से भूख लगने लगे।
08:40 अलग-अलग तरह का खाना देकर शिशु को खाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
08:46 उसकी भूख के हिसाब से उसे पहले और दूसरे प्रकार के पोषक तत्व दें।
08:53 पहले और दूसरे प्रकार के पोषक तत्वों के बारे में एक अन्य  ट्यूटोरियल में बताया गया है।
09:01 शिशु के ज्यादा बीमार होने पर मां को उसे जल्‍दी से स्वास्थ्य सेवक को दिखाना चाहिए।
09:07 स्वास्थ्य सेवक को ज्‍यादा बीमार शिशु को एनआरसी भेजना चाहिए।
09:14 एनआरसी पोषण पुनर्वास केंद्र है।
09:20 यह गंभीर रूप से कुपोषित शिशुओं को फिर से तंदुरुस्त करने का केंद्र है।
09:27 यह केंद्र शिशुओं को विशेष पोषण चिकित्सा प्रदान करता है।
09:33 अगर शिशु 6 महीने की उम्र पूरी कर चुके हैं तो यह उन्हें घर का बना खाना खाने के लिए तैयार करता है।
09:40 ये माओं को स्तनपान के बारे में,
09:44 शिशु पोषण और
09:46 शिशु की देखभाल की सही जानकारी देते है।
09:48 शिशु को तंदुरुस्त रखने के लिए जरूरी पोषण क्रियाओं का पालन करें।
09:54 वे शिशुओं में कुपोषण को रोकने में भी मदद करते हैं।
09:59 अब यह ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है। आई आई टी बॉम्बे से मैं बेल्ला टोनी आप से विदा लेती हूँ । हम से जुड़ने के लिए धन्यवाद।

Contributors and Content Editors

Bellatony911