Difference between revisions of "Health-and-Nutrition/C2/General-guidelines-for-Complementary-feeding/Hindi"
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− | | पूरक आहार खिलाने के सामान्य दिशा - निर्देश पर बने | + | | पूरक आहार खिलाने के सामान्य दिशा - निर्देश पर बने स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है। |
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| पूरक आहार शिशु के लम्बा, स्वस्थ और बुद्धीमान होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। | | पूरक आहार शिशु के लम्बा, स्वस्थ और बुद्धीमान होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। | ||
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− | | इसीलिए, पहले पांच समूहों में से पोषण से भरपूर खाना शिशु को | + | | इसीलिए, पहले पांच समूहों में से पोषण से भरपूर खाना शिशु को खिलाना चाहिए। |
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− | | इन पांच समूहों के खाने में प्रोटीन और फैट जैसे | + | | इन पांच समूहों के खाने में प्रोटीन और फैट जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं। |
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− | | इसीलिए, इन्हें बाद में शुरू किया जाता है ताकि शिशु का वजन न | + | | इसीलिए, इन्हें बाद में शुरू किया जाता है ताकि शिशु का वजन न कम हो और न ही बढ़ना रुके । |
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− | | फल को शिशु के खाना खाने के बाद मीठा खिलाने में | + | | फल को शिशु के खाना खाने के बाद मीठा खिलाने में दिया जा सकता है। |
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− | | पानी की मात्रा को गर्मी के मौसम में और शिशु के | + | | पानी की मात्रा को गर्मी के मौसम में और शिशु के मांग के हिसाब से बढ़ा सकते हैं। |
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− | | अब यह ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है । | + | | अब यह ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है । यह स्क्रिप्ट विनय कुमार द्वारा अनुवादित है । |
− | यह स्क्रिप्ट विनय कुमार द्वारा अनुवादित है । | + | आईआईटी बॉम्बे से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूँ । हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद । |
− | आईआईटी बॉम्बे से मैं बेला टोनी | + | |
− | हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद । | + | |
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Revision as of 16:32, 14 September 2020
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00:02 | पूरक आहार खिलाने के सामान्य दिशा - निर्देश पर बने स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है। |
00:09 | इस ट्यूटोरियल में, हम सीखेंगें |
00:14 | छः महीने के शिशु को पूरक आहार खिलाने की ज़रूरत के बारे में.. |
00:19 | और छः महीने से 24 महीने के शिशुओं को पूरक आहार खिलाने की दिशा - निर्देश के बारे में । |
00:27 | आइये शुरू करते हैं। |
00:29 | शिशु को जन्म से लेकर छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। |
00:37 | छः महीने की उम्र का मतलब छटे महीने की शुरुआत नहीं है । |
00:45 | इस का मतलब है की शिशु छह महीने पूरे कर चूका है और सातवाँ महीना शुरू हो गया है। |
00:52 | इस उम्र में , केवल मां का दूध शिशु के लिए काफी नहीं होता। |
00:59 | इसलिए स्तनपान के साथ साथ शिशु को घर का बना हुआ पोषक आहार भी देना शुरू करना चाहिए। |
01:06 | इसी आहार को हम पूरक आहार कहते हैं। |
01:11 | छः महीने से चौबीस महीने की उम्र के शिशुओं को पूरक आहार खिलाना जरूरी है। |
01:18 | पूरक आहार शिशु के लम्बा, स्वस्थ और बुद्धीमान होने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। |
01:26 | ये ज़रूरी है की शिशु के छह महीने पूरे होते ही उस को पूरक आहार देने की शुरुआत कर देनी चाहिए। |
01:33 | नहीं तो, शिशु की वृद्धि और विकास पूरी तरह से नहीं हो पाएगा। |
01:39 | ऐसा भी हो सकता है कि शिशु, बाद में घर का बना हुआ खाना खाने से इनकार कर दे । |
01:47 | याद रखें, पूरक आहार स्तनपान का सहयोग करता है। |
01:53 | इसलिए, शिशु के दो साल की उम्र होने तक मां को उसे स्तनपान कराना चाहिए । |
02:00 | अलग अलग तरीके का पूरक आहार |
02:02 | उस का गाढ़ापन |
02:04 | और उस की मात्रा शिशु की उम्र के अनुसार बदलती रहती है। |
02:10 | शिशु की हर आयु के लिए अलग-अलग तरह का पूरक आहार सुझाया गया है |
02:16 | इन पर इसी श्रृंखला के अन्य ट्यूटोरियल में विस्तार से बताया गया है । |
02:23 | आइये अब, हर उम्र के शिशुओं के लिए पूरक आहार खिलाने के जरूरी दिशा - निर्देश पर पर बात करते है । |
02:31 | शिशु को पहली बार जब कोई नया खाना दे तो उसे सिर्फ वही खाने को दें । |
02:37 | उस खाने को बाकी के खानों के साथ कुछ वक्त के बाद मिलाकर दें |
02:42 | इस से हमें ये पता चलेगा कि शिशु को किस खाने से एलर्जी है। |
02:48 | अलग अलग तरह का खाना खिलाना शिशु के पोषण कर लिए बहुत जरूरी है। |
02:54 | हर चौथे दिन, शिशु के आहार में एक नया खाना मिला सकते हैं। |
03:01 | पिछले दिए जा रहे खाने के साथ, नए खाने का एक चम्मच खिलाना शुरुआत करें। |
03:08 | फिर धीरे धीरे हर दिन इसकी मात्रा बढ़ाते जाएं। |
03:12 | शिशु के खाने में पोषण से भरपूर सभी 8 खाद्य समूहों के खाने को शामिल करना जरूरी है। |
03:20 | पहले खाद्य समूह में हैं अनाज और कंदमूल । |
03:27 | फलियां, बीज और दाने दूसरे खाद्य समूह में आते हैं। |
03:32 | तीसरे खाद्य समूह में दूध से बनी हुई चीजें हैं। |
03:37 | चौथे समूह में मीट, मछली और चिकेन हैं। |
03:42 | अंडा पांचवे समूह में है। |
03:46 | विटामिन ए से भरपूर फल और सब्जियां छठवें समूह में हैं। |
03:52 | सातवें समूह में अन्य फल और सब्जियां हैं । |
03:57 | और आखिरी आठवें खाद्य समूह में स्तनपान आता है जो सबसे महत्वपूर्ण है। |
04:04 | सभी समूहों के खाने के साथ हर रोज़ शिशु को स्तनपान कराना बहुत जरूरी है। |
04:11 | बेहतर होगा, कि शिशु के खाने में आठों खाद्य समूह का खाना शामिल हों। |
04:17 | अगर शिशु के आहार में 5 खाद्य समूह से कम खाना हैं तो फिर ये एक समस्या है। |
04:24 | इसे जल्दी से जल्दी सुधारा जाना चाहिए |
04:28 | कुछ शिशुओं को मां का दूध नहीं मिल पाता है। |
04:33 | ऐसे में हर रोज़ शिशु के आहार में बाकी के 7 समूहों में से खाना जरूर खिलाते रहें। |
04:40 | साथ ही, शिशु को 500 मिलीलीटर गाय का दूध और दो बार ज़्यादा खाना खिलाना चाहिए। |
04:49 | शिशु को गाय का दूध पिलाने से पहले दूध को अच्छे से उबाल लेना चाहिए। |
04:55 | आइए अब, देखते हैं शिशु के खाने में नए खाद्य समूह से खाना शामिल करने के बारे में । |
05:02 | स्तनपान के साथ-साथ, शिशु को पहले पांच समूहों में से खाना खिलाना शुरू करें। |
05:09 | छह महीने की उम्र पूरी करने के बाद शिशु को ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है। |
05:16 | हालांकि, शिशु को शुरुआत में खिलाए जाने वाले खाना की मात्रा कम होती है। |
05:24 | इसीलिए, पहले पांच समूहों में से पोषण से भरपूर खाना शिशु को खिलाना चाहिए। |
05:31 | इन पांच समूहों के खाने में प्रोटीन और फैट जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं। |
05:38 | ये खाना शिशु की लंबाई और मांसपेशियों के विकास में महत्तपूर्ण हैं। |
05:45 | अच्छी चर्बी शिशु के दिमाग के विकास के लिए बहुत जरूरी होती है । |
05:50 | इन ख़ानों के बाद, शिशु को सब्जियां और फल खिलाना शुरू करें। |
05:57 | सब्जियां और फल विटामिन और खनिज पदार्थों से भरपूर होते हैं। |
06:03 | पर, फल और सब्जियां पहले पांच समूहों के खाना की तरह प्रोटीन और चर्बी से भरपूर नहीं होते। |
06:11 | इसीलिए, इन्हें बाद में शुरू किया जाता है ताकि शिशु का वजन न कम हो और न ही बढ़ना रुके । |
06:18 | साथ ही, फल स्वाद में मीठे भी होते हैं। |
06:23 | और शिशु को मीठा खिलाने से पहले अलग-अलग खाने का स्वाद चखाना जरूरी होता है। |
06:31 | अलग-अलग तरह के स्वाद चखना शिशु को ज्यादा खाना खाने के लिए तैयार करता है। |
06:37 | ये शिशु को बाद में चुनिंदा खाना खाने की आदत से बचाता है। |
06:44 | इसीलिए, फलों को शिशु के आहार में तभी जोड़ें जब हर समूह के खाने को खिला चुके हों । |
06:51 | अपने इलाके के ताज़े और मौसम के हिसाब से मिलने वाले फल शिशु को दिन में एक या दो बार दें । |
06:59 | फल को शिशु के खाना खाने के बाद मीठा खिलाने में दिया जा सकता है। |
07:05 | शिशु के रोज़ के खाने में फलों की प्यूरी नहीं मिलानी चाहिए । |
07:11 | और इस उम्र के शिशुओं के लिए फलों का रस देना भी ठीक नहीं है। |
07:16 | ना ही घर पे बनाया हुआ फलों का रस और ना ही बाज़ार में मिलने वाला पैकेट वाला रस । |
07:23 | याद रखें, शिशु को 2 साल का होने तक स्तनपान जारी रखें। |
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07:34 | साबुत दाने, अंगूर, चना और कच्चे गाजर ऐसे खाने के उदाहरण हैं। |
07:44 | शिशु के लिए स्वछता से घर का पका हुआ ताजा खाना ही सबसे अच्छा होता है। |
07:51 | अगर शिशु का खाना संभाल कर रखना पड़े, तो 'खाने के सुरक्षित रख रखाव' पर बना ट्यूटोरियल जरूर देखें। |
07:57 | शिशु के खाने को स्वछता से बनाने, खिलाने और उस के रखरखाव पर भी उस ट्यूटोरियल में चर्चा की गयी है। |
08:06 | ज्यादा जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट देखें । |
08:10 | छः महीने के शिशु को खाना ख़िलाने के साथ उबला हुआ ठंडा पानी पिलाया जा सकता है। |
08:18 | दिन में दो बार तीस से साठ मिलीलीटर पानी पिलाने की शुरुआत करें । |
08:25 | पानी की मात्रा को गर्मी के मौसम में और शिशु के मांग के हिसाब से बढ़ा सकते हैं। |
08:31 | मां का दूध और पानी शिशु के लिए सबसे अच्छी पीने की चीज़ें हैं। |
08:37 | लेकिन, इन्हें सही समय पर दिया जाना चाहिए। |
08:42 | खाना खिलाने से पहले शिशु को ना स्तनपान कराएं और ना ही पानी पिलाएं। |
08:48 | भूख में शिशु के नए खाने को खाने की सम्भावना ज़्यादा होती है । |
08:54 | शिशु को खाना देने के बीस से तीस मिनट पहले या फिर बाद में स्तनपान कराएं या पानी पिलाएं। |
09:02 | शिशु की वृद्धि के लिए उसे पर्याप्त पूरक आहार की बहुत जरूरत होती है। |
09:08 | अब यह ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है । यह स्क्रिप्ट विनय कुमार द्वारा अनुवादित है ।
आईआईटी बॉम्बे से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूँ । हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद । |