Difference between revisions of "LibreOffice-Writer-on-BOSS-Linux/C3/Using-track-changes/Sanskrit"
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| − | |सर्वेभ्यः नमस्कारः। | + | |सर्वेभ्यः नमस्कारः।,लिब्रे आफीस मध्ये सञ्चिकापरिष्करणावसरे ट्र्याक-परिवर्तनविषये विद्यमानेऽस्मिन् पाठे भवद्भ्यः स्वागतम्। |
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|00:09 | |00:09 | ||
|पाठेऽस्मिन् वयं लिब्रे आफीस रैटर मध्ये सञ्चिकापरिष्करणं कथं भवति इति ज्ञास्यामः। | |पाठेऽस्मिन् वयं लिब्रे आफीस रैटर मध्ये सञ्चिकापरिष्करणं कथं भवति इति ज्ञास्यामः। | ||
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| − | | 00:16 | + | |00:16 |
|अहम्, 'Record Changes' इति विकल्पस्य साहाय्येन सञ्चिकायाः विस्तृतपरिष्करणं कथं करणीयमिति एतावता एव स्थितां सञ्चिकाम् उद्घाट्य विवृणोमि। | |अहम्, 'Record Changes' इति विकल्पस्य साहाय्येन सञ्चिकायाः विस्तृतपरिष्करणं कथं करणीयमिति एतावता एव स्थितां सञ्चिकाम् उद्घाट्य विवृणोमि। | ||
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|00:26 | |00:26 | ||
|वैशिष्ट्यस्यास्य प्रयोगेन परिशीलनकर्ता टिप्पणीं (Comments) कर्तुं, लेखं योजयितुं, तत्रस्थलेखं नाशयितुं परिवर्तयितुं वा शक्नोति। अपि च एतत्सर्वं तस्यामेव सञ्चिकायां दृश्यते। | |वैशिष्ट्यस्यास्य प्रयोगेन परिशीलनकर्ता टिप्पणीं (Comments) कर्तुं, लेखं योजयितुं, तत्रस्थलेखं नाशयितुं परिवर्तयितुं वा शक्नोति। अपि च एतत्सर्वं तस्यामेव सञ्चिकायां दृश्यते। | ||
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|00:40 | |00:40 | ||
|एताः क्रियाः लेखकः सुलभतया दृष्टुं शक्नोति अपि च परिष्कारं स्वीकर्तुं वा निरस्तुं वा शक्नोति। एतेन सर्वं बहुधा परिशीलनीयमिति न भवति। | |एताः क्रियाः लेखकः सुलभतया दृष्टुं शक्नोति अपि च परिष्कारं स्वीकर्तुं वा निरस्तुं वा शक्नोति। एतेन सर्वं बहुधा परिशीलनीयमिति न भवति। | ||
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|00:53 | |00:53 | ||
|अपि च यदा सञ्चिका रक्षिता भवति तदा टिप्पण्यः अपि रक्षिताः भवतिः। | |अपि च यदा सञ्चिका रक्षिता भवति तदा टिप्पण्यः अपि रक्षिताः भवतिः। | ||
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| − | | 00:57 | + | |00:57 |
|अतः, अधुना वयम् एतत् कथं कर्तव्यमिति पश्यामः। | |अतः, अधुना वयम् एतत् कथं कर्तव्यमिति पश्यामः। | ||
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|01:02 | |01:02 | ||
|अत्र वयम् अस्माक् आपरेटिंग् सिस्टम् रूपेण GNU लिनक्स अपि च लिब्रे आफीस सूट् 3.3.4 इत्यस्य उपयोगं कुर्मः। | |अत्र वयम् अस्माक् आपरेटिंग् सिस्टम् रूपेण GNU लिनक्स अपि च लिब्रे आफीस सूट् 3.3.4 इत्यस्य उपयोगं कुर्मः। | ||
| + | |||
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|01:10 | |01:10 | ||
|अस्मिन् पाठे वयं एतावता एव रक्षिते सञ्चिके उपयुञ्ज्महे। ते, | |अस्मिन् पाठे वयं एतावता एव रक्षिते सञ्चिके उपयुञ्ज्महे। ते, | ||
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| − | | 01:16 | + | |01:16 |
| − | | | + | |Seven-reasons-to-adopt-FOSS.odt Government-support-for-FOSS-in-India.odt |
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|01:24 | |01:24 | ||
|रैटर् इत्यस्य आरम्भार्थं क्रमशः '''Applications -''' '''Office '''- '''LibreOffice Writer''' इत्यत्र नुदन्तु। | |रैटर् इत्यस्य आरम्भार्थं क्रमशः '''Applications -''' '''Office '''- '''LibreOffice Writer''' इत्यत्र नुदन्तु। | ||
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| − | | 01:34 | + | |01:34 |
|'Seven-reasons-to-adopt-FOSS.odt' इतीमम् उद्घाटयन्तु। | |'Seven-reasons-to-adopt-FOSS.odt' इतीमम् उद्घाटयन्तु। | ||
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| − | | 01:41 | + | |01:41 |
|'Record Changes' इति विकल्पं व्यवस्थापयितुं क्रमशः EDIT अपि च CHANGES इति नुत्वा तत्र Record इति विकल्पं चिन्वन्तु। | |'Record Changes' इति विकल्पं व्यवस्थापयितुं क्रमशः EDIT अपि च CHANGES इति नुत्वा तत्र Record इति विकल्पं चिन्वन्तु। | ||
| + | |||
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| − | | 01:53 | + | |01:53 |
|SHOW इति विकल्पमपि चिन्वन्तु। एतेन प्रत्येकमपि परिष्कारः रक्षितः भवति। | |SHOW इति विकल्पमपि चिन्वन्तु। एतेन प्रत्येकमपि परिष्कारः रक्षितः भवति। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
|02:01 | |02:01 | ||
|सञ्चिकायां द्वितीयांशं योजयामः। | |सञ्चिकायां द्वितीयांशं योजयामः। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
| − | | 02:05 | + | |02:05 |
|वयं द्वितीयांशं गत्वा “Linux is a virus resistant operating system since each user has a distinct data space and cannot directly access the program files” इति टङ्कयामः। | |वयं द्वितीयांशं गत्वा “Linux is a virus resistant operating system since each user has a distinct data space and cannot directly access the program files” इति टङ्कयामः। | ||
| + | |||
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| − | | 02:36 | + | |02:36 |
|Enter नुदन्तु, एतेन एतावता एव यः द्वितीयांशत्वेन अस्ति सः तृतीयांशः भवति। | |Enter नुदन्तु, एतेन एतावता एव यः द्वितीयांशत्वेन अस्ति सः तृतीयांशः भवति। | ||
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| − | | 02:42 | + | |02:42 |
|पश्यन्तु, अधुना अस्माभिः लिखितलेखः अपरवर्णे अस्ति। | |पश्यन्तु, अधुना अस्माभिः लिखितलेखः अपरवर्णे अस्ति। | ||
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|02:46 | |02:46 | ||
|अस्य लेखस्य उपरि मौस स्थापयन्तु। भवन्तः समयदिनाङ्काभ्यां सह “Inserted: sriranjani” इति सन्देशं पश्यन्ति। | |अस्य लेखस्य उपरि मौस स्थापयन्तु। भवन्तः समयदिनाङ्काभ्यां सह “Inserted: sriranjani” इति सन्देशं पश्यन्ति। | ||
| + | |||
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| − | | 02:55 | + | |02:55 |
|अर्थात्, सञ्चिका, टिप्पणिकर्तॄन् सर्वान् सङृह्णाति इति। अत्र, लिब्रे आफीस् इत्यस्य संस्थापनसमये यत् नाम दत्तं तन्नम दृश्यते। | |अर्थात्, सञ्चिका, टिप्पणिकर्तॄन् सर्वान् सङृह्णाति इति। अत्र, लिब्रे आफीस् इत्यस्य संस्थापनसमये यत् नाम दत्तं तन्नम दृश्यते। | ||
| + | |||
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|03:08 | |03:08 | ||
|प्रथमपङ्क्त्यां “avalable” इत्येतत् परिष्कुर्वन्तु। भवन्तः अत्र परिष्कारं पश्यन्तः सन्ति। | |प्रथमपङ्क्त्यां “avalable” इत्येतत् परिष्कुर्वन्तु। भवन्तः अत्र परिष्कारं पश्यन्तः सन्ति। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
|03:17 | |03:17 | ||
|प्रथमांशे विद्यमानं “It can be installed on all computers without restriction or needing to pay license fees to vendors” इति वाक्यं नाशयन्तु। | |प्रथमांशे विद्यमानं “It can be installed on all computers without restriction or needing to pay license fees to vendors” इति वाक्यं नाशयन्तु। | ||
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| − | | 03:31 | + | |03:31 |
|पश्यन्तु, अत्र यत् वाक्यं वयं नाशितवन्तः तत् वाक्यं नष्टं न अभवत्, किन्तु नाशयितुं सूचयन्ती काचित् रेखा दृश्यते। | |पश्यन्तु, अत्र यत् वाक्यं वयं नाशितवन्तः तत् वाक्यं नष्टं न अभवत्, किन्तु नाशयितुं सूचयन्ती काचित् रेखा दृश्यते। | ||
| + | |||
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| − | | 03:39 | + | |03:39 |
|अधुना तस्योपरि कर्सर् नयन्तु, अत्र वयं समयदिनाङ्काभ्यां सह “Deleted Ranjani:” इति सन्देशं पश्यामः। | |अधुना तस्योपरि कर्सर् नयन्तु, अत्र वयं समयदिनाङ्काभ्यां सह “Deleted Ranjani:” इति सन्देशं पश्यामः। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
|03:49 | |03:49 | ||
|एवमेव, योजनं, नाशनं, परिवर्तनं इत्यादिभिः द्वारा वयं सञ्चिकामेकां परिष्कर्तुं शक्नुमः। | |एवमेव, योजनं, नाशनं, परिवर्तनं इत्यादिभिः द्वारा वयं सञ्चिकामेकां परिष्कर्तुं शक्नुमः। | ||
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|04:00 | |04:00 | ||
|एकामेव सञ्चम्काम् अनेके अपि परिष्कर्तुं शक्नुवन्ति। | |एकामेव सञ्चम्काम् अनेके अपि परिष्कर्तुं शक्नुवन्ति। | ||
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| − | | 04:04 | + | |04:04 |
|LO रैटर प्रत्येकमपि परिष्कारं विविधवर्णैः द्योतयति। एतेन पाठकः विविधविमर्शकान् अभिज्ञातुं शक्नोति। | |LO रैटर प्रत्येकमपि परिष्कारं विविधवर्णैः द्योतयति। एतेन पाठकः विविधविमर्शकान् अभिज्ञातुं शक्नोति। | ||
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| − | | 04:13 | + | |04:13 |
|परिष्कृतलेखस्य उपरि कर्सर् नयनेनापि वयं परिष्कर्तृनाम दृष्टुं शक्नुमः। | |परिष्कृतलेखस्य उपरि कर्सर् नयनेनापि वयं परिष्कर्तृनाम दृष्टुं शक्नुमः। | ||
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| − | | 04:19 | + | |04:19 |
|अहमधुना गुरुः इत्यनेन एतावता एव परिष्कृतां सञ्चिकाम् उद्घाट्य इदं विवृणोमि। | |अहमधुना गुरुः इत्यनेन एतावता एव परिष्कृतां सञ्चिकाम् उद्घाट्य इदं विवृणोमि। | ||
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| − | | 04:27 | + | |04:27 |
|“Government-support-for-FOSS-in-India.odt” इति लेखसञ्चिकाम् उद्घाटयन्तु। | |“Government-support-for-FOSS-in-India.odt” इति लेखसञ्चिकाम् उद्घाटयन्तु। | ||
| + | |||
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| − | | 04:35 | + | |04:35 |
|अस्यां सञ्चिकायां वयं एतावता एव कृतान् परिष्कारान् दृष्टुं शक्नुमः। | |अस्यां सञ्चिकायां वयं एतावता एव कृतान् परिष्कारान् दृष्टुं शक्नुमः। | ||
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| − | | 04:42 | + | |04:42 |
|तेषाम् उपरि कर्सर् नयनेन ते परिष्काराः गुरुः इत्यनेन कृताः इति ज्ञायते। | |तेषाम् उपरि कर्सर् नयनेन ते परिष्काराः गुरुः इत्यनेन कृताः इति ज्ञायते। | ||
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| − | | 04:52 | + | |04:52 |
|अधः अपरमेकम् अंशं एवं योजयन्तु, “CDAC, NIC, NRC-FOSS are institutions of Government of India which develop and promote FOSS”. | |अधः अपरमेकम् अंशं एवं योजयन्तु, “CDAC, NIC, NRC-FOSS are institutions of Government of India which develop and promote FOSS”. | ||
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| − | | 05:18 | + | |05:18 |
|पश्यन्तु, गुरुणा कृतपरिष्काराणां वर्णात्, अधुना कृतपरिष्कारस्य वर्णः भिन्नः अस्ति। | |पश्यन्तु, गुरुणा कृतपरिष्काराणां वर्णात्, अधुना कृतपरिष्कारस्य वर्णः भिन्नः अस्ति। | ||
| + | |||
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| − | | 05:24 | + | |05:24 |
|एतस्य उपरि कर्सर् नयनेन “Inserted: Ranjani” इति सन्देशं वयं पश्यामः। | |एतस्य उपरि कर्सर् नयनेन “Inserted: Ranjani” इति सन्देशं वयं पश्यामः। | ||
| + | |||
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| − | | 05:29 | + | |05:29 |
|एवमेव एकामेव सञ्चिकां बहवः परिष्कर्तुं शक्नुवन्ति। | |एवमेव एकामेव सञ्चिकां बहवः परिष्कर्तुं शक्नुवन्ति। | ||
| + | |||
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| − | | 05:34 | + | |05:34 |
|एतां सञ्चिकां न रक्षयित्वा पिदधतु। | |एतां सञ्चिकां न रक्षयित्वा पिदधतु। | ||
| + | |||
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| − | | 05:45 | + | |05:45 |
|अधुना वयं लेखकः विमर्शकेन कृतं परिष्कारं कथं स्विकरोति अथवा तिरस्करोति इति पश्यामः। | |अधुना वयं लेखकः विमर्शकेन कृतं परिष्कारं कथं स्विकरोति अथवा तिरस्करोति इति पश्यामः। | ||
| + | |||
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| − | | 05:50 | + | |05:50 |
|अधुना अहमेव लेखकः इति चिन्तयन्तु, अपि च “Government-support-for-FOSS-in-India.odt” इत्यस्यां सञ्चिकायां गुरुणा कृतान् परिष्कारान् स्वीकुर्मः अथवा तिरस्कुर्मः। | |अधुना अहमेव लेखकः इति चिन्तयन्तु, अपि च “Government-support-for-FOSS-in-India.odt” इत्यस्यां सञ्चिकायां गुरुणा कृतान् परिष्कारान् स्वीकुर्मः अथवा तिरस्कुर्मः। | ||
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| − | | 06:12 | + | |06:12 |
|द्वितीयांशं गत्वा तत्र reasons इति नाशितस्य लेखस्य उपरि रैटक्लिक् कृत्वा तत्र Accept Changes इति चिन्वन्तु। | |द्वितीयांशं गत्वा तत्र reasons इति नाशितस्य लेखस्य उपरि रैटक्लिक् कृत्वा तत्र Accept Changes इति चिन्वन्तु। | ||
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| − | | 06:22 | + | |06:22 |
|पश्यन्तु, विमर्शकेन सूचिता नाशनप्रक्रिया अङ्गीकृता, लेखः नष्टः च। | |पश्यन्तु, विमर्शकेन सूचिता नाशनप्रक्रिया अङ्गीकृता, लेखः नष्टः च। | ||
| + | |||
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| − | | 06:28 | + | |06:28 |
|needs इति योजितलेखस्य उपरि रैट् क्लिक् कृत्वा Accept Change इति चिन्वन्तु। पश्यन्तु, विमर्शकेन सूचिता योजनप्रक्रिया अङ्गीकृता, लेखः युक्तः च। | |needs इति योजितलेखस्य उपरि रैट् क्लिक् कृत्वा Accept Change इति चिन्वन्तु। पश्यन्तु, विमर्शकेन सूचिता योजनप्रक्रिया अङ्गीकृता, लेखः युक्तः च। | ||
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| − | | 06:39 | + | |06:39 |
|एवं विमर्शकेन सूचितपरिष्काराः स्वीकर्तुं निराकर्तुं वा शक्नुमः। | |एवं विमर्शकेन सूचितपरिष्काराः स्वीकर्तुं निराकर्तुं वा शक्नुमः। | ||
| + | |||
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| − | | 06:49 | + | |06:49 |
|प्रथमम् अंशं गत्वा तत्र “The OpenOffice document standard (ODF) has been notified under this policy” इति नाशितलेखस्य उपरि रैट् क्लिक् कृत्वा तत्र Reject change इति चिन्वन्तु। | |प्रथमम् अंशं गत्वा तत्र “The OpenOffice document standard (ODF) has been notified under this policy” इति नाशितलेखस्य उपरि रैट् क्लिक् कृत्वा तत्र Reject change इति चिन्वन्तु। | ||
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| − | | 07:01 | + | |07:01 |
|एतेन लेखः सामान्यलेखः भवति। अर्थात् विमर्शकेन सूचितं परिवर्तनं तिरस्कृतमिति। | |एतेन लेखः सामान्यलेखः भवति। अर्थात् विमर्शकेन सूचितं परिवर्तनं तिरस्कृतमिति। | ||
| + | |||
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| − | | 07:09 | + | |07:09 |
|पञ्चमम् अंशं गत्वा तत्र “Government Schools in these states and in Orissa, Karnataka and Tamil Nadu learn Linux” इति वाक्यस्योपरि रैट् क्लिक् कृत्वा तत्र Reject change इति चिन्वन्तु। | |पञ्चमम् अंशं गत्वा तत्र “Government Schools in these states and in Orissa, Karnataka and Tamil Nadu learn Linux” इति वाक्यस्योपरि रैट् क्लिक् कृत्वा तत्र Reject change इति चिन्वन्तु। | ||
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| − | | 07:24 | + | |07:24 |
|एतेन विमर्शकेन योजितं वाक्यं नष्टं भवति। | |एतेन विमर्शकेन योजितं वाक्यं नष्टं भवति। | ||
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| − | | 07:27 | + | |07:27 |
|एवं विमर्शकेन सूचितपरिष्काराः स्वीकर्तुं निराकर्तुं वा शक्नुमः। | |एवं विमर्शकेन सूचितपरिष्काराः स्वीकर्तुं निराकर्तुं वा शक्नुमः। | ||
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|07:34 | |07:34 | ||
|अन्ततः, सर्वविधपरिष्काराणां स्वीकरण-तिरस्करणानन्तरं क्रमशः EDIT अपि च CHANGES इत्यत्र गत्वा तत्र Record अपि च Show इत्येतयोः द्वयोः कृते अपि स्थापितं चिह्नं निष्कासयन्तु। | |अन्ततः, सर्वविधपरिष्काराणां स्वीकरण-तिरस्करणानन्तरं क्रमशः EDIT अपि च CHANGES इत्यत्र गत्वा तत्र Record अपि च Show इत्येतयोः द्वयोः कृते अपि स्थापितं चिह्नं निष्कासयन्तु। | ||
| + | |||
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| − | | 07:56 | + | |07:56 |
|यदा चिह्नं निष्कासयामः तदा अग्रिमाः न केऽपि परिष्काराः दृश्यन्ते। | |यदा चिह्नं निष्कासयामः तदा अग्रिमाः न केऽपि परिष्काराः दृश्यन्ते। | ||
| + | |||
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| − | | 08:00 | + | |08:00 |
|सकलपरिवर्तनानि परिशील्य सञ्चिकां रक्षन्तु। एतेन विमर्शकस्य सर्वविधटिप्पण्यः सञ्चिकायाम् अन्विताः भवन्ति। | |सकलपरिवर्तनानि परिशील्य सञ्चिकां रक्षन्तु। एतेन विमर्शकस्य सर्वविधटिप्पण्यः सञ्चिकायाम् अन्विताः भवन्ति। | ||
| + | |||
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|08:09 | |08:09 | ||
|एतेन वयं अस्य पाठस्यान्तं प्राप्तवन्तः। अन्ते अभ्यासः, | |एतेन वयं अस्य पाठस्यान्तं प्राप्तवन्तः। अन्ते अभ्यासः, | ||
| + | |||
|- | |- | ||
| − | | 08:16 | + | |08:16 |
|एकां सञ्चिकाम् उद्घाट्य तत्र Record Changes मोड् मध्ये अक्षरदोषान् सम्यक् कुर्वन्तु। | |एकां सञ्चिकाम् उद्घाट्य तत्र Record Changes मोड् मध्ये अक्षरदोषान् सम्यक् कुर्वन्तु। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
|08:25 | |08:25 | ||
|अहमत्र एतावता एव अभ्यासं रचितवान् अस्मि। | |अहमत्र एतावता एव अभ्यासं रचितवान् अस्मि। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
|08:31 | |08:31 | ||
| − | | अधस्थे लिंक मध्ये विद्यमानं वीडियो स्पोकन ट्युटोरियल् इत्यस्य सारांशं वदति। | + | |अधस्थे लिंक मध्ये विद्यमानं वीडियो स्पोकन ट्युटोरियल् इत्यस्य सारांशं वदति। |
| + | |||
|- | |- | ||
| − | | 08:36 | + | |08:36 |
| − | | यदि भवतां समीपे उत्तमं ब्यांड्विड्त् नास्ति तर्हि इदम् अवचित्य पश्यन्तु। | + | |यदि भवतां समीपे उत्तमं ब्यांड्विड्त् नास्ति तर्हि इदम् अवचित्य पश्यन्तु। |
| + | |||
|- | |- | ||
|08:40 | |08:40 | ||
| − | | अयं प्रकल्पः ट्युटोरियल उपयुज्य कार्यशालां चालयति। ये च आनलैन परीक्षायां उत्तीर्णाः भवन्ति तेभ्यः प्रमाणपत्रमपि ददाति। | + | |अयं प्रकल्पः ट्युटोरियल उपयुज्य कार्यशालां चालयति। ये च आनलैन परीक्षायां उत्तीर्णाः भवन्ति तेभ्यः प्रमाणपत्रमपि ददाति। |
| + | |||
| + | |- | ||
| + | |08:48 | ||
| + | |अधिकं ज्ञातुं contact@spoken-tutorial.org इति अणुसङ्केताय लिखन्तु। | ||
| + | |||
|- | |- | ||
| − | | 08: | + | |08:54 |
| − | | | + | |स्पोकन ट्युटोरियल प्रकल्पः टाक् टु अ टीचर इति प्रकल्पस्य भागः अस्ति। प्रकल्पमिमं राष्ट्रियसाक्षरतामिषन ICT, MHRD भारतसर्वकारः इति संस्था समर्थितवती अस्ति। |
| + | |||
|- | |- | ||
| − | | | + | |09:03 |
| − | | | + | |अधिकविवरणार्थं spoken hyphen tutorial dot org slash NMEICT hyphen Intro इत्यत्र पश्यन्तु। |
| + | |||
|- | |- | ||
| − | | 09: | + | |09:14 |
| − | | | + | |पाठस्यास्य अनुवादकः प्रवाचकश्च ऐ ऐ टी बाम्बेतः वासुदेवः। धन्यवादः। |
|- | |- | ||
| − | |||
| − | |||
|} | |} | ||
Latest revision as of 15:54, 30 March 2017
| Time | Narration |
| 00:02 | सर्वेभ्यः नमस्कारः।,लिब्रे आफीस मध्ये सञ्चिकापरिष्करणावसरे ट्र्याक-परिवर्तनविषये विद्यमानेऽस्मिन् पाठे भवद्भ्यः स्वागतम्। |
| 00:09 | पाठेऽस्मिन् वयं लिब्रे आफीस रैटर मध्ये सञ्चिकापरिष्करणं कथं भवति इति ज्ञास्यामः। |
| 00:16 | अहम्, 'Record Changes' इति विकल्पस्य साहाय्येन सञ्चिकायाः विस्तृतपरिष्करणं कथं करणीयमिति एतावता एव स्थितां सञ्चिकाम् उद्घाट्य विवृणोमि। |
| 00:26 | वैशिष्ट्यस्यास्य प्रयोगेन परिशीलनकर्ता टिप्पणीं (Comments) कर्तुं, लेखं योजयितुं, तत्रस्थलेखं नाशयितुं परिवर्तयितुं वा शक्नोति। अपि च एतत्सर्वं तस्यामेव सञ्चिकायां दृश्यते। |
| 00:40 | एताः क्रियाः लेखकः सुलभतया दृष्टुं शक्नोति अपि च परिष्कारं स्वीकर्तुं वा निरस्तुं वा शक्नोति। एतेन सर्वं बहुधा परिशीलनीयमिति न भवति। |
| 00:53 | अपि च यदा सञ्चिका रक्षिता भवति तदा टिप्पण्यः अपि रक्षिताः भवतिः। |
| 00:57 | अतः, अधुना वयम् एतत् कथं कर्तव्यमिति पश्यामः। |
| 01:02 | अत्र वयम् अस्माक् आपरेटिंग् सिस्टम् रूपेण GNU लिनक्स अपि च लिब्रे आफीस सूट् 3.3.4 इत्यस्य उपयोगं कुर्मः। |
| 01:10 | अस्मिन् पाठे वयं एतावता एव रक्षिते सञ्चिके उपयुञ्ज्महे। ते, |
| 01:16 | Seven-reasons-to-adopt-FOSS.odt Government-support-for-FOSS-in-India.odt |
| 01:24 | रैटर् इत्यस्य आरम्भार्थं क्रमशः Applications - Office - LibreOffice Writer इत्यत्र नुदन्तु। |
| 01:34 | 'Seven-reasons-to-adopt-FOSS.odt' इतीमम् उद्घाटयन्तु। |
| 01:41 | 'Record Changes' इति विकल्पं व्यवस्थापयितुं क्रमशः EDIT अपि च CHANGES इति नुत्वा तत्र Record इति विकल्पं चिन्वन्तु। |
| 01:53 | SHOW इति विकल्पमपि चिन्वन्तु। एतेन प्रत्येकमपि परिष्कारः रक्षितः भवति। |
| 02:01 | सञ्चिकायां द्वितीयांशं योजयामः। |
| 02:05 | वयं द्वितीयांशं गत्वा “Linux is a virus resistant operating system since each user has a distinct data space and cannot directly access the program files” इति टङ्कयामः। |
| 02:36 | Enter नुदन्तु, एतेन एतावता एव यः द्वितीयांशत्वेन अस्ति सः तृतीयांशः भवति। |
| 02:42 | पश्यन्तु, अधुना अस्माभिः लिखितलेखः अपरवर्णे अस्ति। |
| 02:46 | अस्य लेखस्य उपरि मौस स्थापयन्तु। भवन्तः समयदिनाङ्काभ्यां सह “Inserted: sriranjani” इति सन्देशं पश्यन्ति। |
| 02:55 | अर्थात्, सञ्चिका, टिप्पणिकर्तॄन् सर्वान् सङृह्णाति इति। अत्र, लिब्रे आफीस् इत्यस्य संस्थापनसमये यत् नाम दत्तं तन्नम दृश्यते। |
| 03:08 | प्रथमपङ्क्त्यां “avalable” इत्येतत् परिष्कुर्वन्तु। भवन्तः अत्र परिष्कारं पश्यन्तः सन्ति। |
| 03:17 | प्रथमांशे विद्यमानं “It can be installed on all computers without restriction or needing to pay license fees to vendors” इति वाक्यं नाशयन्तु। |
| 03:31 | पश्यन्तु, अत्र यत् वाक्यं वयं नाशितवन्तः तत् वाक्यं नष्टं न अभवत्, किन्तु नाशयितुं सूचयन्ती काचित् रेखा दृश्यते। |
| 03:39 | अधुना तस्योपरि कर्सर् नयन्तु, अत्र वयं समयदिनाङ्काभ्यां सह “Deleted Ranjani:” इति सन्देशं पश्यामः। |
| 03:49 | एवमेव, योजनं, नाशनं, परिवर्तनं इत्यादिभिः द्वारा वयं सञ्चिकामेकां परिष्कर्तुं शक्नुमः। |
| 04:00 | एकामेव सञ्चम्काम् अनेके अपि परिष्कर्तुं शक्नुवन्ति। |
| 04:04 | LO रैटर प्रत्येकमपि परिष्कारं विविधवर्णैः द्योतयति। एतेन पाठकः विविधविमर्शकान् अभिज्ञातुं शक्नोति। |
| 04:13 | परिष्कृतलेखस्य उपरि कर्सर् नयनेनापि वयं परिष्कर्तृनाम दृष्टुं शक्नुमः। |
| 04:19 | अहमधुना गुरुः इत्यनेन एतावता एव परिष्कृतां सञ्चिकाम् उद्घाट्य इदं विवृणोमि। |
| 04:27 | “Government-support-for-FOSS-in-India.odt” इति लेखसञ्चिकाम् उद्घाटयन्तु। |
| 04:35 | अस्यां सञ्चिकायां वयं एतावता एव कृतान् परिष्कारान् दृष्टुं शक्नुमः। |
| 04:42 | तेषाम् उपरि कर्सर् नयनेन ते परिष्काराः गुरुः इत्यनेन कृताः इति ज्ञायते। |
| 04:52 | अधः अपरमेकम् अंशं एवं योजयन्तु, “CDAC, NIC, NRC-FOSS are institutions of Government of India which develop and promote FOSS”. |
| 05:18 | पश्यन्तु, गुरुणा कृतपरिष्काराणां वर्णात्, अधुना कृतपरिष्कारस्य वर्णः भिन्नः अस्ति। |
| 05:24 | एतस्य उपरि कर्सर् नयनेन “Inserted: Ranjani” इति सन्देशं वयं पश्यामः। |
| 05:29 | एवमेव एकामेव सञ्चिकां बहवः परिष्कर्तुं शक्नुवन्ति। |
| 05:34 | एतां सञ्चिकां न रक्षयित्वा पिदधतु। |
| 05:45 | अधुना वयं लेखकः विमर्शकेन कृतं परिष्कारं कथं स्विकरोति अथवा तिरस्करोति इति पश्यामः। |
| 05:50 | अधुना अहमेव लेखकः इति चिन्तयन्तु, अपि च “Government-support-for-FOSS-in-India.odt” इत्यस्यां सञ्चिकायां गुरुणा कृतान् परिष्कारान् स्वीकुर्मः अथवा तिरस्कुर्मः। |
| 06:12 | द्वितीयांशं गत्वा तत्र reasons इति नाशितस्य लेखस्य उपरि रैटक्लिक् कृत्वा तत्र Accept Changes इति चिन्वन्तु। |
| 06:22 | पश्यन्तु, विमर्शकेन सूचिता नाशनप्रक्रिया अङ्गीकृता, लेखः नष्टः च। |
| 06:28 | needs इति योजितलेखस्य उपरि रैट् क्लिक् कृत्वा Accept Change इति चिन्वन्तु। पश्यन्तु, विमर्शकेन सूचिता योजनप्रक्रिया अङ्गीकृता, लेखः युक्तः च। |
| 06:39 | एवं विमर्शकेन सूचितपरिष्काराः स्वीकर्तुं निराकर्तुं वा शक्नुमः। |
| 06:49 | प्रथमम् अंशं गत्वा तत्र “The OpenOffice document standard (ODF) has been notified under this policy” इति नाशितलेखस्य उपरि रैट् क्लिक् कृत्वा तत्र Reject change इति चिन्वन्तु। |
| 07:01 | एतेन लेखः सामान्यलेखः भवति। अर्थात् विमर्शकेन सूचितं परिवर्तनं तिरस्कृतमिति। |
| 07:09 | पञ्चमम् अंशं गत्वा तत्र “Government Schools in these states and in Orissa, Karnataka and Tamil Nadu learn Linux” इति वाक्यस्योपरि रैट् क्लिक् कृत्वा तत्र Reject change इति चिन्वन्तु। |
| 07:24 | एतेन विमर्शकेन योजितं वाक्यं नष्टं भवति। |
| 07:27 | एवं विमर्शकेन सूचितपरिष्काराः स्वीकर्तुं निराकर्तुं वा शक्नुमः। |
| 07:34 | अन्ततः, सर्वविधपरिष्काराणां स्वीकरण-तिरस्करणानन्तरं क्रमशः EDIT अपि च CHANGES इत्यत्र गत्वा तत्र Record अपि च Show इत्येतयोः द्वयोः कृते अपि स्थापितं चिह्नं निष्कासयन्तु। |
| 07:56 | यदा चिह्नं निष्कासयामः तदा अग्रिमाः न केऽपि परिष्काराः दृश्यन्ते। |
| 08:00 | सकलपरिवर्तनानि परिशील्य सञ्चिकां रक्षन्तु। एतेन विमर्शकस्य सर्वविधटिप्पण्यः सञ्चिकायाम् अन्विताः भवन्ति। |
| 08:09 | एतेन वयं अस्य पाठस्यान्तं प्राप्तवन्तः। अन्ते अभ्यासः, |
| 08:16 | एकां सञ्चिकाम् उद्घाट्य तत्र Record Changes मोड् मध्ये अक्षरदोषान् सम्यक् कुर्वन्तु। |
| 08:25 | अहमत्र एतावता एव अभ्यासं रचितवान् अस्मि। |
| 08:31 | अधस्थे लिंक मध्ये विद्यमानं वीडियो स्पोकन ट्युटोरियल् इत्यस्य सारांशं वदति। |
| 08:36 | यदि भवतां समीपे उत्तमं ब्यांड्विड्त् नास्ति तर्हि इदम् अवचित्य पश्यन्तु। |
| 08:40 | अयं प्रकल्पः ट्युटोरियल उपयुज्य कार्यशालां चालयति। ये च आनलैन परीक्षायां उत्तीर्णाः भवन्ति तेभ्यः प्रमाणपत्रमपि ददाति। |
| 08:48 | अधिकं ज्ञातुं contact@spoken-tutorial.org इति अणुसङ्केताय लिखन्तु। |
| 08:54 | स्पोकन ट्युटोरियल प्रकल्पः टाक् टु अ टीचर इति प्रकल्पस्य भागः अस्ति। प्रकल्पमिमं राष्ट्रियसाक्षरतामिषन ICT, MHRD भारतसर्वकारः इति संस्था समर्थितवती अस्ति। |
| 09:03 | अधिकविवरणार्थं spoken hyphen tutorial dot org slash NMEICT hyphen Intro इत्यत्र पश्यन्तु। |
| 09:14 | पाठस्यास्य अनुवादकः प्रवाचकश्च ऐ ऐ टी बाम्बेतः वासुदेवः। धन्यवादः। |