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| इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे मां या शिशु का ख्याल रखने वाले लिए का शिशु के नहलाने से पहले और नहलाने के दौरान की कुछ सुरक्षा टिप्पणियां
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| इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे
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मां या शिशु का ख्याल रखने वाले के लिए  
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शिशु को नहलाने से पहले और नहलाने के दौरान की कुछ सुरक्षा टिप्पणियां
  
 
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| शिशु को कब पहली बार कब नहलाया जाए और गीले कपड़े से उसको कैसे पोंछा जाए,
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| शिशु को पहली बार कब नहलाया जाए, गीले कपड़े से उसके शरीर को कैसे पोंछा जाए,
  
 
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|  रोज का नहलाना और पारंपरिक तरीके से नहलाना,
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|  रोज का नहलाना, पारंपरिक तरीके से नहलाना,
  
 
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|  पहाड़ों या ठंडे इलाकों वाले शिशुओं को नहलाना और क्रैडल कैप।
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|  पहाड़ों या ठंडे इलाकों के शिशुओं को नहलाना और क्रैडल कैप।
  
 
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|  जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून कटे हुए होने चाहिए और
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|  जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून हमेशा कटे होने चाहिए और
  
 
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|  उन्हें अंगूठी घड़ी चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए  
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|  उन्हें अंगूठी, चूड़ियां या  घड़ी नहीं पहननी चाहिए  
 
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| क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है
 
| क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है
 
  
 
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| तो पहली बार शिशु को कब नहलाना चाहिए?
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| तो शिशु को पहली बार कब नहलाना चाहिए?
  
 
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| प्रसव के 48 घंटे के बाद मां शिशु को गीले कपड़े पोंछ सकती है।
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| प्रसव के 48 घंटों के बाद मां, शिशु का शरीर गीले कपड़े से पोंछ सकती है।
  
 
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| याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक शिशु को गीले कपड़े से ही शिशु को पोंछे।
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| याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक गीले कपड़े से ही शिशु का शरीर पोंछे।
  
 
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| गर्भनाल गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु रोज नहला सकता है।
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| गर्भनाल के गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु को रोज नहला सकता है।
  
 
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| पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो जब तक 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे।
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| पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो तो जब तक वजन 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे।
  
 
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| चलिए देखते हैं गीले कपड़े से कैसे पोंछा जाए।
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| चलिए देखते हैं की गीले कपड़े से शिशु का शरीर कैसे पोंछा जाए।
  
 
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| शुरू करने से पहले याद रखें शुरू करने से पहले कमरे की सभी खिड़कियाँ बंद कर दें ताकि कमरा गरम रहे।
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| शुरू करने से पहले याद से कमरे की सभी खिड़कियाँ बंद कर दें ताकि कमरा गरम रहे।
  
 
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| एक मुलायम साफ सूखा का कपड़ा तैयार रखें।
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| एक मुलायम साफ सूखा का कपड़ा तैयार रखें।
  
 
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| पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
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|नहाने का पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
  
 
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|मां को पानी का तापमान अपनी कोहनी से या कलाई से जांचना चाहिए।
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| पानी का तापमान मां को अपनी कोहनी से या कलाई से जांचना चाहिए।
  
 
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| और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए और पहले साबुन का पानी इस्तेमाल करें।
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| और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए पहले साबुन का पानी इस्तेमाल करें।
  
 
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| साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन यह खास शिशु को नहलाने के लिए साबुन इस्तेमाल करें।
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| साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन या खास शिशु को नहलाने के लिए साबुन इस्तेमाल करें।
  
 
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| शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे।
शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे।
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| गर्दन के आस-पास हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग साफ करें।
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| गर्दन के आस-पास, हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग भी साफ करें।
  
 
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| अब हम बात करेंगे उसको नहलाने की।
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| अब हम बात करेंगे रोज़ के नहलाने की।
  
 
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| याद रखें शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं।
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| याद रखें स्वस्थ शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं।
 
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| रोज के नहाने के लिए रोज का बड़ा टब इस्तेमाल हो तो उसके अंदर 2 इंच का साबुन का पानी भरे।
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| रोज के नहाने के लिए अगर आपको बड़ा टब इस्तेमाल करना हो तो उसके अंदर 2 इंच तक साबुन का पानी भरे।
  
 
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| इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले  
 
| इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले  
 
  
 
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| और एक अलग टब में ताजा पानी ले
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| और एक अलग टब में ताजा पानी रखें
  
 
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| और फिर कोहनी से दोनों टब के पानी का तापमान देखें।
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| फिर कोहनी से दोनों टबों के पानी का तापमान देखें।
  
 
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| तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे।
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| तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को साबुन के पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे।
  
 
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| सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें।
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| सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग और खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें।
  
 
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|  फिर हल्के हाथ ताजे पानी से साबुन निकालें।
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|  फिर हल्के हाथ से ताजे पानी के साथ साबुन निकालें।
  
 
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|  और फिर शरीर के सिलवट पढ़ने वाले भाग को और गुप्त अंग को भी साफ करें और जहां सबसे ज्यादा मैल होता है।
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|  और फिर शरीर पर सिलवट पड़ने वाले अंग और गुप्त अंग भी साफ करें जहां सबसे ज्यादा मैल होती है।
  
 
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| पर मां हो या शिशु का ख्याल रखने वाले को पारंपरिक तरीके से नहलाना तो फर्श पर बैठकर अपनी टांगों को खोलें  
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| पर अगर मां को या शिशु के ख्याल रखने वाले को पारंपरिक तरीके से नहलाना हो  तो फर्श पर बैठकर अपनी टांगों को खोलें  
  
  
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| शिशु के पैर मां की पेट की तरफ होने चाहिए।
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| शिशु के पैर मां के पेट की तरफ होने चाहिए।
  
 
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| नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ और मुलायम कपड़े से पोंछे।
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| नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ, मुलायम तौलिये से पोंछे।
  
 
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| पाउडर ना लगाएं खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं।
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| पाउडर ना लगाएं, खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं।
  
 
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| इससे शिशु के आंखों के अंदर जहर फैल सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है
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| इससे शिशु के अंदर सीसे का जहर फैल सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है।
  
 
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| इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक इन्हें रोज गीले कपड़े से ही पोंछें
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| इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक रोज गीले कपड़े से ही पोंछें
  
 
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| पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या देखरेख करने वाले के नंगे शरीर के साथ बिना कपड़े के शिशु को रखें।
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| पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या ख्याल रखने वाले के नंगे शरीर के साथ बिना कपड़े पहने शिशु को रखें।
  
 
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| याद रखें हफ्ते में दो ही बार शैम्पू करें।
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| याद रहे हफ्ते में दो ही बार शैम्पू करें।
  
 
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| नहीं तो सर पर खुश्की हो जाएगी।
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| नहीं तो सर पर खुश्की हो जाएगी।
  
 
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| कभी-कभी नवजात शिशु की सिर की चमड़ी पपड़ी वाली चमड़ी या धब्बे या मछली के चमड़ी जैसी हो सकती है इसे क्रैडल कैप कहते हैं।
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| कभी-कभी नवजात के सिर की चमड़ी, पपड़ी वाली धब्बे या मछली की चमड़ी जैसी हो सकती है। इसे क्रैडल कैप कहते हैं।
  
 
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| यह अपने आप ठीक हो जाएगा इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है।
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| यह अपने आप ठीक हो जाएगा। इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है।
  
 
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| खास शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है।
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| खास, शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है।
 
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| फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले इससे शिशु का सिर धोएँ  
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| फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले उससे शिशु का सिर धोएँ  
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| शिशु के नहलाने का तरीका का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है आईआईटी मुंबई से में बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए 
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| शिशु को नहलाने के तरीका का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है। आईआईटी मुंबई से में बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।
 धन्यवाद।
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Latest revision as of 18:15, 22 January 2020

Time
Narration
00:00 नवजात शिशु को नहलाने के तरीके के इस स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है।
00:06 इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे

मां या शिशु का ख्याल रखने वाले के लिए

शिशु को नहलाने से पहले और नहलाने के दौरान की कुछ सुरक्षा टिप्पणियां

00:15 शिशु को पहली बार कब नहलाया जाए, गीले कपड़े से उसके शरीर को कैसे पोंछा जाए,
00:20 रोज का नहलाना, पारंपरिक तरीके से नहलाना,
00:23 पहाड़ों या ठंडे इलाकों के शिशुओं को नहलाना और क्रैडल कैप।
00:32 पहली बार जब हम मां-बाप बनते हैं तो हम सबको शिशु को नहलाने की चिंता रहती है।
00:37 शिशु को बहुत ध्यान से नहलाना चाहिए।
00:42 एक भी गलत कदम शिशु को हानि पहुंचा सकता है।
00:46 हम सबसे पहले शिशु को नहलाने से पहले की सुरक्षा टिप्पणियां जानेंगे -
00:54 जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून हमेशा कटे होने चाहिए और
01:02  उन्हें अंगूठी, चूड़ियां या घड़ी नहीं पहननी चाहिए
01:07 क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है
01:11 तो शिशु को पहली बार कब नहलाना चाहिए?
01:16 प्रसव के 48 घंटों के बाद मां, शिशु का शरीर गीले कपड़े से पोंछ सकती है।
01:22 याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक गीले कपड़े से ही शिशु का शरीर पोंछे।
01:29 गर्भनाल के गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु को रोज नहला सकता है।
01:38 पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो तो जब तक वजन 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे।
01:49 चलिए देखते हैं की गीले कपड़े से शिशु का शरीर कैसे पोंछा जाए।
01:53 शुरू करने से पहले याद से कमरे की सभी खिड़कियाँ बंद कर दें ताकि कमरा गरम रहे।
02:00 एक मुलायम साफ सूखा का कपड़ा तैयार रखें।
02:07 शिशु को एक सुरक्षित चपटी जगह पर रखें।
02:12 फ़र्श सबसे सुरक्षित जगह होती है।
02:15 शिशु को ऊंची जगह पर कभी ना रखें।
02:19 नहाने का पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
02:26 पानी का तापमान मां को अपनी कोहनी से या कलाई से जांचना चाहिए।
02:32 और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए पहले साबुन का पानी इस्तेमाल करें।
02:37 साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन या खास शिशु को नहलाने के लिए साबुन इस्तेमाल करें।
02:45 फिर साबुन उतारने के लिए साफ पानी ले।
02:50 अब छोटे मुलायम कपड़े को पानी में भिगोएँ और निचोड़े।
02:56 फिर शिशु की आंखें अंदर से बाहर की तरफ साफ करें।
03:02 पर उसी कपड़े से शरीर के बाकी भाग ना साफ करें।
03:06 एक अलग ताजे मुलायम साफ कपड़े से शरीर के बाकी भाग साफ करें।
03:12 शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे।
03:18 गर्दन के आस-पास, हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग भी साफ करें।
03:25 अब हम बात करेंगे रोज़ के नहलाने की।
03:31 याद रखें स्वस्थ शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं।
03:39 रोज के नहाने के लिए अगर आपको बड़ा टब इस्तेमाल करना हो तो उसके अंदर 2 इंच तक साबुन का पानी भरे।
03:48 इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले
03:58 और एक अलग टब में ताजा पानी रखें
04:03 फिर कोहनी से दोनों टबों के पानी का तापमान देखें।
04:09 तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को साबुन के पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे।
04:22  शिशु को टब में बैठने के बाद टब में पानी ना भरें।
04:27 सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग और खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें।
04:35 फिर हल्के हाथ से ताजे पानी के साथ साबुन निकालें।
04:39 और फिर शरीर पर सिलवट पड़ने वाले अंग और गुप्त अंग भी साफ करें जहां सबसे ज्यादा मैल होती है।
04:47 आखिरकार हल्के से पूरे शरीर को ताजे पानी से धोएँ।
04:53 पर अगर मां को या शिशु के ख्याल रखने वाले को पारंपरिक तरीके से नहलाना हो तो फर्श पर बैठकर अपनी टांगों को खोलें


05:06 फिर शिशु को टांगों पर रखें।
05:09  शिशु का सिर माँ के पैरों की तरफ और
05:14 शिशु के पैर मां के पेट की तरफ होने चाहिए।
05:20 अब शिशु नहलाने के लिए सही स्थिति में है।
05:24 नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ, मुलायम तौलिये से पोंछे।
05:30 जैसे पहले बताया है शरीर के सिलवटें वाले भाग को भी पोंछे।
05:35 पाउडर ना लगाएं, खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं।
05:40 पाउडर से नवजात शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
05:45 आंखों में सुरमा और काजल भी ना लगाएं।
05:49 इससे शिशु के अंदर सीसे का जहर फैल सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है।
05:56 अब देखेंगे पहाड़ों और ठंडे इलाकों में रहने वाले शिशुओं की देखरेख
06:04 इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक रोज गीले कपड़े से ही पोंछें
06:11 पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या ख्याल रखने वाले के नंगे शरीर के साथ बिना कपड़े पहने शिशु को रखें।
06:20 इससे शिशु के शरीर का तापमान कम होने से बचेगा।
06:25 याद रहे हफ्ते में दो ही बार शैम्पू करें।
06:30 नहीं तो सर पर खुश्की हो जाएगी।
06:35 कभी-कभी नवजात के सिर की चमड़ी, पपड़ी वाली धब्बे या मछली की चमड़ी जैसी हो सकती है। इसे क्रैडल कैप कहते हैं।
06:45  यह धब्बे लाल भी हो सकते हैं।
06:50 क्रैडल कैप की चिंता ना करें।
06:54 यह अपने आप ठीक हो जाएगा। इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है।
06:59 खास, शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है।
07:04 पर पपड़ी पर थोड़ा ही तेल मले।
07:09 ज्यादा तेल से हालत खराब हो सकती है।
07:12 फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले उससे शिशु का सिर धोएँ
07:20 और 1 घंटे बाद हल्के से मुलायम कंघी से बाल बनाएं।
07:27 पपड़ी को कभी भी ना खींचे नहीं तो शिशु को चोट लग सकती है या फिर इंफेक्शन हो सकता है
07:33 शिशु को नहलाने के तरीका का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है। आईआईटी मुंबई से में बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।

Contributors and Content Editors

Bellatony911, Sakinashaikh