Difference between revisions of "Health-and-Nutrition/C2/Breastfeeding-latching/Hindi"

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| स्तन से जुडाव पर स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है।  
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| स्तनपान कराने के लिए '''मुंह की पकड़''' पर '''Spoken Tutorial''' में आपका स्वागत है।  
  
 
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|इस ट्यूटोरियल में हम बच्चे के स्तन से अच्छे से जुड़ने के लिए सही तकनीक और स्तनपान बारंबारता के बारे में सीखेंगे।
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| इस ट्यूटोरियल में, हम शिशु के स्तन से गहरे जुड़ाव के लिए मुंह की पकड़ के बारे में सीखेंगे और जानेंगे कि स्तनपान कितनी बार कराया जाए।
  
 
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| शुरू करने से पहले ध्यान दें कि प्रभावी स्तनपान के लिए सही जुड़ाव बहुत ज़रूरी है।  
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| शुरू करने से पहले, ध्यान दें कि एक असरदार स्तनपान के लिए मुंह की पकड़ बहुत जरूरी है।
  
 
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| 00:29
| बच्चे के मुंह का स्तन से सही जुड़ाव नहीं होगा तो केवल निप्पल द्वारा दूध पीयेगा।
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|   शिशु के मुंह का स्तन से गलत जुड़ाव से होने की वजह से सिर्फ निप्पल से स्तनपान होगा।
  
 
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| इससे बच्चे को बहुत कम दूध मिलेगा।  
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| इससे शिशु को बहुत कम दूध मिलेगा।
  
 
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|जबकि स्तन के areola के निचले भाग से बच्चे के अच्छे जुड़ाव से बच्चे को सही मात्रा में दूध मिलेगा।  
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| जबकि स्तन के एरियोला के निचले हिस्से से गहरे जुड़ाव से शिशु को काफी दूध मिलेगा।
  
 
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| 00:50
|ध्यान दें- areola निप्पल के चारों ओर का गहरे रंग वाला भाग है।  
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| ध्यान दें कि एरियोला निप्पल से आसपास का काला भाग है।  
  
 
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| 00:56
| अब शुरू करते हैं, शुरू करने के लिए माँ को अपने बच्चे को सही स्तनपान की स्थिति में रखना चाहिए।
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| आइए शुरू करते हैं। स्तनपान शुरू करने के लिए, मां को अपने शिशु को सही तरह से पकड़ना चाहिए।
  
 
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| 01:05
| ये पकड़ इसी शृंखला के अन्य विडियोज़ में विस्तार से समझाए गए हैं।  
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|   यह सभी पकड़ विस्तार से इसी शृंखला के बाकी ट्यूटोरियल में बताए गए हैं।
  
 
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यह ट्यूटोरियल क्रॉस क्रैडल होल्ड का उपयोग करके समझाया जायेगा।
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इस ट्यूटोरियल्स को “क्रॉस क्रेडल पकड़” के जरिये समझाया जाएगा।
  
 
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|  01:16
| याद रखें बच्चे को सही स्थिति में रखना सफल जुड़ाव और स्तनपान के लिए आवश्यक है।
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|   याद रहे, शिशु के मुंह की सही पकड़ और सफल स्तनपान करने के लिए जरूरी है कि उसे सही तरह से पकड़ा जाए।
  
 
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|  01:24
| इस पिक्चर में, माँ बच्चे को ठीक से क्रॉस क्रैडल होल्ड में पकड़े हुए है।  
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|   इस चित्र में, माँ ने शिशु को क्रॉस क्रेडल पकड़ में सही तरह से पकड़ा हुआ है।
  
 
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|  01:31
 
|  01:31
| और बच्चा स्तनपान के लिए तैयार है।  
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| और, शिशु भी स्तन से जुडने के लिए तैयार है।
  
 
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|  01:35
 
|  01:35
| जुड़ाव से पहले यह ज़रूरी है कि बच्चा जम्भाई की तरह अपना बड़ा मुंह खोले।
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| जुडने से पहले जरूरी है, कि शिशु अपना मुंह पूरी तरह खोले जैसे उबासी लेते वक्त।
  
 
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|  01:42
 
|  01:42
|क्यों ? एक वयस्क को वडा पाव या बर्गर खाते हुए देखकर इसे समझते हैं।
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| क्यूँ? आइये समझते है कि एक बड़ा पाव या बर्गर खाते हुए उम्र में बड़े इंसान को देख कर।
  
 
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|  01:49
| हम वड़ा पाव या बर्गर का बड़ा निवाला लेने के लिए अपना मुंह बड़ा खोलते हैं।  
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| हम बड़ा पाव या बर्गर खाने के लिए हम अपना मुंह पूरा खोलते हैं।
  
 
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|  01:56
 
|  01:56
|उसी प्रकार बच्चा यदि बड़ा मुंह खोलता है तो स्तन का अधिक भाग मुंह में ले सकता है।
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| उसी तरह, पूरा मुंह खुला हुआ शिशु अपने मुंह में स्तन का बड़ा सा हिस्सा ले पाएगा।
  
 
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|  02:04
 
|  02:04
|बच्चे के बड़े मुंह खोलने के लिए, माँ अपने निप्पल से उसके ऊपर वाले होंठ पर थोडा सा स्पर्श करना चाहिए जब तक वो अपना मुंह बड़ा न खोले।
+
| शिशु को उकसाएँ कि वह पूरा मुंह खोले और इसके लिए मां अपने निप्पल को शिशु के ऊपरी होंठ पर हल्के से छुए, जब तक कि शिशु अपना पूरा मुंह ना खोले।  
  
 
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|  02:16
 
|  02:16
| सब्र रखें, कभी-कभी बच्चे को मुंह बड़ा खोलने में कुछ सेकंड्स से 2 मिनट तक लग सकते हैं।
+
| धीरज रखें। शिशु का पूरा मुंह खुलने में कभी कभी कुछ पल लगते हैं और कभी 2 मिनट।
  
 
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|  02:25
 
|  02:25
| याद रखें, स्तनपान की कोई भी स्थिति के लिए- माँ की उँगलियाँ और अंगूठा, स्तन को पकड़ते हुए हमेशा बच्चे के होंठ के समानांतर होना चाहिए।  
+
| याद रहे, स्तनपान के किसी भी स्थिति में स्तन को पकड़ते हुए, मां की उंगलियां और अंगूठा हमेशा शिशु के होंठों के एकदम सामने होना चाहिए।  
  
 
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| 02:36
 
| 02:36
| जब बच्चा अपना मुंह बड़ा खोले तो उसका नीचे वाला होंठ ऐरीओला के तल पर होना चाहिए।
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|   जब शिशु अपना मुंह पूरी तरह खोलेगी तो उसके निचले होंठ को एरियोला के निचले हिस्से को छूना चाहिए
  
 
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| 02:43
 
| 02:43
| और निप्पल उसके मुंह के ऊपर की ओर होनी चाहिए न कि उसके मुंह के बीच में।  
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| और निप्पल की दिशा उसके मुंह के ऊपरी तरफ होनी चाहिए, की उसके मुंह के बीच में।
  
 
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|  02:50
 
|  02:50
| अब माँ को अपना स्तन जल्दी से बच्चे के मुंह में रखना चाहिए।
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| अब मां को चाहिए अब जल्दी से अपना स्तन शिशु के मुंह में डाल दे।
  
 
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| 02:55
 
| 02:55
| उसे पहले बच्चे के सर को थोडा सा बाहर की तरफ मोड़ते हुए उसकी ठुड्डी को स्तन में दबाना चाहिए।
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| पहले हल्के हाथ से शिशु के सिर को पीछे खींचते हुए उसकी ठुड्डी को अपने स्तन से लगवाएं।
  
 
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| 03:02
 
| 03:02
| उसको अपनी पीठ को ही मोड़ना चाहिए या न ही अपने स्तन को बच्चे के मुंह तक ले जाना चाहिए।
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|   उसे अपनी पीठ को ना ही झुकाना चाहिए और ना ही स्तन को शिशु के मुंह में धकेलना चाहिए।
  
 
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| 03:08
 
| 03:08
| बच्चे के कंधे के पीछे से हल्का जोर लगा कर बच्चे को स्तन तक लायें।
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| हल्के हाथ से शिशु को कंधे से उठाते हल्के हाथ से शिशु के कंधों पर पीछे से उठाते हुए अपने स्तन पर लाएं।
  
 
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| 03:15
 
| 03:15
| जुड़ाव में महत्वपूर्ण बात है कि माँ के ऐरीओला का निचला भाग बच्चे के मुंह में होना चाहिए।  
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| मुंह की पकड़ में सबसे जरूरी है बात यह है कि एरियोला का निचला हिस्सा शिशु के मुंह में होना चाहिए।  
  
 
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| 03:25
 
| 03:25
| यह निप्पल को बच्चे के मुंह में आरामदायक भाग में पहुँचाने में मदद करेगा।
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| इससे निप्पल शिशु के मुंह के अंदर आरामदायक जगह पर पहुँचेगा।
  
 
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| 03:31
 
| 03:31
| बच्चे को उसके नीचे वाले होंठ से ऐरीओला को जीभ से दबाना चाहिए।  
+
| शिशु को अपनी जीभ से उसके निचले होंठ के सामने वाले से एरियोला के भाग को दबाना चाहिए।
  
 
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|   03:37
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| 03:37
|इससे दूध की नलिकाओं पर दबाव पड़ेगा और ज्यादा दूध बाहर आएगा।
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| इससे दूध की बड़ी वाली नलियाँ दबेगी उससे ज्यादा दूध निकलेगा।
  
 
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| 03:42
 
| 03:42
| अगला स्टेप यह जाँचना है कि बच्चा स्तन से अच्छे से जुड़ा हुआ है या नहीं।  
+
| अगली जांचने वाली बात यह है कि शिशु का स्तन से गहरा जुड़ाव है या नहीं।
  
 
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| 03:48
 
| 03:48
| अच्छे जुडाव को निश्चित करने के लिए माँ को निम्न संकेत देखने चाहिए:
+
| गहरे जुड़ाव के लिए मां को बताई गई बातों को ध्यान देना चाहिए:
  
 
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| 03:54
 
| 03:54
| बच्चे का मुंह बड़ा खुला हो।
+
| क्या शिशु का मुंह पूरा खुला है,
  
 
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|  03:57
 
|  03:57
| बच्चे के ऊपर वाले होंठ के पास दिखने वाला ऐरीओला का भाग बच्चे के नीचे वाले होंठ के पास से ज़्यादा होना चाहिए।
+
| क्या एरियोला का भाग शिशु के ऊपरी होंठ के पास ज्यादा दिखता है और निचले होंठ के पास कम।
  
 
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| 04:06
 
| 04:06
बच्चे की ठुड्डी माँ के स्तन में पूरी तरह घुसी होनी चाहिए।
+
क्या शिशु की ठुड्डी मां के स्तन में गड़ी हुई है।
  
 
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|  04:11
 
|  04:11
| बच्चे का जबड़ा स्पष्ट रूप से नीचे की ओर आता है जब वो दूध पीता है।  
+
| दूध  निगलते  समय क्या उसका जबड़ा पूरी तरह नीचे जाता है।
  
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+
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|  04:16
 
|  04:16
| और बच्चे का नीचे वाला होंठ बाहर की दिशा में मुड़ा हुआ हो।
+
| और क्या उसका निचला होंठ बाहर की तरफ मुड़ा हुआ है।
  
 
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|  04:22
 
|  04:22
| यद्यपि यह स्तन से अच्छे से जुड़े हुए बच्चे में ज्यादातर छिपा होता है।
+
| हालांकि अच्छे से जुड़े हुए शिशु का निचला होंठ अधिकतर मां के स्तन में छिप जाता है।
  
 
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|  04:28
 
|  04:28
| इस स्थिति में बच्चे के नीचे वाले होंठ के पास से स्तन को धीरे से दबा कर देखे और जाँचें कि क्या बच्चे का नीचे वाला होंठ बाहर की तरफ मुड़ा हुआ है।  
+
| ऐसे में अपने स्तन को शिशु के निचले होंठ के पास हल्के से दबा कर देखिए कि क्या उसका निचला होंठ बाहर की तरफ मुड़ा हुआ है।
  
 
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| 04:41
 
| 04:41
| आगे बच्चे की नाक को देखें। यदि बच्चे की नाक माँ के स्तन के विरुद्ध दबी हो तो-
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| अब शिशु की नाक देखिए। अगर उसकी नाक मां के स्तन में गड़ी है, तो-
  
 
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| 04:49
 
| 04:49
| माँ बच्चे का सर धीरे से बाहर की तरफ मोड़ सकती है जिससे कि बच्चे की ठुड्डी स्तन में और दब जाए।
+
| मां हलके से शिशु का सर पीछे खींचे ताकि उसकी ठुड्डी और ज्यादा मां के स्तन मेँ गड़ पाए,
  
 
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| 04:58
 
| 04:58
| और बच्चे की नाक और माथा स्तन से दूर हो जाते हैं। 
+
| और शिशु की नाक और माथा मां के स्तन से दूर रहे।
  
 
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| 05:04
 
| 05:04
| यह करने से बच्चे का स्तन से जुडाव और अच्छा होगा।
+
| ऐसा करने से, शिशु स्तन से गहरे से जुड़ेगा।
  
 
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| 05:09
 
| 05:09
| बच्चे का पूरा चेहरा स्तन से दूर करें।
+
| शिशु का पूरा चेहरा पीछे खींचे।
  
 
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| 05:13
 
| 05:13
| इससे केवल निप्पल से दूध प्राप्त हो सकता है।
+
| इससे निप्पल से स्तनपान होगा।
  
 
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|  05:16
 
|  05:16
|  याद रखें- स्तनपान माँ के लिए आरामदायक होना चाहिए।  
+
|  याद रखें, स्तनपान मां के लिए आरामदायक होना चाहिए।
  
 
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| 05:21
 
| 05:21
| उसको अपने निप्पल पर नोचना, खींचना या रगड़न महसूस नहीं होनी चाहिए।  
+
| उसे अपने निप्पल पर चुभन खिंचाव या दर्द महसूस नहीं होना चाहिए।
  
 
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| 05:27
 
| 05:27
यदि स्तनपान माँ के लिए कष्टदायक है तो संभवतः बच्चा अच्छे से जुड़ा हुआ नहीं है।  
+
|  स्तनपान माँ के लिए दर्द भरा हो तो इसका मतलब शिशु स्तन से ठीक से नहीं जुड़ा है।
  
 
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|   05:35
+
| 05:35
| अच्छे से न जुड़ने के कुछ सामान्य कारणों में से एक देखते हैं।
+
| देखते हैं स्तन से ठीक से न जुड़ने की कुछ आम वजह।
  
 
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| 05:40
 
| 05:40
बहुत सी माँ अपने ऐरीओला को दबाकर केवल निप्पल बच्चे के मुंह के बीच में रखती हैं।  
+
कई माँ एरियोला को दबाकर सिर्फ निप्पल को शिशु के मुंह के बीच में रखती हैं।
  
 
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| 05:48
 
| 05:48
यहाँ बच्चे का मुंह बड़ा नहीं खुला है।  
+
देखिए इस शिशु का मुँह पूरा नहीं खुला है।
  
 
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|  05:52
 
|  05:52
बच्चा केवल निप्पल से जुड़ पाता है।
+
वह सिर्फ निप्पल से ही जुड़ पाएगा।
  
 
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| 05:56
 
| 05:56
|  यहाँ बच्चे के ऊपर और नीचे वाले होंठ के पास ऐरीओला का समान भाग दिखता है।  
+
|  यहाँ पर एरियोला शिशु के ऊपरी और निचले होंठ के पास एक समान दिख रहा है।
  
 
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| 06:04
 
| 06:04
| बच्चे की ठुड्डी स्तन से अलग है।  
+
| शिशु की ठोड़ी स्तन से दूर है।
  
 
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| 06:07
 
| 06:07
| बच्चे का दूध पीने का तरीका तेज़ है।
+
| शिशु जल्दी-जल्दी लगातार दूध निगल रहा है।
  
 
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|  06:14
 
|  06:14
| स्तनपान के समय बच्चे के गालों पर डिंपल हैं।  
+
| निप्पल चूसते हुए, उसके गालों में गड्ढे पड़ रहे हैं।
  
 
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|  06:17
 
|  06:17
|  उसका जबड़ा स्पष्ट रूप से नीचे नहीं होता जब वो दूध पीता है।  
+
दूध निगलते हुए उसका जबड़ा पूरी तरह नीचे नहीं जा रहा है।
  
 
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|  06:23
 
|  06:23
| और बच्चे के मुंह के कठोर भाग से निप्पल में चुभन और दबाव होता है।
+
|   और निप्पल शिशु के मुंह के सख़्त भाग से दबेगा और चुभेगा भी।
  
 
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|  06:31
 
|  06:31
 
+
| इससे मां को दर्द होगा और निप्पल को चोट भी पहुंचेगी।
| यह माँ के लिए कष्टदायक है और निप्पल पर घाव हो सकता है।
+
  
 
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|  06:37
 
|  06:37
|  निप्पल से पीते समय बच्चा ऐरीओला के नीचे ज्यादा दूध की नलिकाओं से दूध नहीं प्राप्त कर सकता।
+
और, निप्पल से जुड़ने पर शिशु को एरियोला के नीचे वाली, दूध की बड़ी नलियों से दूध नहीं मिलेगा।
  
 
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| 06:45
 
| 06:45
इसलिए बच्चे को पूर्ण मात्रा में दूध नहीं मिल पाता।
+
इसीलिए, शिशु को जरूरत के मुताबिक दूध नहीं मिलता।
  
 
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| 06:50
 
| 06:50
यदि बच्चा केवल निप्पल से पीता है तो,
+
अगर शिशु सिर्फ निप्पल से पीता है तो  
  
 
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|-  
 
| 06:54
 
| 06:54
| माँ को अपनी साफ छोटी ऊँगली बच्चे के मुंह में कोने से डालनी चाहिए।  
+
| मां को एक साफ़ उंगली शिशु के मुंह के कोने से अंदर डालनी चाहिए।
  
 
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| 06:59
 
| 06:59
| उसे इसका उपयोग बच्चे द्वारा निप्पल के खिंचाव को छोड़ने के लिए करना चाहिए।  
+
| और शिशु की निप्पल पर पकड़ छुड़ानी चाहिए।
  
 
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|-  
 
| 07:04
 
| 07:04
| फिर उसे सही जुड़ाव निश्चित करते हुए बच्चे को दोबारा उसी स्तन से जोड़ना चाहिए।
+
| और फिर से शिशु को उसी स्तन पर अच्छे से जोड़ना चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
|  07:11
 
|  07:11
| सही जुड़ाव के बाद - माँ को यह निश्चित कर लेना चाहिए कि बच्चे को सही मात्रा में foremilk और hindmilk दोनों मिलते हैं।
+
| सही जुड़ाव होने पर मां को शिशु को आगे का और पीछे का दूध जरूर देना चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
|  07:19
 
|  07:19
Foremilk पानी जैसा दूध है जो स्तन के अगले भाग में रहता है।
+
आगे का दूध स्तन के आगे होता है और पानी की तरफ हल्का होता है
  
 
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|  07:25
 
|  07:25
| यह पानी और प्रोटीन से बनता है।  
+
|   यह पानी और प्रोटीन से बनता है।
  
 
|-  
 
|-  
 
|  07:29
 
|  07:29
|  यह बच्चे के विकास और मज़बूत बनाने के लिए ज़रूरी है।  
+
|  यह शिशु के बढ़ने और और तंदुरुस्त बनाने के लिए जरूरी है।
  
 
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|-  
 
|  07:36
 
|  07:36
Hindmilk गाढ़ा दूध है जो स्तन के पिछले भाग में होता है।  
+
पीछे का दूध गाढ़ा होता है और स्तन के पिछले भाग में होता है।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 07:42
 
| 07:42
| यह मुख्य रूप से चर्बी से बना होता है।  
+
| यह अधिकतर चर्बी से बना होता है।  
  
 
|-  
 
|-  
 
|  07:46
 
|  07:46
| यह बच्चे के दिमाग के विकास और वज़न बढ़ने के लिए ज़रूरी है।  
+
| और शिशु के बुद्धि के विकास और वजन बढ़ाने के लिए जरूरी होता है।  
  
 
|-  
 
|-  
 
| 07:53
 
| 07:53
| सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे को फोरमिल्क और हाइंडमिल्क मिल रहा है - माँ को बच्चे को दूसरा स्तन देने से पहले,  पहले स्तन से पूरी तरह दूध पिला लेना चाहिए।  
+
|   शिशु को आगे और पीछे का दूध मिलने के लिए मां को पहले एक स्तन से पिला कर और इसे खाली करके ही और दूसरे स्तन से पिलाना चाहिए।  
  
 
|-  
 
|-  
 
|  08:05
 
|  08:05
| जाँचने के लिए कि माँ ने बच्चे को एक स्तन से पूरी तरह दूध पिला लिया है - माँ को हाथ से दबाकर स्तन से दूध निकालना चाहिए।  
+
|   स्तन के पूरी तरह खाली होने की जांच के लिए मां को अपने हाथ से उसी स्तन का खुद निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
 
+
 
|-  
 
|-  
 
|  08:15
 
|  08:15
| यदि स्तन से पलते पानी की तरह दूध आता है,  
+
|   अगर पानी वाला हल्का दूध बाहर आए,
  
 
|-  
 
|-  
|   08:19
+
| 08:19
| या यदि निकालने पर गाढ़ा हाइंडमिल्क आता है।
+
|   या फिर काफी सारा गाढ़ा दूध बाहर आए
  
 
|-  
 
|-  
 
|  08:24
 
|  08:24
| तो माँ को अपने बच्चे को दोबारा उसी स्तन से जोड़ना चाहिए।  
+
| तब, मां को शिशु को दोबारा से स्तन से जोड़ना चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
|  08:29
 
|  08:29
| जब हाथ से निकालने पर गाढ़ा हाइंडमिल्क कम होकर कुछ बूँदे हो जाये।
+
| हाथ से निकाले जाने पर, जब पीछे वाले गाढ़े दूध की कुछ बूंदें निकले तो,
  
 
|-  
 
|-  
 
| 08:35
 
| 08:35
| इसका मतलब है कि माँ अपने बच्चे को उस स्तन से पूरी तरह दूध पिला चुकी है।  
+
| इसका मतलब माँ ने शिशु को उस स्तन से पूरा दूध पिला दिया है।
  
 
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|  08:41
 
|  08:41
| लेकिन दूसरा स्तन देने से पहले, माँ को बच्चे को अपनी गोद में बैठाकर उसके धड़ को थोडा सा आगे की ओर मोड़कर और उसके जबड़े को अपने हाथ में लेकर डकार दिलवानी चाहिए।  
+
|   पर दूसरे स्तन से पिलाने से पहले मां को शिशु को अपने अपनी गोद में बैठाकर हल्के से उसका शरीर आगे झुकाना चाहिए और फिर उसका जबड़ा अपने हाथों से पकड़ कर उसे डकार दिलानी चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
|09:00
 
|09:00
| बच्चे को 2-3 मिनट में डकार लेनी चाहिए।  
+
| शिशु को दो से 3 मिनट में डकार आनी चाहिए।  
  
 
|-  
 
|-  
 
|  09:04
 
|  09:04
| अगर अगले 5 मिनट में डकार नहीं आती तो,
+
| अगर 5 मिनट तक डकार न हो तो,  
  
 
|-  
 
|-  
|   09:08
+
| 09:08
| इसका मतलब है कि बच्चे का स्तन से जुडाव बहुत अच्छा था।
+
|   इसका मतलब है की शिशु स्तन से अच्छे से जुड़ा था।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 09:14
 
| 09:14
| बच्चे ने स्तनपान के दौरान अपने पेट में अधिक मात्रा में हवा नहीं ली है।  
+
| और स्तनपान के समय शिशु ने पेट में ज्यादा हवा नहीं ली है।
 +
 
 
|-  
 
|-  
|   09:21
+
| 09:21
| अब माँ को अपना दूसरा स्तन बच्चे को देना चाहिए।
+
| अब माँ अपना दूसरा स्तन शिशु को दे सकती है।
  
 
|-  
 
|-  
 
|  09:26
 
|  09:26
| यदि बच्चे का पेट भरा होगा तो वो दूसरे स्तन से नहीं पी सकता है।
+
| पर अगर शिशु का पेट भरा हो तो दूसरे स्तन से पिलाने की जरूरत नहीं होगी।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 09:32
 
| 09:32
| लेकिन माँ को स्तनपान के लिए बच्चे को हमेशा दोनों स्तन देने चाहिए।  
+
|   लेकिन मां को स्तनपान कराने के लिए मां को दोनों स्तन देने चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 09:39
 
| 09:39
उसे अंतिम फैसला बच्चे को करने देना चाहिए।  
+
पहले एक खाली करके, फिर दूसरे स्तन से पिलाना चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
|  09:45
 
|  09:45
| यदि स्तनपान के दौरान बच्चा सो जाता है तो माँ को बच्चे के पैर के तलुए पर धीरे से थपथपा कर
+
|   अगर स्तनपान करते हुए शिशु सो जाए तो मां को उसके पैरों के तलवों को हल्के से छूकर जगाना चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 09:55
 
| 09:55
| या धीरे से बच्चे की पीठ पर गुदगुदी करके  
+
| या फिर उसकी पीठ पर गुदगुदी करके
  
 
|-  
 
|-  
 
| 09:59
 
| 09:59
| या डकार लेने के दौरान दिखायी गयी स्थिति में बच्चे को बैठाकर उसे जगाना चाहिए।
+
| या फिर शिशु को डकार दिलाने वाली स्थिति में बैठा कर,
  
 
|-  
 
|-  
|   10:04
+
| 10:04
| सही तरीके के साथ स्तनपान बार-बार कराना भी ज़रूरी है।
+
|   सही तकनीक के साथ-साथ जरूरी है, कि कई बार स्तनपान कराया जाए।
 
   
 
   
 
|-  
 
|-  
 
| 10:12
 
| 10:12
| माँ को 24 घंटे में कम से कम 12 बार अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए।
+
| मां को 24 घंटों में कम से कम 12 बार शिशु को स्तनपान कराना चाहिए
  
 
|-  
 
|-  
 
| 10:17
 
| 10:17
| जिसमें से रात में उसको कम से कम 2-3 बार स्तनपान कराना चाहिए।
+
| जिसमें से रात को स्तनपान कम से कम 2 से 3 बार होना चाहिए।
  
 
|-  
 
|-  
|   10:24
+
| 10:24
| बच्चे को स्तनपान कराने से पहले माँ को बच्चे के भूख के संकेत देखने चाहिए जैसे - बेचैनी
+
| स्तनपान कराने के लिए मां को शिशु के भूखे रहने के संकेतों को समझना चाहिए, जैसे-हिलना,
  
 
|-  
 
|-  
 
| 10:32
 
| 10:32
| मुंह खोलना  
+
| मुंह खोलना, सर को घुमाना, हाथ को मुंह में ले जाना
 
+
सर घुमाना  
+
 
+
अपने हाथ को मुंह में लेना
+
  
 
|-  
 
|-  
 
|  10:37
 
|  10:37
उँगलियाँ चूसना और शरीर में खिंचाव।
+
उंगलियां चूसना और अंगड़ाई लेना।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 10:42
 
| 10:42
| यदि बच्चा स्तनपान के लिए रोना शरू कर दे, तो इसका मतलब है बहुत देर हो गयी है।  
+
| अगर शिशु दूध के लिए रोने लगे तो इसका मतलब देर हो चुकी है।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 10:49
 
| 10:49
| ध्यान दें- 2 सप्ताह, 6 सप्ताह और 3 महीने की आयु में बच्चे के विकास में बहुत तेज़ी से वृद्धि होती है। 
+
|   याद रहे- शिशु 2 हफ्ते, 6 हफ्तों और 3 महीने के दौरान तेजी से बढ़ता है
  
 
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|-  
 
| 10:59
 
| 10:59
| और बच्चे को ज्यादा दूध की ज़रूरत होगी।
+
| और उसे ज्यादा दूध चाहिए होगा
  
 
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| 11:05
 
| 11:05
| माँ के स्तन के दूध में भी वृद्धि होगी यदि बच्चा बार-बार पियेगा।
+
| कई बार स्तनपान कराने से मां का दूध भी बढ़ेगा।
  
 
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| 11:12
 
| 11:12
| इसलिए इस विकास के समय माँ को बार-बार स्तनपान कराना चाहिए।
+
| इसलिए, मां को बढ़ते हुए शिशु को कई बार दूध पिलाना चाहिए
  
 
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|  11:19
 
|  11:19
| याद रखें - बच्चे के जीवन के पहले 6 महीने बच्चे के लिए माँ का दूध सबसे अच्छा पोषण होता है।  
+
| याद रखें, पहले 6 महीनों के लिए मां का दूध शिशु के लिए सबसे पौष्टिक आहार है।
  
 
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|  11:30
 
|  11:30
| और अच्छा जुडाव सफल स्तनपान का मुख्य भाग है।  
+
| और सही जुड़ाव असर असरदार स्तनपान के लिए जरूरी है।
  
 
|-  
 
|-  
 
| 11:36
 
| 11:36
| यह हमें इस ट्यूटोरियल के अंत में लाता है।  
+
| यह ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है।
  
 
|-  
 
|-  
| 11:41
+
| 11:40
| इस ट्यूटोरियल में हमने सीखा स्तन से बच्चे के अच्छे जुडाव के लिए सही तकनीक और स्तनपान की  बारंबारता।
+
| आईआईटी मुंबई से मैं बेल्ला टोनी आपसे विदा लेती हूं,
  
|-
+
हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।  
| 11:54
+
|इस ट्यूटोरियल का योगदान स्पोकन ट्यूटोरियल प्रोजेक्ट IIT बॉम्बे द्वारा किया गया है। 
+
 
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|-
+
|  12:02
+
|  स्पोकन ट्यूटोरियल प्रोजेक्ट NMEICT, MHRD भारत सरकार द्वारा वित्त-पोषित है।  इस मिशन पर अधिक जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है
+
 
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| 12:15
+
|  यह ट्यूटोरियल जेनेरस कॉन्ट्रिब्यूशन फ्रॉम व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन द्वारा आंशिक रूप से वित्त-पोषित है। 
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|  12:22
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| यह ट्यूटोरियल माँ और शिशु प्रोजेक्ट का एक भाग है।  इस ट्यूटोरियल की विषय-वस्तु विशेषज्ञ डॉ. रूपल दलाल (एमडी. बाल चिकित्सा) है।
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| 12:34
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|आई आई टी बॉम्बे से मैं श्रुति आर्य आपसे विदा लेती हूँ।  हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।
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Latest revision as of 17:38, 26 August 2020

Time
Narration
00:02 स्तनपान कराने के लिए मुंह की पकड़ पर Spoken Tutorial में आपका स्वागत है।
00:07 इस ट्यूटोरियल में, हम शिशु के स्तन से गहरे जुड़ाव के लिए मुंह की पकड़ के बारे में सीखेंगे और जानेंगे कि स्तनपान कितनी बार कराया जाए।
00:20 शुरू करने से पहले, ध्यान दें कि एक असरदार स्तनपान के लिए मुंह की पकड़ बहुत जरूरी है।
00:29 शिशु के मुंह का स्तन से गलत जुड़ाव से होने की वजह से सिर्फ निप्पल से स्तनपान होगा।
00:36 इससे शिशु को बहुत कम दूध मिलेगा।
00:40 जबकि स्तन के एरियोला के निचले हिस्से से गहरे जुड़ाव से शिशु को काफी दूध मिलेगा।
00:50 ध्यान दें कि एरियोला निप्पल से आसपास का काला भाग है।
00:56 आइए शुरू करते हैं। स्तनपान शुरू करने के लिए, मां को अपने शिशु को सही तरह से पकड़ना चाहिए।
01:05 यह सभी पकड़ विस्तार से इसी शृंखला के बाकी ट्यूटोरियल में बताए गए हैं।
01:11 इस ट्यूटोरियल्स को “क्रॉस क्रेडल पकड़” के जरिये समझाया जाएगा।
01:16 याद रहे, शिशु के मुंह की सही पकड़ और सफल स्तनपान करने के लिए जरूरी है कि उसे सही तरह से पकड़ा जाए।
01:24 इस चित्र में, माँ ने शिशु को क्रॉस क्रेडल पकड़ में सही तरह से पकड़ा हुआ है।
01:31 और, शिशु भी स्तन से जुडने के लिए तैयार है।
01:35 जुडने से पहले जरूरी है, कि शिशु अपना मुंह पूरी तरह खोले जैसे उबासी लेते वक्त।
01:42 क्यूँ? आइये समझते है कि एक बड़ा पाव या बर्गर खाते हुए उम्र में बड़े इंसान को देख कर।
01:49 हम बड़ा पाव या बर्गर खाने के लिए हम अपना मुंह पूरा खोलते हैं।
01:56 उसी तरह, पूरा मुंह खुला हुआ शिशु अपने मुंह में स्तन का बड़ा सा हिस्सा ले पाएगा।
02:04 शिशु को उकसाएँ कि वह पूरा मुंह खोले और इसके लिए मां अपने निप्पल को शिशु के ऊपरी होंठ पर हल्के से छुए, जब तक कि शिशु अपना पूरा मुंह ना खोले।
02:16 धीरज रखें। शिशु का पूरा मुंह खुलने में कभी कभी कुछ पल लगते हैं और कभी 2 मिनट।
02:25 याद रहे, स्तनपान के किसी भी स्थिति में स्तन को पकड़ते हुए, मां की उंगलियां और अंगूठा हमेशा शिशु के होंठों के एकदम सामने होना चाहिए।
02:36 जब शिशु अपना मुंह पूरी तरह खोलेगी तो उसके निचले होंठ को एरियोला के निचले हिस्से को छूना चाहिए
02:43 और निप्पल की दिशा उसके मुंह के ऊपरी तरफ होनी चाहिए, न की उसके मुंह के बीच में।
02:50 अब मां को चाहिए अब जल्दी से अपना स्तन शिशु के मुंह में डाल दे।
02:55 पहले हल्के हाथ से शिशु के सिर को पीछे खींचते हुए उसकी ठुड्डी को अपने स्तन से लगवाएं।
03:02 उसे अपनी पीठ को ना ही झुकाना चाहिए और ना ही स्तन को शिशु के मुंह में धकेलना चाहिए।
03:08 हल्के हाथ से शिशु को कंधे से उठाते हल्के हाथ से शिशु के कंधों पर पीछे से उठाते हुए अपने स्तन पर लाएं।
03:15 मुंह की पकड़ में सबसे जरूरी है बात यह है कि एरियोला का निचला हिस्सा शिशु के मुंह में होना चाहिए।
03:25 इससे निप्पल शिशु के मुंह के अंदर आरामदायक जगह पर पहुँचेगा।
03:31 शिशु को अपनी जीभ से उसके निचले होंठ के सामने वाले से एरियोला के भाग को दबाना चाहिए।
03:37 इससे दूध की बड़ी वाली नलियाँ दबेगी उससे ज्यादा दूध निकलेगा।
03:42 अगली जांचने वाली बात यह है कि शिशु का स्तन से गहरा जुड़ाव है या नहीं।
03:48 गहरे जुड़ाव के लिए मां को बताई गई बातों को ध्यान देना चाहिए:
03:54 क्या शिशु का मुंह पूरा खुला है,
03:57 क्या एरियोला का भाग शिशु के ऊपरी होंठ के पास ज्यादा दिखता है और निचले होंठ के पास कम।
04:06 क्या शिशु की ठुड्डी मां के स्तन में गड़ी हुई है।
04:11 दूध निगलते समय क्या उसका जबड़ा पूरी तरह नीचे जाता है।
04:16 और क्या उसका निचला होंठ बाहर की तरफ मुड़ा हुआ है।
04:22 हालांकि अच्छे से जुड़े हुए शिशु का निचला होंठ अधिकतर मां के स्तन में छिप जाता है।
04:28 ऐसे में अपने स्तन को शिशु के निचले होंठ के पास हल्के से दबा कर देखिए कि क्या उसका निचला होंठ बाहर की तरफ मुड़ा हुआ है।
04:41 अब शिशु की नाक देखिए। अगर उसकी नाक मां के स्तन में गड़ी है, तो-
04:49 मां हलके से शिशु का सर पीछे खींचे ताकि उसकी ठुड्डी और ज्यादा मां के स्तन मेँ गड़ पाए,
04:58 और शिशु की नाक और माथा मां के स्तन से दूर रहे।
05:04 ऐसा करने से, शिशु स्तन से गहरे से जुड़ेगा।
05:09 शिशु का पूरा चेहरा पीछे न खींचे।
05:13 इससे निप्पल से स्तनपान होगा।
05:16 याद रखें, स्तनपान मां के लिए आरामदायक होना चाहिए।
05:21 उसे अपने निप्पल पर चुभन खिंचाव या दर्द महसूस नहीं होना चाहिए।
05:27 स्तनपान माँ के लिए दर्द भरा हो तो इसका मतलब शिशु स्तन से ठीक से नहीं जुड़ा है।
05:35 देखते हैं स्तन से ठीक से न जुड़ने की कुछ आम वजह।
05:40 कई माँ एरियोला को दबाकर सिर्फ निप्पल को शिशु के मुंह के बीच में रखती हैं।
05:48 देखिए इस शिशु का मुँह पूरा नहीं खुला है।
05:52 वह सिर्फ निप्पल से ही जुड़ पाएगा।
05:56 यहाँ पर एरियोला शिशु के ऊपरी और निचले होंठ के पास एक समान दिख रहा है।
06:04 शिशु की ठोड़ी स्तन से दूर है।
06:07 शिशु जल्दी-जल्दी लगातार दूध निगल रहा है।
06:14 निप्पल चूसते हुए, उसके गालों में गड्ढे पड़ रहे हैं।
06:17 दूध निगलते हुए उसका जबड़ा पूरी तरह नीचे नहीं जा रहा है।
06:23 और निप्पल शिशु के मुंह के सख़्त भाग से दबेगा और चुभेगा भी।
06:31 इससे मां को दर्द होगा और निप्पल को चोट भी पहुंचेगी।
06:37 और, निप्पल से जुड़ने पर शिशु को एरियोला के नीचे वाली, दूध की बड़ी नलियों से दूध नहीं मिलेगा।
06:45 इसीलिए, शिशु को जरूरत के मुताबिक दूध नहीं मिलता।
06:50 अगर शिशु सिर्फ निप्पल से पीता है तो
06:54 मां को एक साफ़ उंगली शिशु के मुंह के कोने से अंदर डालनी चाहिए।
06:59 और शिशु की निप्पल पर पकड़ छुड़ानी चाहिए।
07:04 और फिर से शिशु को उसी स्तन पर अच्छे से जोड़ना चाहिए।
07:11 सही जुड़ाव होने पर मां को शिशु को आगे का और पीछे का दूध जरूर देना चाहिए।
07:19 आगे का दूध स्तन के आगे होता है और पानी की तरफ हल्का होता है
07:25 यह पानी और प्रोटीन से बनता है।
07:29 यह शिशु के बढ़ने और और तंदुरुस्त बनाने के लिए जरूरी है।
07:36 पीछे का दूध गाढ़ा होता है और स्तन के पिछले भाग में होता है।
07:42 यह अधिकतर चर्बी से बना होता है।
07:46 और शिशु के बुद्धि के विकास और वजन बढ़ाने के लिए जरूरी होता है।
07:53 शिशु को आगे और पीछे का दूध मिलने के लिए मां को पहले एक स्तन से पिला कर और इसे खाली करके ही और दूसरे स्तन से पिलाना चाहिए।
08:05 स्तन के पूरी तरह खाली होने की जांच के लिए मां को अपने हाथ से उसी स्तन का खुद निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
08:15 अगर पानी वाला हल्का दूध बाहर आए,
08:19 या फिर काफी सारा गाढ़ा दूध बाहर आए
08:24 तब, मां को शिशु को दोबारा से स्तन से जोड़ना चाहिए।
08:29 हाथ से निकाले जाने पर, जब पीछे वाले गाढ़े दूध की कुछ बूंदें निकले तो,
08:35 इसका मतलब माँ ने शिशु को उस स्तन से पूरा दूध पिला दिया है।
08:41 पर दूसरे स्तन से पिलाने से पहले मां को शिशु को अपने अपनी गोद में बैठाकर हल्के से उसका शरीर आगे झुकाना चाहिए और फिर उसका जबड़ा अपने हाथों से पकड़ कर उसे डकार दिलानी चाहिए।
09:00 शिशु को दो से 3 मिनट में डकार आनी चाहिए।
09:04 अगर 5 मिनट तक डकार न हो तो,
09:08 इसका मतलब है की शिशु स्तन से अच्छे से जुड़ा था।
09:14 और स्तनपान के समय शिशु ने पेट में ज्यादा हवा नहीं ली है।
09:21 अब माँ अपना दूसरा स्तन शिशु को दे सकती है।
09:26 पर अगर शिशु का पेट भरा हो तो दूसरे स्तन से पिलाने की जरूरत नहीं होगी।
09:32 लेकिन मां को स्तनपान कराने के लिए मां को दोनों स्तन देने चाहिए।
09:39 पहले एक खाली करके, फिर दूसरे स्तन से पिलाना चाहिए।
09:45 अगर स्तनपान करते हुए शिशु सो जाए तो मां को उसके पैरों के तलवों को हल्के से छूकर जगाना चाहिए।
09:55 या फिर उसकी पीठ पर गुदगुदी करके
09:59 या फिर शिशु को डकार दिलाने वाली स्थिति में बैठा कर,
10:04 सही तकनीक के साथ-साथ जरूरी है, कि कई बार स्तनपान कराया जाए।
10:12 मां को 24 घंटों में कम से कम 12 बार शिशु को स्तनपान कराना चाहिए
10:17 जिसमें से रात को स्तनपान कम से कम 2 से 3 बार होना चाहिए।
10:24 स्तनपान कराने के लिए मां को शिशु के भूखे रहने के संकेतों को समझना चाहिए, जैसे-हिलना,
10:32 मुंह खोलना, सर को घुमाना, हाथ को मुंह में ले जाना
10:37 उंगलियां चूसना और अंगड़ाई लेना।
10:42 अगर शिशु दूध के लिए रोने लगे तो इसका मतलब देर हो चुकी है।
10:49 याद रहे- शिशु 2 हफ्ते, 6 हफ्तों और 3 महीने के दौरान तेजी से बढ़ता है
10:59 और उसे ज्यादा दूध चाहिए होगा
11:05 कई बार स्तनपान कराने से मां का दूध भी बढ़ेगा।
11:12 इसलिए, मां को बढ़ते हुए शिशु को कई बार दूध पिलाना चाहिए
11:19 याद रखें, पहले 6 महीनों के लिए मां का दूध शिशु के लिए सबसे पौष्टिक आहार है।
11:30 और सही जुड़ाव असर असरदार स्तनपान के लिए जरूरी है।
11:36 यह ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है।
11:40 आईआईटी मुंबई से मैं बेल्ला टोनी आपसे विदा लेती हूं,

हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।

Contributors and Content Editors

Bellatony911, Debosmita, Sakinashaikh, Shruti arya