Difference between revisions of "Health-and-Nutrition/C2/Basics-of-newborn-care/Hindi"

From Script | Spoken-Tutorial
Jump to: navigation, search
 
(7 intermediate revisions by one other user not shown)
Line 69: Line 69:
 
|-
 
|-
 
| 01:46
 
| 01:46
| शिशुओं को संभालने से पहले याद रखें कि किसी भी तरह खेल के लिए तैयार नहीं है
+
| शिशुओं को संभालने से पहले याद रखें कि वो किसी भी तरह खेल के लिए तैयार नहीं है
  
 
|-
 
|-
Line 77: Line 77:
 
|-
 
|-
 
| 02:01
 
| 02:01
|  या फिर खेलते हुए या फिर गुस्से में जोर से ना हिलाएं  
+
|  या फिर खेलते हुए या फिर गुस्से में उसे जोर से ना हिलाएं  
  
 
|-
 
|-
Line 83: Line 83:
 
| उसकी गर्दन को अचानक से न हिलाएं 
 
| उसकी गर्दन को अचानक से न हिलाएं 
  
इन सब से अंदरूनी चोट लग सकती है।
+
इन सब से अंदरूनी चोटें लग सकती है।
  
 
|-
 
|-
Line 97: Line 97:
 
|-
 
|-
 
| 02:30
 
| 02:30
|  पैदा होने के कुछ ही मिनटों में  गर्भनाल धड़कना बंद हो जाए तो  उस पर गांठ बांध दें।
+
|  पैदा होने के कुछ मिनटों में ही जब गर्भनाल धड़कना बंद हो जाए तो  उस पर गांठ बांध दें।
  
 
|-
 
|-
Line 109: Line 109:
 
|-
 
|-
 
| 02:50
 
| 02:50
| पर याद रखें गर्भनाल में शिशु के इन्फेक्शन आ सकता है
+
| पर याद रखें गर्भनाल में शिशु के शरीर में इन्फेक्शन आ सकता है
  
 
|-
 
|-
 
| 02:57
 
| 02:57
| इसीलिए इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
+
| इसीलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है।
  
 
|-
 
|-
 
| 03:02
 
| 03:02
| कैसे गर्भनाल को हवा लगाकर सूखा रखें  
+
| कैसे, गर्भनाल को हवा लगाकर सूखा रखें  
  
 
|-
 
|-
Line 125: Line 125:
 
|-
 
|-
 
| 03:14
 
| 03:14
|  गर्भनाल को शिशु के लंगोट के बाहर रखे  या फिर मोड़कर लंगोट के नाल के अंदर रखें।
+
|  गर्भनाल को शिशु के लंगोट के बाहर रखे  या फिर मोड़कर लंगोट के किनारे के अंदर रखें।
  
 
|-
 
|-
Line 133: Line 133:
 
|-
 
|-
 
| 03:32
 
| 03:32
| या पीक पड जाए या सूजन या फिर सोचा लाल हो जाए,
+
| या पीक पड जाए या सूजन या फिर त्वचा लाल हो जाए,
  
 
|-
 
|-
Line 145: Line 145:
 
|-
 
|-
 
| 03:46
 
| 03:46
| तो कभी भी ऐसा भी हो सकता है कि कभी भी गर्भनाल गिरने वाला हो तब या फिर गिरने के बाद थोड़ा सा खून निकले पर ये जल्दी रुक जाता है।
+
| कभी भी ऐसा भी हो सकता है कि गर्भनाल गिरने वाला हो तब या फिर गिरने के बाद थोड़ा सा खून निकले, पर ये जल्दी रुक जाता है।
  
 
|-
 
|-
Line 157: Line 157:
 
|-
 
|-
 
| 04:08
 
| 04:08
| और ना ही उसके गिरने पर त्वचा पर ना पट्टी बांधे।
+
| और ना ही उसके गिरने पर त्वचा पर पट्टी बांधे।
  
 
|-
 
|-
Line 169: Line 169:
 
|-
 
|-
 
| 04:25
 
| 04:25
| पहले 6 महीने मां का ही दूध पिलाना चाहिए।
+
| पहले 6 महीने सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए।
  
 
|-
 
|-
 
| 04:30
 
| 04:30
|  इसके अलावा शिशु को मां अपने नंगे शरीर के साथ रखना चाहिए और शिशु के भूखे होने के संकेत को देखना चाहिए।
+
|  इसके अलावा मां और शिशु को एक दूसरे के साथ त्वचा से त्वच के संपर्क में रखना चाहिए और मां को शिशु के भूखे होने के संकेतों को देखना चाहिए।
  
 
|-
 
|-
Line 181: Line 181:
 
|-
 
|-
 
| 04:46
 
| 04:46
| कभी-कभी नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए हर बार बार जगाना पड़ता है खासकर कम वज़न पैदा होने वाले शिशुओं को।
+
| कभी-कभी नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए बार बार जगाना पड़ता है खासकर समय से पहले पैदा हुए काम वज़न  के शिशुओं को ।
  
 
|-
 
|-
 
|04:57
 
|04:57
| अगर एक स्वस्थ या एक समय से पहले पैदा होने वाले शिशु को स्तनपान में दिलचस्पी ना हो तो तो मां को स्वास्थ्य सेविका या डॉक्टर से मिलना चाहिए।
+
| अगर एक स्वस्थ या फिर समय से पहले पैदा हुए शिशु को स्तनपान में दिलचस्पी ना हो तो तो मां को डॉक्टर या स्वास्थ्य सेविका से मिलना चाहिए।
  
 
|-
 
|-
 
| 05:09
 
| 05:09
| स्तनपान करते समय शिशु हवा भी निगल लेते हैं इससे वह चिड़चिड़ा हो जाते हैं।
+
| स्तनपान करते हुए शिशु हवा भी निगल लेते हैं इससे वह चिड़चिड़े हो जाते हैं।
  
 
|-
 
|-
 
| 05:15
 
| 05:15
| ऐसा ना हो हर स्तनपान करने के हर बार शिशु को डकार दिलवाए।
+
| ऐसा ना हो इसके लिए हर स्तनपान के बाद शिशु को डकार दिलवाए।
  
 
|-
 
|-
Line 201: Line 201:
 
|-
 
|-
 
|05:25
 
|05:25
| अगला है लंगोट के बारे में जब भी शिशु  पेशाब मल करें तो उसको पीठ पर लिटा ले और गंदी लंगोट निकालें  
+
| अगला है लंगोट के बारे में, जब भी शिशु पेशाब या मल करें तो उसे पीठ पर लिटाकर गंदी लंगोट को निकालें  
  
 
|-
 
|-
 
| 05:37
 
| 05:37
| पानी या साफ कपड़े से उसके गुप्त  अंगों को साफ करें।
+
| पानी और मुलायम कपड़े से उसके गुप्त अंगों को साफ करें।
 
   
 
   
 
|-
 
|-
 
| 05:44
 
| 05:44
| इन जगहों पर साबुन ना लगाएं अगर शिशु लड़की है तो उसे आगे की ओर से साफ करें इससे इंफेक्शन से बचाव होगा।
+
| इन जगहों पर साबुन ना लगाएं। अगर शिशु लड़की हो तो हमेशा आगे से पीछे की तरफ साफ करें इससे पेशाब के इंफेक्शन से बचाव होगा।
  
 
|-
 
|-
 
| 05:55
 
| 05:55
| लड़की लंगोट बदलने से पहले मां, आया और जो शिशु को पकड़ने वाले हाथ को  अच्छे से साफ करना चाहिए।
+
| लंगोट बदलने से पहले और बाद में मां या फिर शिशु को सँभालने वाले को हाथ अच्छे से धोने चाहिए ।
  
 
|-
 
|-
 
| 06:03
 
| 06:03
| कभी ऐसा भी हो सकता है कि लंगोट की वजह से लाल या उसकी वजह से दाने निकल आए
+
| कभी ऐसा भी हो सकता है कि लंगोट की वजह से शिशु की त्वचा लाल या उस पर दाने हो जाए
  
 
|-
 
|-
 
| 06:08
 
| 06:08
| यह सामान्य है और लाल हो जाए या दाने होना और कुछ दिनों के गर्म पानी से नहाने से और,
+
| ऐसा होना आम है कि त्वचा लाल हो जाए और दाने भी हो । यह  कुछ दिनों में गर्म पानी से नहाने पर और,
  
 
|-
 
|-
 
| 06:18
 
| 06:18
| कुछ खास क्रीम लगाने पर या फिर बिना लंगोट पहनने पर भी ठीक हो जाता है।
+
| कुछ खास क्रीम लगाने पर और फिर कभी कभी बिना लंगोट पहनने पर ठीक हो जाता है।
  
 
|-
 
|-
 
| 06:25
 
| 06:25
| शिशु की त्वचा नाजुक होती है गीली लंगोट से तकलीफ होती है।
+
| शिशु की त्वचा नाजुक होती है। गीली लंगोट से उसको तकलीफ होती है और
  
 
|-
 
|-
 
| 06:33
 
| 06:33
| त्वचा लाल या उस पर दाने भी हो जाते हैं इन सब से बचने के लिए शिशु को हर मल या पेशाब करने पर बदलने चाहिए।
+
| त्वचा लाल या उस पर दाने भी हो जाते हैं। इन सब से बचने के लिए शिशु की लंगोट हर पेशाब या मल के बाद बदलनी चाहिए।
  
 
|-
 
|-
 
| 06:41
 
| 06:41
| फिर उसके गुप्त अंगो को गर्म पानी या साफ कपड़े से साफ करना चाहिए बाजार में मिलने वाले कपड़े या पेपर से नहीं उससे शिशु को तकलीफ हो सकती है  
+
| फिर उसके गुप्त अंगो को पानी और मुलायम कपड़े से साफ करें। बाजार में मिलने वाले गीले कपड़े या पेपर से नहीं जिससे शिशु को तकलीफ हो सकती है  
  
 
|-
 
|-
 
|06:50
 
|06:50
| इससे बचने के लिए मोटी परत लंगोट या एक क्रीम लगा सकते हैं।
+
|एक मोटी परत लंगोट की तकलीफ से बचाने वाली क्रीम की भी लगा सकते हैं ।
  
 
|-
 
|-
 
| 06:55
 
| 06:55
| एक क्रीम जिसमें जिंक ऑक्साइड हो वो नमी को दूर रखता है।
+
| क्रीम जिसमें जिंक ऑक्साइड हो वो नमी को दूर रखता है।
  
 
|-
 
|-
 
|07:03
 
|07:03
| शिशु की लंगोट बिना रंग खुशबूदार डिटर्जेंट से धोएँ।
+
| शिशु की लंगोट बिना रंग और खुशबू वाले साबुन से धोएँ।
  
 
|-
 
|-
 
| 07:08
 
| 07:08
| और दिन में शिशु को कुछ वक्त लंगोट ना  पहनाए इसे त्वचा को हवा लगेगी।
+
| और दिन में कुछ वक्त शिशु को लंगोट ना पहनाए । इससे त्वचा को हवा लगेगी।
  
 
|-
 
|-
 
|07:18
 
|07:18
| अगर 3 दिन से ज्यादा त्वचा को तकलीफ हो तो या फिर हालत ज्यादा बिगड़े तो फिर डॉक्टर को दिखाएं।
+
| अगर 3 दिन से ज्यादा त्वचा को तकलीफ हो या फिर हालत ज्यादा बिगड़े तो डॉक्टर को दिखाएं।
  
 
|-
 
|-
Line 273: Line 273:
 
|-
 
|-
 
| 07:43
 
| 07:43
| एक ही बार में 3 से 4 घंटे सोते हैं।
+
| नवजात एक ही बार में 2 से 4 घंटे सोते हैं।
  
 
|-
 
|-
 
|07:48
 
|07:48
| काफी नवजात शिशु के लिए दिन और रात में कोई फर्क नहीं होता।
+
| काफी नवजात शिशुओं के लिए दिन और रात में कोई फर्क नहीं होता।
  
 
|-
 
|-
 
| 07:52
 
| 07:52
| और वह रात को जागते हैं और  वह पूरा दिन सोते हैं।
+
| वह रात को जागते हैं और पूरा दिन सोते हैं।
  
 
|-
 
|-
 
| 07:58
 
| 07:58
| ताकि शिशु अच्छे से सो पाए ऐसा कुछ ना करें ताकि उनकी नींद खराब है जैसे कि कमरे की रोशनी कम करके रखें और दिन में उन्हें जगा कर रखें और उनके साथ खेले और बातचीत करें।
+
| ऐसा कुछ ना करें कि शिशु की रात की नींद खराब हो | जब वो रात में सोये तो कमरे की रोशनी कम करके रखें और दिन में उसे जगा कर रखें, उस के साथ खेले और बातचीत करें।
  
 
|-
 
|-
 
| 08:17
 
| 08:17
| मां या शिशु की देखभाल करने वाले को याद रखें शिशु हमेशा पीठ के बल ही सोए।
+
| मां या शिशु की देखभाल करने वाले को रखना चाहिए की शिशु हमेशा अपनी पीठ पर सोए।
  
 
|-
 
|-
 
| 08:24
 
| 08:24
| इससे अचानक से होने वाली मौत से शिशु बचेगा।
+
| इस से अचानक से होने वाली मृत्यु से शिशु बच पाएगा ।
  
 
|-
 
|-
 
| 08:30
 
| 08:30
| सोते हुए जो भी सावधानियां हैं वह बरतें उनके पालने में कंबल रजाई और रुई से भरे खिलौने और तकिए ना रखें।
+
| सोते हुए बाकि की सावधानियां जो बरतनी चाहिए वे हैं, उनके पालने में कंबल, रजाई,मेमने की खाल,रुई से भरे खिलौने और तकिए ना रखें।
  
 
|-
 
|-
Line 305: Line 305:
 
|-
 
|-
 
| 08:47
 
| 08:47
| हर रोज सोते समय शिशु किस तिथि बदलें पहले जाएं फिर बाएं फिर दाएं ऐसे रोज बदलें।
+
|याद से हर रात को शिशु के सर की स्थिति बदलें। पहले दाएं फिर बाएं फिर दाएं और ऐसे रोज बदलें।
  
 
|-
 
|-
 
| 08:58
 
| 08:58
| इससे शिशु का सिर चपटा नहीं होगा।
+
| इससे शिशु का सिर एक तरफ से चपटा नहीं होगा।
  
 
|-
 
|-
Line 315: Line 315:
 
| नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों का यह  स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है
 
| नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों का यह  स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है
  
मुंबई से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।
+
आई आई टी मुंबई से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं। हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।
  
 
|}
 
|}

Latest revision as of 12:16, 11 September 2020

Time
Narration
00:00 नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों के इस स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है
00:05  इस ट्यूटोरियल हम सीखेंगे नवजात को किस तरह संभाले,
00:11 गर्भनाल की देखभाल करना, नवजात को खिलाना और डकार दिलवाना,
00:15 लंगोट और उसकी वजह से त्वचा पर होने वाले लाल रंग के दाने होना
00:19  और नवजात शिशु की सोने की आदतें।
00:23 नवजात शिशु के जन्म पर पूरा परिवार खुश हो जाता है और हर कोई शिशु को देखना और उसे उठाना चाहता है।
00:34 इसीलिए यह जरूरी है कि शिशु को उठाने से पहले कुछ नियमों का पालन किया जाए
00:40 नवजात की रोग प्रतिरोधक शक्ति मजबूत नहीं होती। इस वजह से उसे इंफेक्शन का खतरा रहता है।
00:48 शिशु को इंफेक्शन से बचाने के लिए यह ज़रूरी है कि उसे पकड़ने या उठाने वाले के हाथ हमेशा साफ़ हों ।
00:57 शिशु को उठाने से पहले हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोयें और साफ कपड़े से सुखाएं
01:07 अब हम सीखेंगे की पहली बार जो है शिशु को कैसे उठाएं
01:11  शिशु को उठाते हुए हमेशा अपने एक हाथ से उसके सर और गर्दन को सहारा दे और दूसरे हाथ से उसके नितंब को
01:19 लिटाते हुए भी एक हाथ से सर और गर्दन को सहारा दे और दूसरे हाथ से नितंब को
01:26 जब भी शिशु को नींद से जगाना हो तो
01:31 उसके पैरों पर गुदगुदी करें या फिर सहारा देते हुए उठाकर बैठाएं या फिर हल्के से उसके कान को छुए
01:42  हमेशा याद रखें कि नवजात शिशु बहुत नाजुक होते हैं
01:46 शिशुओं को संभालने से पहले याद रखें कि वो किसी भी तरह खेल के लिए तैयार नहीं है
01:55 इसीलिए उसे घुटने पर रखकर ना हिलाएं और ना ही हवा में फेंक कर पकड़ें
02:01 या फिर खेलते हुए या फिर गुस्से में उसे जोर से ना हिलाएं
02:05 उसकी गर्दन को अचानक से न हिलाएं 

इन सब से अंदरूनी चोटें लग सकती है।

02:14 अब हम घर पर गर्भनाल की देखभाल करना सीखेंगे।
02:18 मां की कोख में गर्भनाल ही  शिशु को जिंदा रखता है 

पर पैदा होने के बाद गर्भनाल की जरूरत नहीं होती।

02:30 पैदा होने के कुछ मिनटों में ही जब गर्भनाल धड़कना बंद हो जाए तो उस पर गांठ बांध दें।
02:37 जब  तक शिशु घर जाने लायक होता हो तब तक गर्भनाल सुख कर सिकुड़ने लगता है।
02:45 फिर वह एक दो हफ्तों में गिर जाता है।
02:50 पर याद रखें गर्भनाल में शिशु के शरीर में इन्फेक्शन आ सकता है
02:57 इसीलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है।
03:02 कैसे, गर्भनाल को हवा लगाकर सूखा रखें
03:09 गर्भनाल को गिरने तक शरीर को गीले कपड़े से पोंछे।
03:14  गर्भनाल को शिशु के लंगोट के बाहर रखे  या फिर मोड़कर लंगोट के किनारे के अंदर रखें।
03:24 शिशु को स्वास्थ्य सेविका को जरूर दिखाएं अगर गर्भनाल के एक तरफ से खून निकले या त्वचा से खून निकले,
03:32 या पीक पड जाए या सूजन या फिर त्वचा लाल हो जाए,
03:36 या फिर आपको लगे कि शिशु को नाभि के आसपास दर्द हो रहा हो
03:41 यदि शिशु के एक महीना पूरे होने पर भी गर्भनाल ना गिरे।
03:46 कभी भी ऐसा भी हो सकता है कि गर्भनाल गिरने वाला हो तब या फिर गिरने के बाद थोड़ा सा खून निकले, पर ये जल्दी रुक जाता है।
04:01 याद रखें कि गर्भनाल को कभी भी ना खींचे।
04:04 और ना ही उसके ऊपर क्रीम और ना ही पाउडर डालें
04:08 और ना ही उसके गिरने पर त्वचा पर पट्टी बांधे।
04:13 अब हम पोषण की बात करेंगे कि कैसे शिशु को दूध पिलाया जाए।
04:20 नवजात को पैदा होते ही 1 घंटे में दूध पिलाएं।
04:25 पहले 6 महीने सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए।
04:30 इसके अलावा मां और शिशु को एक दूसरे के साथ त्वचा से त्वच के संपर्क में रखना चाहिए और मां को शिशु के भूखे होने के संकेतों को देखना चाहिए।
04:40 यह सब बातें इसी शृंखला के अन्य ट्यूटोरियल में बताई गई है।
04:46 कभी-कभी नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए बार बार जगाना पड़ता है खासकर समय से पहले पैदा हुए काम वज़न के शिशुओं को ।
04:57 अगर एक स्वस्थ या फिर समय से पहले पैदा हुए शिशु को स्तनपान में दिलचस्पी ना हो तो तो मां को डॉक्टर या स्वास्थ्य सेविका से मिलना चाहिए।
05:09 स्तनपान करते हुए शिशु हवा भी निगल लेते हैं इससे वह चिड़चिड़े हो जाते हैं।
05:15 ऐसा ना हो इसके लिए हर स्तनपान के बाद शिशु को डकार दिलवाए।
05:20 यह इसी शृंखला के एक अन्य ट्यूटोरियल में बताया गया है।
05:25 अगला है लंगोट के बारे में, जब भी शिशु पेशाब या मल करें तो उसे पीठ पर लिटाकर गंदी लंगोट को निकालें
05:37 पानी और मुलायम कपड़े से उसके गुप्त अंगों को साफ करें।
05:44 इन जगहों पर साबुन ना लगाएं। अगर शिशु लड़की हो तो हमेशा आगे से पीछे की तरफ साफ करें इससे पेशाब के इंफेक्शन से बचाव होगा।
05:55 लंगोट बदलने से पहले और बाद में मां या फिर शिशु को सँभालने वाले को हाथ अच्छे से धोने चाहिए ।
06:03 कभी ऐसा भी हो सकता है कि लंगोट की वजह से शिशु की त्वचा लाल या उस पर दाने हो जाए
06:08 ऐसा होना आम है कि त्वचा लाल हो जाए और दाने भी हो । यह कुछ दिनों में गर्म पानी से नहाने पर और,
06:18 कुछ खास क्रीम लगाने पर और फिर कभी कभी बिना लंगोट पहनने पर ठीक हो जाता है।
06:25 शिशु की त्वचा नाजुक होती है। गीली लंगोट से उसको तकलीफ होती है और
06:33 त्वचा लाल या उस पर दाने भी हो जाते हैं। इन सब से बचने के लिए शिशु की लंगोट हर पेशाब या मल के बाद बदलनी चाहिए।
06:41 फिर उसके गुप्त अंगो को पानी और मुलायम कपड़े से साफ करें। बाजार में मिलने वाले गीले कपड़े या पेपर से नहीं जिससे शिशु को तकलीफ हो सकती है
06:50 एक मोटी परत लंगोट की तकलीफ से बचाने वाली क्रीम की भी लगा सकते हैं ।
06:55 क्रीम जिसमें जिंक ऑक्साइड हो वो नमी को दूर रखता है।
07:03 शिशु की लंगोट बिना रंग और खुशबू वाले साबुन से धोएँ।
07:08 और दिन में कुछ वक्त शिशु को लंगोट ना पहनाए । इससे त्वचा को हवा लगेगी।
07:18 अगर 3 दिन से ज्यादा त्वचा को तकलीफ हो या फिर हालत ज्यादा बिगड़े तो डॉक्टर को दिखाएं।
07:27 यह फफूंदी का इंफेक्शन हो सकता है, जिसमें दवा लेनी पड़ती है।
07:33 आख़िर में हम बात करेंगे शिशु की सोने की आदतों की।
07:38 1 दिन में शिशु 14 से 16 घंटे तक सो सकते हैं।
07:43 नवजात एक ही बार में 2 से 4 घंटे सोते हैं।
07:48 काफी नवजात शिशुओं के लिए दिन और रात में कोई फर्क नहीं होता।
07:52 वह रात को जागते हैं और पूरा दिन सोते हैं।
07:58 जब वो रात में सोये तो कमरे की रोशनी कम करके रखें और दिन में उसे जगा कर रखें, उस के साथ खेले और बातचीत करें।
08:17 मां या शिशु की देखभाल करने वाले को रखना चाहिए की शिशु हमेशा अपनी पीठ पर सोए।
08:24 इस से अचानक से होने वाली मृत्यु से शिशु बच पाएगा ।
08:30 सोते हुए बाकि की सावधानियां जो बरतनी चाहिए वे हैं, उनके पालने में कंबल, रजाई,मेमने की खाल,रुई से भरे खिलौने और तकिए ना रखें।
08:44 इन सब से शिशु का दम घुट सकता है।
08:47 याद से हर रात को शिशु के सर की स्थिति बदलें। पहले दाएं फिर बाएं फिर दाएं और ऐसे रोज बदलें।
08:58 इससे शिशु का सिर एक तरफ से चपटा नहीं होगा।
09:04 नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों का यह  स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है

आई आई टी मुंबई से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं। हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।

Contributors and Content Editors

Bellatony911, Sakinashaikh