Health-and-Nutrition/C2/How-to-bathe-a-newborn/Hindi
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00:00 | नवजात शिशु को नहलाने के तरीके के इस स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है। |
00:06 | इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे
मां या शिशु का ख्याल रखने वाले के लिए शिशु को नहलाने से पहले और नहलाने के दौरान की कुछ सुरक्षा टिप्पणियां |
00:15 | शिशु को पहली बार कब नहलाया जाए, गीले कपड़े से उसके शरीर को कैसे पोंछा जाए, |
00:20 | रोज का नहलाना, पारंपरिक तरीके से नहलाना, |
00:23 | पहाड़ों या ठंडे इलाकों के शिशुओं को नहलाना और क्रैडल कैप। |
00:32 | पहली बार जब हम मां-बाप बनते हैं तो हम सबको शिशु को नहलाने की चिंता रहती है। |
00:37 | शिशु को बहुत ध्यान से नहलाना चाहिए। |
00:42 | एक भी गलत कदम शिशु को हानि पहुंचा सकता है। |
00:46 | हम सबसे पहले शिशु को नहलाने से पहले की सुरक्षा टिप्पणियां जानेंगे - |
00:54 | जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून हमेशा कटे होने चाहिए और |
01:02 | उन्हें अंगूठी, चूड़ियां या घड़ी नहीं पहननी चाहिए |
01:07 | क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है |
01:11 | तो शिशु को पहली बार कब नहलाना चाहिए? |
01:16 | प्रसव के 48 घंटों के बाद मां, शिशु का शरीर गीले कपड़े से पोंछ सकती है। |
01:22 | याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक गीले कपड़े से ही शिशु का शरीर पोंछे। |
01:29 | गर्भनाल के गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु को रोज नहला सकता है। |
01:38 | पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो तो जब तक वजन 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे। |
01:49 | चलिए देखते हैं की गीले कपड़े से शिशु का शरीर कैसे पोंछा जाए। |
01:53 | शुरू करने से पहले याद से कमरे की सभी खिड़कियाँ बंद कर दें ताकि कमरा गरम रहे। |
02:00 | एक मुलायम साफ सूखा का कपड़ा तैयार रखें। |
02:07 | शिशु को एक सुरक्षित चपटी जगह पर रखें। |
02:12 | फ़र्श सबसे सुरक्षित जगह होती है। |
02:15 | शिशु को ऊंची जगह पर कभी ना रखें। |
02:19 | नहाने का पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए। |
02:26 | पानी का तापमान मां को अपनी कोहनी से या कलाई से जांचना चाहिए। |
02:32 | और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए पहले साबुन का पानी इस्तेमाल करें। |
02:37 | साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन या खास शिशु को नहलाने के लिए साबुन इस्तेमाल करें। |
02:45 | फिर साबुन उतारने के लिए साफ पानी ले। |
02:50 | अब छोटे मुलायम कपड़े को पानी में भिगोएँ और निचोड़े। |
02:56 | फिर शिशु की आंखें अंदर से बाहर की तरफ साफ करें। |
03:02 | पर उसी कपड़े से शरीर के बाकी भाग ना साफ करें। |
03:06 | एक अलग ताजे मुलायम साफ कपड़े से शरीर के बाकी भाग साफ करें। |
03:12 | शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे। |
03:18 | गर्दन के आस-पास, हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग भी साफ करें। |
03:25 | अब हम बात करेंगे रोज़ के नहलाने की। |
03:31 | याद रखें स्वस्थ शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं। |
03:39 | रोज के नहाने के लिए अगर आपको बड़ा टब इस्तेमाल करना हो तो उसके अंदर 2 इंच तक साबुन का पानी भरे। |
03:48 | इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले |
03:58 | और एक अलग टब में ताजा पानी रखें |
04:03 | फिर कोहनी से दोनों टबों के पानी का तापमान देखें। |
04:09 | तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को साबुन के पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे। |
04:22 | शिशु को टब में बैठने के बाद टब में पानी ना भरें। |
04:27 | सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग और खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें। |
04:35 | फिर हल्के हाथ से ताजे पानी के साथ साबुन निकालें। |
04:39 | और फिर शरीर पर सिलवट पड़ने वाले अंग और गुप्त अंग भी साफ करें जहां सबसे ज्यादा मैल होती है। |
04:47 | आखिरकार हल्के से पूरे शरीर को ताजे पानी से धोएँ। |
04:53 | पर अगर मां को या शिशु के ख्याल रखने वाले को पारंपरिक तरीके से नहलाना हो तो फर्श पर बैठकर अपनी टांगों को खोलें
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05:06 | फिर शिशु को टांगों पर रखें। |
05:09 | शिशु का सिर माँ के पैरों की तरफ और |
05:14 | शिशु के पैर मां के पेट की तरफ होने चाहिए। |
05:20 | अब शिशु नहलाने के लिए सही स्थिति में है। |
05:24 | नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ, मुलायम तौलिये से पोंछे। |
05:30 | जैसे पहले बताया है शरीर के सिलवटें वाले भाग को भी पोंछे। |
05:35 | पाउडर ना लगाएं, खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं। |
05:40 | पाउडर से नवजात शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। |
05:45 | आंखों में सुरमा और काजल भी ना लगाएं। |
05:49 | इससे शिशु के आंखों के अंदर जहर फैल सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है |
05:56 | अब देखेंगे पहाड़ों और ठंडे इलाकों में रहने वाले शिशुओं की देखरेख |
06:04 | इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक इन्हें रोज गीले कपड़े से ही पोंछें |
06:11 | पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या देखरेख करने वाले के नंगे शरीर के साथ बिना कपड़े के शिशु को रखें। |
06:20 | इससे शिशु के शरीर का तापमान कम होने से बचेगा। |
06:25 | याद रखें हफ्ते में दो ही बार शैम्पू करें। |
06:30 | नहीं तो सर पर खुश्की हो जाएगी। |
06:35 | कभी-कभी नवजात शिशु की सिर की चमड़ी पपड़ी वाली चमड़ी या धब्बे या मछली के चमड़ी जैसी हो सकती है इसे क्रैडल कैप कहते हैं। |
06:45 | यह धब्बे लाल भी हो सकते हैं। |
06:50 | क्रैडल कैप की चिंता ना करें। |
06:54 | यह अपने आप ठीक हो जाएगा इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है। |
06:59 | खास शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है। |
07:04 | पर पपड़ी पर थोड़ा ही तेल मले। |
07:09 | ज्यादा तेल से हालत खराब हो सकती है। |
07:12 | फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले इससे शिशु का सिर धोएँ |
07:20 | और 1 घंटे बाद हल्के से मुलायम कंघी से बाल बनाएं। |
07:27 | पपड़ी को कभी भी ना खींचे नहीं तो शिशु को चोट लग सकती है या फिर इंफेक्शन हो सकता है |
07:33 | शिशु के नहलाने का तरीका का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है आईआईटी मुंबई से में बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए
धन्यवाद। |