LibreOffice-Suite-Base/C4/Database-Design-Primary-Key-and-Relationships/Hindi
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Revision as of 19:37, 2 December 2012 by Pravin1389 (Talk | contribs)
Visual Cue | Narration |
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00:00 | लिबरऑफिस बेस पर इस स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है। |
00:04 | यह ट्यूटोरियल डेटाबेस डिजाइन पर पिछले ट्यूटोरियल के आगे का भाग है। |
00:10 | और यहाँ हम निम्न विषयों को सीखेंगे: |
00:13 | 4. सूचना आइटम्स को कॉलम्स में बदलना। |
00:17 | 5. प्राईमारी कीज़ उल्लिखित करना। |
00:20 | 6. टेबल रिलेशनशिप्स (रिलेशनशिप्स) को स्थापित करना। |
00:23 | पिछले ट्यूटोरियल में, हमने एक सरल Library एप्लिकैशन के लिए डेटाबेस डिजाइन की प्रक्रिया को शुरू किया था। |
00:30 | हमने पहले लाइब्रेरी डेटाबेस को बनाने के उद्देश्य का पता लगाया था। |
00:36 | फिर हमने लाइब्रेरी के बारे में सूचना खोज कर और सुव्यवस्थित करके अपनी प्रक्रिया को जारी रखा। |
00:44 | और हमने सूचना को टेबल्स में बाँटा। |
00:49 | और इस तरह, हमने अपनी लाइब्रेरी डेटाबेस में चार टेबल्स निर्धारित किये थे: Books, Authors, Publications और Members. |
01:00 | अब अगले स्टेप पर चलते हैं, जो है सूचना आइटम्स को कॉलम्स में बदलना। |
01:07 | यहाँ, हम तय करेंगे कि किस सूचना आइटम को हम प्रत्येक टेबल में संचित करना चाहते हैं। |
01:13 | प्रत्येक सूचना आइटम जिसे हमने पहले निर्धारित किया था, एक फील्ड बन गयी है, और टेबल में एक कॉलम के रूप में प्रदर्शित है। |
01:23 | जैसा कि स्क्रीन पर चित्र में दर्शाया गया है, Books टेबल में 5 कॉलम्स हैं, जिन्हें फील्ड्स भी कहते हैं। |
01:31 | अतः यहाँ प्रत्येक रो या रिकॉर्ड अपने कॉलम्स में वास्तव में एक पुस्तक के बारे में सूचना रखते हैं। |
01:40 | उसी प्रकार से, Authors टेबल में प्रत्येक रिकॉर्ड केवल एक रचयिता की सूचना रखता है। |
01:49 | और Publishers टेबल में प्रत्येक रिकॉर्ड केवल एक प्रकाशक की सूचना रखता है। |
01:58 | अब, आगे हम कॉलम्स को अपनी ज़रूरतों के अनुसार सुधार सकते हैं। |
02:04 | उदाहरणस्वरुप, हम Author name को First Name और Last Name में अलग कर सकते हैं, जिससे कि हम इन कॉलम्स के जरिये खोज या क्रमबद्ध कर सकें। |
02:17 | और हमें गणनाओं के परिणाम टेबल्स में अलग कॉलम्स में रखने की आवश्यकता नहीं है। |
02:24 | क्योंकि जब हम परिणामों को देखना चाहते हैं, बेस तब गणना कर सकता है। |
02:31 | अब हमें टेबल्स और कॉलम्स के बारे में स्पष्ट है, आगे देखते हैं कि कैसे हम प्राइमरी कीज़ उल्लिखित कर सकते हैं। |
02:41 | प्राइमरी की क्या है? |
02:44 | प्रत्येक टेबल एक कॉलम या कॉलम्स के समूह को सम्मिलित करना चाहिये, जो विशिष्ट रूप से टेबल में संचित प्रत्येक रो को बतलाती है। |
02:54 | यह कॉलम या कॉलम्स के समूह को टेबल की प्राइमरी की है। |
03:00 | यह प्रायः एक विशिष्ट पहचान संख्या होती है, जैसे Book Id या एक Author Id. |
03:08 | हम प्राइमरी की फील्ड्स को बहु-टेबल्स के लॉजिकल सम्बन्धित डेटा से जल्दी संघटित करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं और डेटा को अपने लिए साथ में ला सकते हैं। |
03:21 | और प्राइमरी की में हमारे पास समरूपी वेल्युस नहीं हो सकती। |
03:26 | उदाहरणस्वरुप, हम लोगों के नामों को प्राइमरी की की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि नाम यूनिक (अद्वितीय) नहीं होते हैं। |
03:34 | यहाँ एक ही टेबल में एक ही नाम के दो लोग हो सकते हैं। |
03:40 | आगे, प्राइमरी की में हमेशा एक वेल्यू होनी चाहिए। |
03:45 | यदि यह खाली या निरर्थक है, तो हम इसे प्राइमरी की नहीं मान सकते हैं। |
03:52 | और हम एक ‘AutoNumber’ के रूप में कॉलम का डेटा टाइप निर्धारित करके प्राइमरी की कॉलम पर हमेशा एक वेल्यू बना सकते हैं जो बेस स्वतः ही बनाएगा। |
04:09 | जैसा कि स्क्रीन पर चित्र में दर्शाया गया है, हम अपने टेबल्स के प्राइमरी कीज़ निम्न प्रकार से निर्धारित कर सकते हैं: |
04:20 | Books टेबल के लिए BookId, |
04:24 | Authors टेबल के लिए AuthorId, |
04:28 | Publishers टेबल के लिए PulishersId |
04:33 | उसी प्रकार से, भले ही यहाँ दर्शाया नहीं गया है, Members टेबल के लिए MembersId प्राइमरी की होगी। |
04:42 | अंततः, टेबल्स में प्राइमरी कीज़ निर्धारित करके, हम एंटिटी इंटिग्रिटी लागू कर रहे हैं। |
04:52 | एंटिटी इंटिग्रिटी सुनिश्चित करता है कि यहाँ टेबल में समरूपी रेकॉर्ड्स नहीं हैं। |
05:00 | यह, यह भी सुनिश्चित करता है कि फील्ड जो टेबल में प्रत्येक रिकॉर्ड को पहचानती है वह यूनिक हैं और कभी निष्प्रभाव नहीं होते। |
05:10 | अब हमारे पास तीन टेबल्स में प्राईमरीज़ कीज़ हैं, हम रिलेशनशिप्स को स्थापित करके इन सबको एक साथ ला सकते हैं। |
05:20 | चूँकि, बेस इस संकल्पना का समर्थन करता है। इसे रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट कहते हैं, संक्षिप्त में RDBMS. |
05:32 | यहाँ कुछ प्रकार के रिलेशनशिप्स हैं और हम उन्हें अभी देखेंगे। |
05:37 | सबसे पहले हम देखेंगे कि One-to-Many रिलेशनशिप्स क्या है। |
05:43 | दिख रहे चित्र में Books और Authors टेबल्स को अभी देखते हैं। |
05:49 | एक पुस्तक वास्तव में एक रचयिता द्वारा लिखी गयी है। |
05:55 | अब, यहाँ उदाहरण हैं कि जहाँ दो या कई लोग एक ही पुस्तक के सह-लेखक होते हैं। |
06:02 | किन्तु, हम अपने उदाहरण को केवल एक ही व्यक्ति द्वारा एक ही पुस्तक को रचने तक सीमित करते हैं। |
06:10 | अपने उदाहरण के साथ जारी रखते हैं, कि एक रचयिता कई पुस्तकें लिख सकता है। |
06:17 | अतः Authors टेबल में दिखलाये जा रहे एक रचयिता के लिए, यहाँ पर Books टेबल में रचयिता के द्वारा लिखी गयी काई सारी पुस्तकें हो सकती हैं। |
06:28 | इसलिए यह one-to-many रिलेशनशिप है। |
06:32 | और हम इसे अपनी Library डेटाबेस में दर्शा सकते हैं- |
06:36 | Author Id को लेकर जोकि Authors टेबल में प्राइमरी की है और उसको Books टेबल में जोड़कर। |
06:46 | अतः Books टेबल में Author Id को फॉरेन(Foreign) की कहते हैं। |
06:53 | उसी तरह से Publisher Id जोकि Publishers टेबल में प्राइमरी की है यह Books टेबल में जोड़कर फॉरेन की बन जाती है। |
07:06 | अतः कॉलम या कॉलम्स के समूह को बाँटने से, हम डेटाबेस में one-to-many रिलेशनशिप्स को दर्शा सकते हैं। |
07:17 | और फॉरेन कीज़ का इस्तेमाल करके टेबल रिलेशनशिप्स को निर्धारित कर सकते हैं। |
07:23 | अतः रिलेशनशिप स्थापित करने के लिए टेबल में एक प्राइमरी की को अन्य टेबल में एक फॉरेन की की तरह दर्शा सकते हैं। |
07:34 | फलस्वरूप हम रेफ्रेंशियल इंटिग्रिटी को लागू करते हैं। |
07:39 | मतलब, टेबल में प्रत्येक फॉरेन की वेल्यू सम्बन्धित टेबल्स में अनुकूल प्राइमरी की वेल्यू होगी। |
07:50 | आगे, देखते हैं कि Many-to-Many रिलेशनशिप क्या होता है। |
07:56 | अब टेबल डिजाइन विंडो में वापस जाते हैं। |
07:59 | एक पुस्तक जितने चाहे उतने लाइब्रेरी सदस्यों को जारी की जा सकती है, (यह मानते हुए कि यहाँ पर कई सारी प्रतियाँ उपलब्ध हैं) |
08:09 | उसी प्रकार से एक सदस्य कितनी भी चाहे पुस्तकें ले सकता है(अवश्य ही, यह मानते हुए कि, पुस्तकें उपलब्ध हैं) |
08:17 | अतः यहाँ हमारे पास कई पुस्तकें कई सदयों को जारी करने का एक उदाहरण है। |
08:25 | जो Many-to-many रिलेशनशिप को दर्शाता है। |
08:29 | अतः हम इस many-to-many रिलेशनशिप को अपने डेटाबेस में दर्शा सकते हैं। |
08:35 | एक तीसरी टेबल, BooksIssued बना कर, जिसे जंक्शन टेबल भी कहते हैं। |
08:45 | और यहाँ, हम प्रत्येक दोनों टेबल्स- Books और Members से प्राइमरी कीज़ को- BooksIssued टेबल में प्रविष्ट करेंगे। |
08:57 | इसकी वजह से, BooksIssued टेबल सदस्य को जारी की गयी प्रत्येक पुस्तक को रिकॉर्ड करता है। |
09:05 | अतः तीसरा जंक्शन टेबल बनाकर, हम many-to-many रिलेशनशिप्स को दर्शा सकते हैं। |
09:13 | और आखिर में यहाँ One-to-one रिलेशनशिप है। |
09:18 | कभी-कभी, कुछ एट्रिब्यूट्स या कॉलम्स केवल कुछ विशेष डेटा के लिए निश्चित होते हैं और इसलिए कदाचित डेटा से भरे जाते हैं। |
09:30 | चलिए एक उदाहरण देखते हैं जिसमें केवल एक रचयिता के पास वेबसाइट एड्रेस है और बाकी के पास नहीं। |
09:38 | और Authors टेबल में नई वेबसाइट कॉलम को ज्यादातर खाली छोड़ने से, हम डिस्क स्पेस बर्बाद कर रहे हैं। |
09:47 | अतः हम इस कॉलम को एक नई अतिरिक्त टेबल स्थानांतरित कर सकते हैं, जिसकी प्राइमरी की वही Author Id होगी। |
09:58 | अतरिक्त टेबल में प्रत्येक रिकॉर्ड वास्तव में मुख्य टेबल के एक रिकॉर्ड के अनुरूप होगा। |
10:06 | जो One-to-one रिलेशनशिप को दर्शाता है। |
10:10 | अतः यहाँ, हमने अपने डेटाबेस में रिलेशनशिप्स को स्थापित करना सीखा। |
10:15 | इसी के साथ हम लिबरऑफिस में डेटाबेस डिजाइन के दूसरे भाग के इस ट्यूटोरियल की समाप्ति की ओर आ गये हैं। |
10:23 | संक्षिप्त में, हमने डेटाबेस डिजाइन में निम्न विषय सीखें: |
10:28 | 4. सूचना आइटम्स को कॉलम्स में बदलना |
10:32 | 5. प्राइमरी कीज़ उल्लिखित करना । |
10:34 | 6. टेबल रिलेशनशिप्स को स्थापित करना। |
10:38 | स्पोकन ट्यूटोरियल प्रोजेक्ट टॉक-टू-अ-टीचर प्रोजेक्ट का हिस्सा है, यह भारत सरकार के एमएचआरडी के “आईसीटी के माध्यम से राष्ट्रीय साक्षरता मिशन” द्वारा समर्थित है। |
10:48 | यह प्रोजेक्ट http://spoken-tutorial.org. द्वारा संचालित है।
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10:54 | इस पर अधिक जानकारी निम्न लिंक पर उपलब्ध है। |
10:58 | आई.आई.टी बॉम्बे की ओर से मैं रवि कुमार अब आपसे विदा लेता हूँ। हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। |