Difference between revisions of "BOSS-Linux/C2/Working-with-Regular-Files/Sanskrit"
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Revision as of 16:05, 8 January 2015
Time | Narration | |
00:00 | Linux मध्ये नियत-सञ्चिकाभि: सह कार्यम् इति एतस्मिन् spoken tutorial मध्ये स्वागतम् | |
00:07 | संधारिका: , सञ्चिका: च एकीभूय Linux File System रचयन्ति | |
00:13 | संधारिकाभि: सह कथं कार्यम् इति अस्माभि: आदावेव पूर्वस्मिन् पाठे दृष्टम् अस्ति , भवान् एनं पाठम् अस्मिन् जालपुटे पश्येत् | |
00:25 | नियत-सञ्चिका: कथं नियन्त्रणीया: इति अस्मिन् पाठे वयं द्रक्ष्याम: | |
00:32 | cat आदेशम् उपयुज्य सञ्चिका कथं निर्मातव्या इति अस्माभि: आदावेव अन्यस्मिन् पाठे दृष्टम् अस्ति , अधिक-विवरणार्थम् अस्य जालपुटस्य संपर्कं करोतु | |
00:46 | अथ पश्याम: , एकस्थानीयसञ्चिकाया: अन्यस्थाने प्रतिकृति: कथं करणीया इति ,एतन्निमित्तम् अस्माकं समीपे cp आदेश: अस्ति | |
00:56 | पश्याम: तर्हि , आदेश: कथम् प्रयुज्यते इति | |
01:00 | कस्याश्चित् सञ्चिकाया: प्रतिकृतिं कर्तुं टङ्कयाम: - | |
cp space एक: अधिका: [ पर्याया:] वा... space SOURCEसञ्चिकाया: नाम space गतव्य-सञ्चिकाया: नाम DEST | ||
01:15 | युगपदेव नैकानां सञ्चिकानां प्रतिकृतिं कर्तुं वयं लिखाम: - | |
cp space एक: अधिका: [ पर्याया:] वा..the name of the SOURCEसञ्चिकाया: नाम... | ||
यासां सञ्चिकानां प्रतिकृति: करणीया तासां तथैव यस्यां संधारिकायां ता: सञ्चिका: समाविष्टा: भवेयु: तस्या: इत्युक्ते गन्तव्यस्थानस्य नाम | ||
01:34 | अधुना उदाहरणं पश्याम: ,प्रथमं तावत् terminal उद्घाटयाम: | |
01:42 | अस्मत्-सविधे गृहसन्धारिकायां test1 नाम्ना सञ्चिका आदावेव अस्ति | |
01:49 | test1 मध्ये किम् अस्ति इति द्रष्टुं वयं टङ्कयाम: - | |
"$ cat test1 " enter नुदतु च | ||
02:00 | वयं पश्याम: यत् test1 इत्यस्या:सामग्री दृश्यते इति , अधुना यदि वयं तस्या: प्रतिकृतिं test2 नाम्न: अन्य-सञ्चिकायां कर्तुम् इच्छाम: तर्हि वयं लिखाम: | |
"$ cp test1 test2 " , enter नुदाम: च | ||
02:22 | अधुना सञ्चिकाया: प्रतिकृति: निर्मिता | |
02:25 | यदि test2 विद्यमाना नास्ति तर्हि प्रथमं सा निर्मातव्या तत: च test1 इत्यस्या: सामग्रे: तस्यां प्रतिकृति: कर्तव्या | |
02:35 | यदि आदावेव निर्मिता अस्ति तर्हि सा नि:संशयं प्रतिसमाधत्ते , प्रतिकृतां सञ्चिकां द्रष्टुं टङ्कयाम: | |
"$ cat test2 " , enter नुदतु च | ||
02:52 | भवान् भिन्नसंधारिकत: भिन्नसधारिकायाम् अपि सञ्चिकानां प्रतिकृतिं कर्तुं शक्नोति यथा | |
टङ्कयतु- | ||
"$ cp /home/anirban/arc/demo1 /home/anirban/demo2 " enter नुदतु च | ||
03:32 | अनेन किं भवेत् इति चेत् /home/anirban/arc/इत्यस्या: मूल-संधारिकात: /home/anirban इत्यस्यां गन्तव्य-संधारिकायां demo1 इत्यस्या: सञ्चिकाया:प्रतिकृति: निर्मिता भवेत् ,तस्या: प्रतिकृति: demo2 नाम्न: सञ्चिकायां भवेत् | |
03:51 | तत्र demo2 अस्ति इति द्रष्टुं टङ्कयतु | |
"ls space /home/anirban " enter नुदतु च | ||
04:07 | येन भवान् अत्र demo2 द्रष्टुं शक्नोति | |
04:12 | अग्रं गमनात् पूर्वं पटलं स्वच्छं कुर्म: | |
04:17 | यदि गन्तव्य-संधारिकायां सञ्चिकाया: नाम समानं भवतु इति भवान् इच्छति तर्हि भवता सञ्चिकानाम अपि न निर्देष्ट्व्यं भवेत् ,यथा- | |
04:27 | टङ्कयतु - "$ cp /home/anirban/arc/demo1 /home/anirban/ " , enter. नुदतु | |
04:55 | अनेन /home/anirban/arc/ इत्यस्यां संधारिकायां विद्यमानाया: demo1 सञ्चिकाया: प्रतिकृति: /home/anirban इत्यस्यां संधारिकायां demo1 नाम्ना एव रक्षिता भवेत् | |
05:11 | यथा पूर्वं demo1 द्रष्टुं टङ्कयतु - | |
"ls/home/anirban " enter नुदतु च | ||
05:25 | येन भवान् तत्र demo1 सञ्चिकां द्रष्टुं शक्नोति | |
05:30 | पुन: अग्रे गमनात् पूर्वं पटलं स्वच्छं कुर्म: | |
05:37 | अन्यत् उदाहरणं , यदा नैकानां सञ्चिकानां प्रतिकृतय: करणीया: भवन्ति , तदा सञ्चिकाया: गन्तव्य-स्थानस्य नाम्न: आवश्यकता न भवति | |
05:44 | वयं चिन्तयाम: यत् अस्माकं गृह-संधारिकायां सञ्चिकात्रयम् अस्ति test1 ,test2 ,test3 च | |
05:53 | अधुना वयं टङ्कयाम: "$ cp test1 test2 test3 /home/anirban/testdir " enter नुदाम:च | |
06:16 | अनेन test1 ,test2 ,test3 च इति अस्य सञ्चिकात्रयस्य प्रतिकृति: तस्य नाम अपरिवर्त्य /home/anirban/testdir इत्यस्यां संधारिकायां रक्षिता भवेत् | |
06:30 | भवान् पश्यति यत् एतत् सञ्चिकात्रयस्य प्रतिकृति: सत्यमेव सञ्जाता , वयं टङ्कयाम: "ls /home/anirban/testdir " enter नुदाम: च | |
06:52 | भवान् पश्यति यत् अस्यां संधारिकायां test1,test2 ,test3 च सन्ति | |
06:58 | cp इत्यनेन सह कार्यं कुर्वाणा: बहव: पर्याया: सन्ति,अत्र वयं तेषु अधिक-महत्त्व-पूर्णान् पर्यायान् एव द्रक्ष्याम: | |
07:07 | प्रथमं तावत् अवसर्पिणी: प्रति पुन: गच्छाम: | |
07:12 | पर्यायेषु -R इति महत्त्वपूर्ण: पर्याय:, एष: संपूर्ण-संधारिका-संरचनाया: पुन: पुन: प्रतिकृति-निर्माणार्थं कारणीभूत: भवति | |
07:23 | उदाहरणं पश्याम: | |
07:27 | अथ testdir संधारिकाया: सामग्रे: test. नाम्न: संधारिकायां प्रतिकृतिं कर्तुं प्रयत्नं कुर्म: | |
07:36 | तन्निमित्तं वयं टङ्कयाम: " cp testdir/ test " enter नुदाम: च | |
07:51 | output message, इत्यनेन ज्ञायेत यत् , | |
07:54 | सामान्यत: वयं cp - आदेशेन सामग्रीं समाविशन्त्या: संधारिकाया: साक्षात् प्रतिकृतिं कर्तुं न शक्नुम: | |
08:02 | किन्तु -R पर्यायेण वयं तत् कर्तुं शक्यते | |
08:07 | अधुना वयं टङ्कयाम: "cp -R testdir/ test " , enter. नुदाम: च | |
08:25 | इदानीं सञ्चिकानां प्रतिकृति: सञ्जाता, test संधारिका सत्यमेव विद्यमाना अस्ति इति द्रष्टुं,टङ्कयतु ls ,enter नुदतु च | |
08:37 | भवान् पश्यति यत् test संधारिका विद्यते इति , पटलं स्वच्छं कुर्म: | |
08:45 | test मध्ये विद्यमानां सामग्रीं द्रष्टुं टङ्कयतु - ls test , enter. नुदतु च | |
08:57 | test संधारिकाया: सामग्रीं भवान् द्रष्टुं शक्नोति | |
09:01 | अधुना अवसर्पिणी: प्रति पुन: गच्छाम: | |
09:05 | अस्माभि: दृष्टम् अस्ति यत् आदावेव विद्यमानायां सञ्चिकायां अन्य-सञ्चिकाया: प्रतिकृति: क्रियते चेत् विद्यामाना सञ्चिका प्रतिसमाधत्ते | |
09:14 | अधुना किं करणीयम्? ,यदि अस्माभि: एका महत्त्व-पूर्णा सञ्चिका अज्ञातत: प्रतिसमाधाता ? | |
09:19 | ईदृशं मा भवेत् इति एतदर्थम् अस्माकं समीपे , -b इति पर्याय: अस्ति | |
09:25 | अनेन विद्यमानाया: प्रत्येकं गन्तव्य-सञ्चिकाया: प्रतिलेख: निर्मीयते | |
09:32 | वयं -i (संवादात्मक)पर्यायम् अपि उपयोक्तुं शक्नुम: , कस्या: अपि गन्तव्य-सञ्चिकाया: प्रतिसमाधानात् पूर्वम् असौ सर्वदा सूचयति | |
09:43 | अधुना पश्याम: यत् mv आदेश: कथं कार्यं करोति इति | |
09:47 | असौ सञ्चिका-नयनार्थम् उपयुज्यते ,अधुना कथं एष: उपयुक्त:? | |
09:53 | अस्य उपयोग-द्वयं मुख्यम् अस्ति | |
09:57 | सञ्चिकाया: संधारिकाया: वा नाम नवीकर्तुम् | |
10:00 | तथैव भिन्न-संधारिकायां सञ्चिका-वर्गं नेतुम् असौ प्रयुज्यते | |
10:05 | mv इति cp इत्यनेन समान: य: आदावेव दृष्ट: ,अत: शीघ्रं पश्याम: mv कथम् प्रयुज्यते इति | |
10:17 | वयं terminal उद्घाटयाम: टङ्कयाम: च "$ mv test1 test2 " enter नुदाम: च | |
10:32 | अनेन गृह- संधारिकायां आदावेव विद्यमानाया: test1 इत्यस्या: सञ्चिकाया: test2 इति एवं नाम-परिवर्तनं भवेत् | |
10:40 | यदि test2 आदावेव विद्यमाना अस्ति तर्हि सा नि:संशयं प्रतिसमादध्यात् | |
10:49 | यदि वयं सञ्चिकाया: प्रतिसमाधानात् पूर्वं सूचनाम् इच्छाम: | |
10:54 | तर्हि वयं mv इति आदेशेन सह -i पर्यायम् उपयोक्तुं शक्नुम: | |
10:59 | चिन्तयतु ,अस्मत्-सविधे anirban नाम्न: अन्या सञ्चिका अस्ति,तां सञ्चिकाम् अपि वयं test2 नाम्ना नवीकर्तुम् इच्छाम: | |
11:08 | वयं टङ्कयाम: 'mv -i anirban test2 " , enter नुदतु च | |
11:21 | भवान् पश्यति यत् test2 - सञ्चिका प्रतिसमाधातव्या उत न इति प्रच्छ्यते | |
11:30 | यदि वयं y नुदाम: तदनु enter, नुदाम: तर्हि सञ्चिका प्रतिसामाधाता भवेत् | |
11:37 | cp इव वयं नैकाभि: सञ्चिकाभि: सह mv उपयोक्तुं शक्नुम:,किन्तु अस्मिन् सन्दर्भे गन्तव्य-स्थानं संधारिका स्यात् | |
11:47 | अग्र-गमनात् पूर्वं पटलं स्वच्छं कुर्म: | |
11:52 | चिन्तयतु , अस्मत् - सविधे गृह-संधारिकायां abc.txt, pop.txt , push.txt च इति सञ्चिकात्रयम् अस्ति | |
12:03 | तत् अस्ति उत न इति द्रष्टुं टङ्कयतु ls , enter नुदतु च | |
12:09 | पश्यतु ,सञ्चिका: सन्त्येव pop.txt,push.txt , abc.txt ...पटलं स्वच्छं कुर्म: | |
12:24 | अधुना इदं सञ्चिका-त्रयं testdir. नाम्न: संधारिकायां नेतव्यमस्ति | |
12:32 | तन्निमित्तं किं करणीयम् इति चेत् टङ्कयतु mv abc.txt pop.txt push.txt , तत: गन्तव्य-स्थानस्य नाम यत् testdir इति अस्ति ,enter नुदतु च | |
12:58 | तत्-त्रयं द्रष्टुं टङ्कयतु ls testdir ,enter नुदतु च | |
13:06 | भवान् सञ्चिका: द्रष्टुं शक्नोति abc, pop , push.txt. च | |
13:14 | अधुना mv. इत्यनेन सह कार्यं कुर्वाणान् पर्यायान् पश्याम: , अवसर्पिणी: प्रति गच्छेम | |
13:22 | mv इति आदेशेन सह -b –backup वा पर्याय: अस्ति ,अस्य कारणात् प्रतिसमाधानात् पूर्वं प्रत्येकं सञ्चिका गन्तव्ये स्थाने प्रतिलिखिता भवेत् | |
13:34 | अस्माभि: दृष्टपूर्व: -i पर्याय: कस्याश्चित् अपि गन्तव्य-सञ्चिकाया: प्रतिसमाधानात् पूर्वं सूचनां करोति | |
13:44 | rm इति द्रष्टव्य: अग्रिम: आदेश:अस्ति ,असौ सञ्चिका: उच्छेत्तुम् उपयुज्यते | |
13:52 | terminal प्रति गच्छतु , टङ्कयतु च ls testdir. | |
14:00 | वयं पश्याम: यत् faq.txt इति सञ्चिका-नाम विद्यते एव ,चिन्तयतु वयं ताम् उच्छेत्तुम् इच्छाम: | |
14:09 | तन्निमित्तं वयं टङ्कयाम: | |
"$ rm testdir/faq.txt " , enter नुदतु च | ||
14:23 | अनेन /testdir संधारिकात: faq.txt सञ्चिका निष्कासिता भवेत् | |
14:32 | सञ्चिका निष्कासिता अस्ति उत न इति द्रष्टुं पुन: टङ्कयतु ls testdir , enter नुदतु च | |
14:47 | वयं पश्याम: यत् faq.txt. सञ्चिका नैव दृश्यते इति | |
14:51 | वयं नैकाभि: सञ्चिकाभि: सह अपि rm आदेशम् उपयोक्तुं शक्नुम: | |
14:57 | testdir संधारिकायां सञ्चिका-द्वयम् अस्ति abc2 ,abc1. च | |
15:03 | चिन्तयतु ,वयं abc2 ,abc1. च इति एतत्-द्वयं निष्कासयितुम् इच्छाम: | |
15:09 | तन्निमित्तं वयं टङ्कयाम: rm testdir/abc1 testdir/abc2 , enter नुदाम: च | |
15:31 | अनेन abc2 ,abc1. च इति सञ्चिका-द्वयं testdir संधारिकात: निष्कासितं भवति | |
15:39 | तत्-द्वयमपि निष्कासितम् अस्ति इति द्रष्टुं पुन: टङ्कयतु ls testdir, भवान् पश्यति यत् तत्र abc2 ,abc1. च नैव दृश्येताम् | |
15:53 | अग्रे गमनात् पूर्वं पटलं स्वच्छीकुर्म: | |
15:58 | अधुना अवसर्पिणी: प्रति गच्छेम | |
16:02 | इदानीं यत् उक्तं तत् संक्षेपेण पश्याम: | |
16:04 | एकां सञ्चिकाम् उच्छेत्तुं वयं rm तत: च सञ्चिका-नाम लिखाम: | |
16:11 | नैका: सञ्चिका: उच्छेत्तुं वयं rm तत: च तासां नामानि लिखाम: | |
16:19 | अधुना rm आदेशस्य कतिचन पर्यायान् पश्याम: | |
16:24 | कदाचित् सञ्चिका write इत्यनेन संरक्षिता भवति ,तेन rm कारणात् सञ्चिका उच्छिन्ना न भवेत् , तदा अस्मत्-सविधे -f इति पर्याय: अस्ति येन सञ्चिका बलेन उच्छिन्ना भवेत् | |
16:41 | अन्य: सामान्य: पर्याय: अस्ति , -r पर्याय:, पश्याम:... एष: पर्याय: कुत्र उपयोगी अस्ति इति | |
16:52 | terminal प्रति गच्छाम: | |
16:57 | संधारिका: उच्छेत्तुं rm आदेश: सामान्यत: न उपयुज्यते ,तन्निमित्तम् अस्मत्-सविधे rmdir इति आदेश: अस्ति | |
17:05 | किन्तु , सामान्यत: rmdir आदेश: संधारिकां तदैव उच्छिन्नति यदा सा रिक्ता भवति | |
17:12 | यदि वयं बहव: सञ्चिका: उपसन्धारिका: च समाविशन्तीं संधारिकां उच्छेत्तुम् इच्छाम: तर्हि किं करणीयम्? | |
17:19 | एतत् कर्तुं rm आदेशेन प्रयतामहे | |
17:23 | अथ टङ्कयाम: rm तत: उच्छेत्तव्या संधारिका testdir इति, enter नुदाम: च | |
17:31 | output message त: ज्ञायते यत् , rm आदेशेन वयम् testdir उच्छेत्तुं न शक्नुम: | |
17:39 | किन्तु , यदि -r , -f च एकत्रीकुर्म: तर्हि वयं तत् कर्तुं शक्नुम: | |
17:47 | टङ्कयतु rm -rf testdir , तत: च enter. नुदतु | |
18:00 | अधुना testdir संधारिका यशस्विरीत्या उच्छिन्नाअस्ति | |
18:06 | अधुना अग्रिम-आदेशं पठितुम् अवसर्पिणी: प्रति पुन: गच्छेम | |
18:11 | cmp इति आदेश: | |
18:13 | कदाचित् सञ्चिका-द्वयं समानम् उत भिन्नम् इति द्रष्टव्यं भवति ,यदि तद्द्वयं समानं तर्हि वयं तयो: एकाम् उच्छेत्तुं शक्नुम: | |
18:22 | तथा च सञ्चिका गत-संस्करणात् परिवर्तिता अस्ति उत न इति अपि द्रष्टव्यं भवति | |
18:28 | एतन्निमित्तं तथैव बहूनां अन्य-हेतूनां कृते वयं cmp आदेशम् उपयुञ्ज्महे | |
18:33 | अनेन सञ्चिकाद्वयम् अष्टकश: तुल्यते | |
18:38 | file1 , file2 च तोलयितुं वयं लिखाम: cmp file1 file2. | |
18: 47 | यदि सञ्चिका-द्वये अपि यथावत् समाना सामग्री स्यात् तर्हि कोsपि सन्देश: न दर्श्यते | |
18:55 | केवलं संसूचकं दरीदृश्येत | |
18:58 | यदि सामग्र्यो: भिन्नता भवेत् तर्हि तयो: प्रथमा terminal उपरि दृश्येत | |
19:10 | पश्याम: cmp कथं कार्यं करोति इति ,गृह-संधारिकायां sample1 , sample2 च सञ्चिका-द्वयमस्ति | |
19:19 | पश्याम: च तयो: किमस्तीति ? | |
19:22 | टङ्कयतु cat sampe1 ,enter नुदतु च , | |
अस्यां “This is a Linux file to test the cmp command” इति लिखितमस्ति | ||
19:34 | अन्य-सञ्चिकायामपि किमपि लिखितं स्यात् तत् द्रष्टुं टङ्कयाम: cat sample2 ,enter नुदाम: च | |
19:44 | अस्यां “This is a Unix file to test the cmp command.” इति लिखितं स्यात् | |
19:50 | अधुना वयं एतत्-सञ्चिकाद्वय-सन्दर्भे cmp आदेशम् उपयुञ्ज्महे | |
19:55 | वयं लिखाम: cmp sample1 sample2 , enter नुदाम: च | |
20:08 | वयं पश्याम: यत् sample1 sample2 च इति एतयो: प्रथम-भेद: निर्दिश्यते | |
20:16 | अग्रिम-आदेशार्थम् अग्रे गमनात् पूर्वं पटलं स्वच्छीकुर्म: | |
20:22 | wc - आदेश: अग्रिम-आदेश: अस्ति | |
20:26 | सञ्चिकास्थान् वर्णान् शब्दान् पङ्क्ती: च गणयितुं आदेश: असौ उपयुज्यते | |
20:34 | अस्माकं गृह-संधारिकायां sample3 नाम्न: सञ्चिका अस्ति | |
20:39 | तस्या: सामग्रीं पश्याम:,तदर्थं वयं टङ्कयाम: cat sample3 ,enter नुदाम: च | |
20:50 | एषा अस्ति sample3.-इत्यस्या: सामग्री ! | |
20:54 | अधुना एतत् -सञ्चिकाया: कृते wc इति आदेशम् उपयुञ्ज्महे | |
20:59 | तदर्थं वयं लिखाम: wc sample3 ,enter नुदाम: च | |
21:10 | आदेश: निर्दिशति यत् सञ्चिकायां षट् पङ्क्तय: ,सप्तषष्टि: शब्दा: ,त्रिशताधिकपञ्चाशीति: वर्णा: च सन्ति | |
21:22 | सञ्चिकाभि: सह कार्यं कर्तुम् अस्माकं साहाय्यं कुर्वाणा: केचन आदेशा: सन्ति | |
21:27 | इतोऽपि बहव: आदेशा: सन्ति , तथैव अस्माभि: दृष्टस्य प्रत्येकम् आदेशस्य बहव: पर्याया: सन्ति | |
21:36 | man आदेशम् उपयुज्य तेषां विषये अधिकं ज्ञातुम् अहं भवन्तं प्रेरयामि | |
21:44 | अनेन पाठ: असौ समाप्यते | |
21:48 | Spoken Tutorial इति Talk to a Teacher - प्रकल्पभाग: ,य: National Mission on Education through ICT, MHRD, भारतसर्वकारेण साहाय्यीकृत: | |
22:02 | अस्य अधिकज्ञानम् spoken hyphen tutorial dot.org slash NMEICT hyphen Intro http://spoken-tutorial.org/NMEICT-Intro इत्यत्र उपलभ्यते | |
22:18 | एतत्- पाठ- अनुवादकर्त्री इयं घाग-नन्दिनी आपृच्छते भवत: ,संपर्कार्थं धन्यवादा:! |