Difference between revisions of "Health-and-Nutrition/C2/Basics-of-newborn-care/Hindi"
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− | | पैदा होने के कुछ | + | | पैदा होने के कुछ मिनटों में ही जब गर्भनाल धड़कना बंद हो जाए तो उस पर गांठ बांध दें। |
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− | | पर याद रखें गर्भनाल में शिशु के इन्फेक्शन आ सकता है | + | | पर याद रखें गर्भनाल में शिशु के शरीर में इन्फेक्शन आ सकता है |
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− | | इसीलिए इसका ध्यान रखना | + | | इसीलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है। |
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− | | कैसे गर्भनाल को हवा लगाकर सूखा रखें | + | | कैसे, गर्भनाल को हवा लगाकर सूखा रखें |
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− | | गर्भनाल को शिशु के लंगोट के बाहर रखे या फिर मोड़कर लंगोट के | + | | गर्भनाल को शिशु के लंगोट के बाहर रखे या फिर मोड़कर लंगोट के किनारे के अंदर रखें। |
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− | | या पीक पड जाए या सूजन या फिर | + | | या पीक पड जाए या सूजन या फिर त्वचा लाल हो जाए, |
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− | | | + | | कभी भी ऐसा भी हो सकता है कि गर्भनाल गिरने वाला हो तब या फिर गिरने के बाद थोड़ा सा खून निकले, पर ये जल्दी रुक जाता है। |
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− | | और ना ही उसके गिरने पर त्वचा पर | + | | और ना ही उसके गिरने पर त्वचा पर पट्टी बांधे। |
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| 04:25 | | 04:25 | ||
− | | पहले 6 महीने मां का | + | | पहले 6 महीने सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। |
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− | | इसके अलावा शिशु को | + | | इसके अलावा मां और शिशु को एक दूसरे के साथ त्वचा से त्वच के संपर्क में रखना चाहिए और मां को शिशु के भूखे होने के संकेतों को देखना चाहिए। |
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− | | कभी-कभी नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए | + | | कभी-कभी नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए बार बार जगाना पड़ता है खासकर समय से पहले पैदा हुए काम वज़न के शिशुओं को । |
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− | | अगर एक स्वस्थ या | + | | अगर एक स्वस्थ या फिर समय से पहले पैदा हुए शिशु को स्तनपान में दिलचस्पी ना हो तो तो मां को डॉक्टर या स्वास्थ्य सेविका से मिलना चाहिए। |
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− | | स्तनपान करते | + | | स्तनपान करते हुए शिशु हवा भी निगल लेते हैं इससे वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। |
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− | | ऐसा ना हो हर स्तनपान | + | | ऐसा ना हो इसके लिए हर स्तनपान के बाद शिशु को डकार दिलवाए। |
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− | | अगला है लंगोट के बारे में जब भी | + | | अगला है लंगोट के बारे में, जब भी शिशु पेशाब या मल करें तो उसे पीठ पर लिटाकर गंदी लंगोट को निकालें |
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| 05:37 | | 05:37 | ||
− | | पानी | + | | पानी और मुलायम कपड़े से उसके गुप्त अंगों को साफ करें। |
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| 05:44 | | 05:44 | ||
− | | इन जगहों पर साबुन ना | + | | इन जगहों पर साबुन ना लगाएं। अगर शिशु लड़की हो तो हमेशा आगे से पीछे की तरफ साफ करें इससे पेशाब के इंफेक्शन से बचाव होगा। |
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| 05:55 | | 05:55 | ||
− | | | + | | लंगोट बदलने से पहले और बाद में मां या फिर शिशु को सँभालने वाले को हाथ अच्छे से धोने चाहिए । |
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| 06:03 | | 06:03 | ||
− | | कभी ऐसा भी हो सकता है कि लंगोट की वजह से लाल या | + | | कभी ऐसा भी हो सकता है कि लंगोट की वजह से शिशु की त्वचा लाल या उस पर दाने हो जाए |
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| 06:08 | | 06:08 | ||
− | | | + | | ऐसा होना आम है कि त्वचा लाल हो जाए और दाने भी हो । यह कुछ दिनों में गर्म पानी से नहाने पर और, |
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− | | कुछ खास क्रीम लगाने पर | + | | कुछ खास क्रीम लगाने पर और फिर कभी कभी बिना लंगोट पहनने पर ठीक हो जाता है। |
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| 06:25 | | 06:25 | ||
− | | शिशु की त्वचा नाजुक होती | + | | शिशु की त्वचा नाजुक होती है। गीली लंगोट से उसको तकलीफ होती है और |
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| 06:33 | | 06:33 | ||
− | | त्वचा लाल या उस पर दाने भी हो जाते | + | | त्वचा लाल या उस पर दाने भी हो जाते हैं। इन सब से बचने के लिए शिशु की लंगोट हर पेशाब या मल के बाद बदलनी चाहिए। |
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| 06:41 | | 06:41 | ||
− | | फिर उसके गुप्त अंगो को | + | | फिर उसके गुप्त अंगो को पानी और मुलायम कपड़े से साफ करें। बाजार में मिलने वाले गीले कपड़े या पेपर से नहीं जिससे शिशु को तकलीफ हो सकती है |
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− | | | + | |एक मोटी परत लंगोट की तकलीफ से बचाने वाली क्रीम की भी लगा सकते हैं । |
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| 06:55 | | 06:55 | ||
− | | | + | | क्रीम जिसमें जिंक ऑक्साइड हो वो नमी को दूर रखता है। |
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− | | शिशु की लंगोट बिना रंग | + | | शिशु की लंगोट बिना रंग और खुशबू वाले साबुन से धोएँ। |
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− | | और दिन में | + | | और दिन में कुछ वक्त शिशु को लंगोट ना पहनाए । इससे त्वचा को हवा लगेगी। |
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− | | अगर 3 दिन से ज्यादा त्वचा को तकलीफ हो | + | | अगर 3 दिन से ज्यादा त्वचा को तकलीफ हो या फिर हालत ज्यादा बिगड़े तो डॉक्टर को दिखाएं। |
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− | | एक ही बार में | + | | नवजात एक ही बार में 2 से 4 घंटे सोते हैं। |
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− | | काफी नवजात | + | | काफी नवजात शिशुओं के लिए दिन और रात में कोई फर्क नहीं होता। |
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− | | | + | | वह रात को जागते हैं और पूरा दिन सोते हैं। |
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− | | | + | | ऐसा कुछ ना करें कि शिशु की रात की नींद खराब हो | जब वो रात में सोये तो कमरे की रोशनी कम करके रखें और दिन में उसे जगा कर रखें, उस के साथ खेले और बातचीत करें। |
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| 08:17 | | 08:17 | ||
− | | मां या शिशु की देखभाल करने वाले को | + | | मां या शिशु की देखभाल करने वाले को रखना चाहिए की शिशु हमेशा अपनी पीठ पर सोए। |
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| 08:24 | | 08:24 | ||
− | | | + | | इस से अचानक से होने वाली मृत्यु से शिशु बच पाएगा । |
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| 08:30 | | 08:30 | ||
− | | सोते हुए | + | | सोते हुए बाकि की सावधानियां जो बरतनी चाहिए वे हैं, उनके पालने में कंबल, रजाई,मेमने की खाल,रुई से भरे खिलौने और तकिए ना रखें। |
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| 08:47 | | 08:47 | ||
− | | हर | + | |याद से हर रात को शिशु के सर की स्थिति बदलें। पहले दाएं फिर बाएं फिर दाएं और ऐसे रोज बदलें। |
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| 08:58 | | 08:58 | ||
− | | इससे शिशु का सिर चपटा नहीं होगा। | + | | इससे शिशु का सिर एक तरफ से चपटा नहीं होगा। |
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| नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है | | नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है | ||
− | मुंबई से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती | + | आई आई टी मुंबई से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं। हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। |
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Latest revision as of 12:16, 11 September 2020
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00:00 | नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों के इस स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है |
00:05 | इस ट्यूटोरियल हम सीखेंगे नवजात को किस तरह संभाले, |
00:11 | गर्भनाल की देखभाल करना, नवजात को खिलाना और डकार दिलवाना, |
00:15 | लंगोट और उसकी वजह से त्वचा पर होने वाले लाल रंग के दाने होना |
00:19 | और नवजात शिशु की सोने की आदतें। |
00:23 | नवजात शिशु के जन्म पर पूरा परिवार खुश हो जाता है और हर कोई शिशु को देखना और उसे उठाना चाहता है। |
00:34 | इसीलिए यह जरूरी है कि शिशु को उठाने से पहले कुछ नियमों का पालन किया जाए |
00:40 | नवजात की रोग प्रतिरोधक शक्ति मजबूत नहीं होती। इस वजह से उसे इंफेक्शन का खतरा रहता है। |
00:48 | शिशु को इंफेक्शन से बचाने के लिए यह ज़रूरी है कि उसे पकड़ने या उठाने वाले के हाथ हमेशा साफ़ हों । |
00:57 | शिशु को उठाने से पहले हाथ साबुन और पानी से अच्छे से धोयें और साफ कपड़े से सुखाएं |
01:07 | अब हम सीखेंगे की पहली बार जो है शिशु को कैसे उठाएं |
01:11 | शिशु को उठाते हुए हमेशा अपने एक हाथ से उसके सर और गर्दन को सहारा दे और दूसरे हाथ से उसके नितंब को |
01:19 | लिटाते हुए भी एक हाथ से सर और गर्दन को सहारा दे और दूसरे हाथ से नितंब को |
01:26 | जब भी शिशु को नींद से जगाना हो तो |
01:31 | उसके पैरों पर गुदगुदी करें या फिर सहारा देते हुए उठाकर बैठाएं या फिर हल्के से उसके कान को छुए |
01:42 | हमेशा याद रखें कि नवजात शिशु बहुत नाजुक होते हैं |
01:46 | शिशुओं को संभालने से पहले याद रखें कि वो किसी भी तरह खेल के लिए तैयार नहीं है |
01:55 | इसीलिए उसे घुटने पर रखकर ना हिलाएं और ना ही हवा में फेंक कर पकड़ें |
02:01 | या फिर खेलते हुए या फिर गुस्से में उसे जोर से ना हिलाएं |
02:05 | उसकी गर्दन को अचानक से न हिलाएं
इन सब से अंदरूनी चोटें लग सकती है। |
02:14 | अब हम घर पर गर्भनाल की देखभाल करना सीखेंगे। |
02:18 | मां की कोख में गर्भनाल ही शिशु को जिंदा रखता है
पर पैदा होने के बाद गर्भनाल की जरूरत नहीं होती। |
02:30 | पैदा होने के कुछ मिनटों में ही जब गर्भनाल धड़कना बंद हो जाए तो उस पर गांठ बांध दें। |
02:37 | जब तक शिशु घर जाने लायक होता हो तब तक गर्भनाल सुख कर सिकुड़ने लगता है। |
02:45 | फिर वह एक दो हफ्तों में गिर जाता है। |
02:50 | पर याद रखें गर्भनाल में शिशु के शरीर में इन्फेक्शन आ सकता है |
02:57 | इसीलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है। |
03:02 | कैसे, गर्भनाल को हवा लगाकर सूखा रखें |
03:09 | गर्भनाल को गिरने तक शरीर को गीले कपड़े से पोंछे। |
03:14 | गर्भनाल को शिशु के लंगोट के बाहर रखे या फिर मोड़कर लंगोट के किनारे के अंदर रखें। |
03:24 | शिशु को स्वास्थ्य सेविका को जरूर दिखाएं अगर गर्भनाल के एक तरफ से खून निकले या त्वचा से खून निकले, |
03:32 | या पीक पड जाए या सूजन या फिर त्वचा लाल हो जाए, |
03:36 | या फिर आपको लगे कि शिशु को नाभि के आसपास दर्द हो रहा हो |
03:41 | यदि शिशु के एक महीना पूरे होने पर भी गर्भनाल ना गिरे। |
03:46 | कभी भी ऐसा भी हो सकता है कि गर्भनाल गिरने वाला हो तब या फिर गिरने के बाद थोड़ा सा खून निकले, पर ये जल्दी रुक जाता है। |
04:01 | याद रखें कि गर्भनाल को कभी भी ना खींचे। |
04:04 | और ना ही उसके ऊपर क्रीम और ना ही पाउडर डालें |
04:08 | और ना ही उसके गिरने पर त्वचा पर पट्टी बांधे। |
04:13 | अब हम पोषण की बात करेंगे कि कैसे शिशु को दूध पिलाया जाए। |
04:20 | नवजात को पैदा होते ही 1 घंटे में दूध पिलाएं। |
04:25 | पहले 6 महीने सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। |
04:30 | इसके अलावा मां और शिशु को एक दूसरे के साथ त्वचा से त्वच के संपर्क में रखना चाहिए और मां को शिशु के भूखे होने के संकेतों को देखना चाहिए। |
04:40 | यह सब बातें इसी शृंखला के अन्य ट्यूटोरियल में बताई गई है। |
04:46 | कभी-कभी नवजात शिशु को दूध पिलाने के लिए बार बार जगाना पड़ता है खासकर समय से पहले पैदा हुए काम वज़न के शिशुओं को । |
04:57 | अगर एक स्वस्थ या फिर समय से पहले पैदा हुए शिशु को स्तनपान में दिलचस्पी ना हो तो तो मां को डॉक्टर या स्वास्थ्य सेविका से मिलना चाहिए। |
05:09 | स्तनपान करते हुए शिशु हवा भी निगल लेते हैं इससे वह चिड़चिड़े हो जाते हैं। |
05:15 | ऐसा ना हो इसके लिए हर स्तनपान के बाद शिशु को डकार दिलवाए। |
05:20 | यह इसी शृंखला के एक अन्य ट्यूटोरियल में बताया गया है। |
05:25 | अगला है लंगोट के बारे में, जब भी शिशु पेशाब या मल करें तो उसे पीठ पर लिटाकर गंदी लंगोट को निकालें |
05:37 | पानी और मुलायम कपड़े से उसके गुप्त अंगों को साफ करें। |
05:44 | इन जगहों पर साबुन ना लगाएं। अगर शिशु लड़की हो तो हमेशा आगे से पीछे की तरफ साफ करें इससे पेशाब के इंफेक्शन से बचाव होगा। |
05:55 | लंगोट बदलने से पहले और बाद में मां या फिर शिशु को सँभालने वाले को हाथ अच्छे से धोने चाहिए । |
06:03 | कभी ऐसा भी हो सकता है कि लंगोट की वजह से शिशु की त्वचा लाल या उस पर दाने हो जाए |
06:08 | ऐसा होना आम है कि त्वचा लाल हो जाए और दाने भी हो । यह कुछ दिनों में गर्म पानी से नहाने पर और, |
06:18 | कुछ खास क्रीम लगाने पर और फिर कभी कभी बिना लंगोट पहनने पर ठीक हो जाता है। |
06:25 | शिशु की त्वचा नाजुक होती है। गीली लंगोट से उसको तकलीफ होती है और |
06:33 | त्वचा लाल या उस पर दाने भी हो जाते हैं। इन सब से बचने के लिए शिशु की लंगोट हर पेशाब या मल के बाद बदलनी चाहिए। |
06:41 | फिर उसके गुप्त अंगो को पानी और मुलायम कपड़े से साफ करें। बाजार में मिलने वाले गीले कपड़े या पेपर से नहीं जिससे शिशु को तकलीफ हो सकती है |
06:50 | एक मोटी परत लंगोट की तकलीफ से बचाने वाली क्रीम की भी लगा सकते हैं । |
06:55 | क्रीम जिसमें जिंक ऑक्साइड हो वो नमी को दूर रखता है। |
07:03 | शिशु की लंगोट बिना रंग और खुशबू वाले साबुन से धोएँ। |
07:08 | और दिन में कुछ वक्त शिशु को लंगोट ना पहनाए । इससे त्वचा को हवा लगेगी। |
07:18 | अगर 3 दिन से ज्यादा त्वचा को तकलीफ हो या फिर हालत ज्यादा बिगड़े तो डॉक्टर को दिखाएं। |
07:27 | यह फफूंदी का इंफेक्शन हो सकता है, जिसमें दवा लेनी पड़ती है। |
07:33 | आख़िर में हम बात करेंगे शिशु की सोने की आदतों की। |
07:38 | 1 दिन में शिशु 14 से 16 घंटे तक सो सकते हैं। |
07:43 | नवजात एक ही बार में 2 से 4 घंटे सोते हैं। |
07:48 | काफी नवजात शिशुओं के लिए दिन और रात में कोई फर्क नहीं होता। |
07:52 | वह रात को जागते हैं और पूरा दिन सोते हैं। |
07:58 | जब वो रात में सोये तो कमरे की रोशनी कम करके रखें और दिन में उसे जगा कर रखें, उस के साथ खेले और बातचीत करें। |
08:17 | मां या शिशु की देखभाल करने वाले को रखना चाहिए की शिशु हमेशा अपनी पीठ पर सोए। |
08:24 | इस से अचानक से होने वाली मृत्यु से शिशु बच पाएगा । |
08:30 | सोते हुए बाकि की सावधानियां जो बरतनी चाहिए वे हैं, उनके पालने में कंबल, रजाई,मेमने की खाल,रुई से भरे खिलौने और तकिए ना रखें। |
08:44 | इन सब से शिशु का दम घुट सकता है। |
08:47 | याद से हर रात को शिशु के सर की स्थिति बदलें। पहले दाएं फिर बाएं फिर दाएं और ऐसे रोज बदलें। |
08:58 | इससे शिशु का सिर एक तरफ से चपटा नहीं होगा। |
09:04 | नवजात शिशु की देखभाल की जरूरी बातों का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है
आई आई टी मुंबई से मैं बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं। हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। |