Difference between revisions of "Health-and-Nutrition/C2/How-to-bathe-a-newborn/Hindi"
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| − | | इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे मां या शिशु का ख्याल रखने वाले लिए | + | | इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे |
| + | मां या शिशु का ख्याल रखने वाले के लिए | ||
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| + | शिशु को नहलाने से पहले और नहलाने के दौरान की कुछ सुरक्षा टिप्पणियां | ||
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| − | | शिशु को | + | | शिशु को पहली बार कब नहलाया जाए, गीले कपड़े से उसके शरीर को कैसे पोंछा जाए, |
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| − | | रोज का नहलाना | + | | रोज का नहलाना, पारंपरिक तरीके से नहलाना, |
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| − | | पहाड़ों या ठंडे इलाकों | + | | पहाड़ों या ठंडे इलाकों के शिशुओं को नहलाना और क्रैडल कैप। |
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| − | | जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून कटे | + | | जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून हमेशा कटे होने चाहिए और |
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| − | | उन्हें अंगूठी | + | | उन्हें अंगूठी, चूड़ियां या घड़ी नहीं पहननी चाहिए |
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| क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है | | क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है | ||
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| − | | तो | + | | तो शिशु को पहली बार कब नहलाना चाहिए? |
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| − | | प्रसव के 48 | + | | प्रसव के 48 घंटों के बाद मां, शिशु का शरीर गीले कपड़े से पोंछ सकती है। |
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|01:22 | |01:22 | ||
| − | | याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक | + | | याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक गीले कपड़े से ही शिशु का शरीर पोंछे। |
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| − | | गर्भनाल गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु रोज नहला सकता है। | + | | गर्भनाल के गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु को रोज नहला सकता है। |
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| 01:38 | | 01:38 | ||
| − | | पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो जब तक 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे। | + | | पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो तो जब तक वजन 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे। |
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| − | | चलिए देखते हैं गीले कपड़े से कैसे पोंछा जाए। | + | | चलिए देखते हैं की गीले कपड़े से शिशु का शरीर कैसे पोंछा जाए। |
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| − | | शुरू करने से पहले याद | + | | शुरू करने से पहले याद से कमरे की सभी खिड़कियाँ बंद कर दें ताकि कमरा गरम रहे। |
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| − | | | + | | एक मुलायम साफ सूखा का कपड़ा तैयार रखें। |
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| − | | फ़र्श | + | | फ़र्श सबसे सुरक्षित जगह होती है। |
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| − | | पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए। | + | |नहाने का पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए। |
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| − | | | + | | पानी का तापमान मां को अपनी कोहनी से या कलाई से जांचना चाहिए। |
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| 02:32 | | 02:32 | ||
| − | | और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए | + | | और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए पहले साबुन का पानी इस्तेमाल करें। |
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| − | | साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन | + | | साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन या खास शिशु को नहलाने के लिए साबुन इस्तेमाल करें। |
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| 03:12 | | 03:12 | ||
| − | | | + | | शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे। |
| − | शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे। | + | |
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| − | | गर्दन के आस-पास हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग साफ करें। | + | | गर्दन के आस-पास, हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग भी साफ करें। |
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| 03:25 | | 03:25 | ||
| − | | अब हम बात करेंगे | + | | अब हम बात करेंगे रोज़ के नहलाने की। |
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| 03:31 | | 03:31 | ||
| − | | याद रखें शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं। | + | | याद रखें स्वस्थ शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं। |
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| 03:39 | | 03:39 | ||
| − | | रोज के नहाने के लिए | + | | रोज के नहाने के लिए अगर आपको बड़ा टब इस्तेमाल करना हो तो उसके अंदर 2 इंच तक साबुन का पानी भरे। |
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|03:48 | |03:48 | ||
| इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले | | इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले | ||
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| − | | और एक अलग टब में ताजा पानी | + | | और एक अलग टब में ताजा पानी रखें |
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| − | | | + | | फिर कोहनी से दोनों टबों के पानी का तापमान देखें। |
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| − | | तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे। | + | | तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को साबुन के पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे। |
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| 04:27 | | 04:27 | ||
| − | | सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें। | + | | सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग और खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें। |
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| − | | फिर हल्के हाथ ताजे पानी | + | | फिर हल्के हाथ से ताजे पानी के साथ साबुन निकालें। |
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| − | | और फिर शरीर | + | | और फिर शरीर पर सिलवट पड़ने वाले अंग और गुप्त अंग भी साफ करें जहां सबसे ज्यादा मैल होती है। |
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| 04:53 | | 04:53 | ||
| − | | पर मां | + | | पर अगर मां को या शिशु के ख्याल रखने वाले को पारंपरिक तरीके से नहलाना हो तो फर्श पर बैठकर अपनी टांगों को खोलें |
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|05:14 | |05:14 | ||
| − | | शिशु के पैर मां | + | | शिशु के पैर मां के पेट की तरफ होने चाहिए। |
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| 05:24 | | 05:24 | ||
| − | | नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ | + | | नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ, मुलायम तौलिये से पोंछे। |
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| 05:35 | | 05:35 | ||
| − | | पाउडर ना लगाएं खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं। | + | | पाउडर ना लगाएं, खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं। |
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| − | | इससे शिशु | + | | इससे शिशु के अंदर सीसे का जहर फैल सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है। |
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| 06:04 | | 06:04 | ||
| − | | इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक | + | | इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक रोज गीले कपड़े से ही पोंछें |
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| − | | पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या | + | | पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या ख्याल रखने वाले के नंगे शरीर के साथ बिना कपड़े पहने शिशु को रखें। |
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| − | | याद | + | | याद रहे हफ्ते में दो ही बार शैम्पू करें। |
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| − | | | + | | नहीं तो सर पर खुश्की हो जाएगी। |
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| 06:35 | | 06:35 | ||
| − | | कभी-कभी नवजात | + | | कभी-कभी नवजात के सिर की चमड़ी, पपड़ी वाली धब्बे या मछली की चमड़ी जैसी हो सकती है। इसे क्रैडल कैप कहते हैं। |
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| − | | यह अपने आप ठीक हो | + | | यह अपने आप ठीक हो जाएगा। इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है। |
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| − | | खास शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है। | + | | खास, शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है। |
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| − | | फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले | + | | फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले उससे शिशु का सिर धोएँ |
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| − | | शिशु के | + | | शिशु को नहलाने के तरीका का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है। आईआईटी मुंबई से में बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। |
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Latest revision as of 18:15, 22 January 2020
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| 00:00 | नवजात शिशु को नहलाने के तरीके के इस स्पोकन ट्यूटोरियल में आपका स्वागत है। |
| 00:06 | इस ट्यूटोरियल में हम सीखेंगे
मां या शिशु का ख्याल रखने वाले के लिए शिशु को नहलाने से पहले और नहलाने के दौरान की कुछ सुरक्षा टिप्पणियां |
| 00:15 | शिशु को पहली बार कब नहलाया जाए, गीले कपड़े से उसके शरीर को कैसे पोंछा जाए, |
| 00:20 | रोज का नहलाना, पारंपरिक तरीके से नहलाना, |
| 00:23 | पहाड़ों या ठंडे इलाकों के शिशुओं को नहलाना और क्रैडल कैप। |
| 00:32 | पहली बार जब हम मां-बाप बनते हैं तो हम सबको शिशु को नहलाने की चिंता रहती है। |
| 00:37 | शिशु को बहुत ध्यान से नहलाना चाहिए। |
| 00:42 | एक भी गलत कदम शिशु को हानि पहुंचा सकता है। |
| 00:46 | हम सबसे पहले शिशु को नहलाने से पहले की सुरक्षा टिप्पणियां जानेंगे - |
| 00:54 | जैसे कि ख़्याल रखने वाले के नाखून हमेशा कटे होने चाहिए और |
| 01:02 | उन्हें अंगूठी, चूड़ियां या घड़ी नहीं पहननी चाहिए |
| 01:07 | क्योंकि इनसे शिशु को चोट लग सकती है |
| 01:11 | तो शिशु को पहली बार कब नहलाना चाहिए? |
| 01:16 | प्रसव के 48 घंटों के बाद मां, शिशु का शरीर गीले कपड़े से पोंछ सकती है। |
| 01:22 | याद रखें जब तक गर्भनाल गिर ना जाए तब तक गीले कपड़े से ही शिशु का शरीर पोंछे। |
| 01:29 | गर्भनाल के गिरने के बाद मां या परिवार का सदस्य शिशु को रोज नहला सकता है। |
| 01:38 | पर अगर शिशु का जन्म से ही वजन कम हो तो जब तक वजन 2 किलो तक ना हो जाए तब तक गीले कपड़े से ही शरीर को पोंछे। |
| 01:49 | चलिए देखते हैं की गीले कपड़े से शिशु का शरीर कैसे पोंछा जाए। |
| 01:53 | शुरू करने से पहले याद से कमरे की सभी खिड़कियाँ बंद कर दें ताकि कमरा गरम रहे। |
| 02:00 | एक मुलायम साफ सूखा का कपड़ा तैयार रखें। |
| 02:07 | शिशु को एक सुरक्षित चपटी जगह पर रखें। |
| 02:12 | फ़र्श सबसे सुरक्षित जगह होती है। |
| 02:15 | शिशु को ऊंची जगह पर कभी ना रखें। |
| 02:19 | नहाने का पानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होना चाहिए। |
| 02:26 | पानी का तापमान मां को अपनी कोहनी से या कलाई से जांचना चाहिए। |
| 02:32 | और नहलाते हुए शरीर को साफ करने के लिए पहले साबुन का पानी इस्तेमाल करें। |
| 02:37 | साबुन का पानी बनाने के लिए हमेशा हल्का बिना खुशबू और रंग का साबुन या खास शिशु को नहलाने के लिए साबुन इस्तेमाल करें। |
| 02:45 | फिर साबुन उतारने के लिए साफ पानी ले। |
| 02:50 | अब छोटे मुलायम कपड़े को पानी में भिगोएँ और निचोड़े। |
| 02:56 | फिर शिशु की आंखें अंदर से बाहर की तरफ साफ करें। |
| 03:02 | पर उसी कपड़े से शरीर के बाकी भाग ना साफ करें। |
| 03:06 | एक अलग ताजे मुलायम साफ कपड़े से शरीर के बाकी भाग साफ करें। |
| 03:12 | शरीर के सिलवट पढ़ने वाले अंग जैसे बगलें, कान के पीछे। |
| 03:18 | गर्दन के आस-पास, हाथों और पैरों की उंगलियां और गुप्त अंग भी साफ करें। |
| 03:25 | अब हम बात करेंगे रोज़ के नहलाने की। |
| 03:31 | याद रखें स्वस्थ शिशु जिनका गर्भनाल गिर चुका है उन्हें रोज नहलाएं। |
| 03:39 | रोज के नहाने के लिए अगर आपको बड़ा टब इस्तेमाल करना हो तो उसके अंदर 2 इंच तक साबुन का पानी भरे। |
| 03:48 | इसे बनाने के लिए एक हल्का बिना रंग या खुशबू का साबुन ले |
| 03:58 | और एक अलग टब में ताजा पानी रखें |
| 04:03 | फिर कोहनी से दोनों टबों के पानी का तापमान देखें। |
| 04:09 | तापमान सही हो तो ध्यान से और धीरे से शिशु को साबुन के पानी वाले टब में रखें और हमेशा उसके सर को सहारा दे। |
| 04:22 | शिशु को टब में बैठने के बाद टब में पानी ना भरें। |
| 04:27 | सबसे पहले शिशु का सर एक बिना रंग और खुशबू वाले को साबुन या शैंपू से साफ करें। |
| 04:35 | फिर हल्के हाथ से ताजे पानी के साथ साबुन निकालें। |
| 04:39 | और फिर शरीर पर सिलवट पड़ने वाले अंग और गुप्त अंग भी साफ करें जहां सबसे ज्यादा मैल होती है। |
| 04:47 | आखिरकार हल्के से पूरे शरीर को ताजे पानी से धोएँ। |
| 04:53 | पर अगर मां को या शिशु के ख्याल रखने वाले को पारंपरिक तरीके से नहलाना हो तो फर्श पर बैठकर अपनी टांगों को खोलें
|
| 05:06 | फिर शिशु को टांगों पर रखें। |
| 05:09 | शिशु का सिर माँ के पैरों की तरफ और |
| 05:14 | शिशु के पैर मां के पेट की तरफ होने चाहिए। |
| 05:20 | अब शिशु नहलाने के लिए सही स्थिति में है। |
| 05:24 | नहलाने के बाद तुरंत शिशु को साफ, मुलायम तौलिये से पोंछे। |
| 05:30 | जैसे पहले बताया है शरीर के सिलवटें वाले भाग को भी पोंछे। |
| 05:35 | पाउडर ना लगाएं, खास शिशु वाला पाउडर भी नहीं। |
| 05:40 | पाउडर से नवजात शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। |
| 05:45 | आंखों में सुरमा और काजल भी ना लगाएं। |
| 05:49 | इससे शिशु के अंदर सीसे का जहर फैल सकता है और उसे इंफेक्शन भी हो सकता है। |
| 05:56 | अब देखेंगे पहाड़ों और ठंडे इलाकों में रहने वाले शिशुओं की देखरेख |
| 06:04 | इन्हें गर्भनाल ना गिरने तक रोज गीले कपड़े से ही पोंछें |
| 06:11 | पर शरीर सुखाने के बाद तुरंत माँ या ख्याल रखने वाले के नंगे शरीर के साथ बिना कपड़े पहने शिशु को रखें। |
| 06:20 | इससे शिशु के शरीर का तापमान कम होने से बचेगा। |
| 06:25 | याद रहे हफ्ते में दो ही बार शैम्पू करें। |
| 06:30 | नहीं तो सर पर खुश्की हो जाएगी। |
| 06:35 | कभी-कभी नवजात के सिर की चमड़ी, पपड़ी वाली धब्बे या मछली की चमड़ी जैसी हो सकती है। इसे क्रैडल कैप कहते हैं। |
| 06:45 | यह धब्बे लाल भी हो सकते हैं। |
| 06:50 | क्रैडल कैप की चिंता ना करें। |
| 06:54 | यह अपने आप ठीक हो जाएगा। इसे इलाज की जरूरत नहीं होती है। |
| 06:59 | खास, शिशु के सर पर लगाने वाला तेल इस पपड़ी को मुलायम कर सकता है। |
| 07:04 | पर पपड़ी पर थोड़ा ही तेल मले। |
| 07:09 | ज्यादा तेल से हालत खराब हो सकती है। |
| 07:12 | फिर 2 से 3 घंटे बाद हल्के शैंपू जिससे आंसू ना निकले उससे शिशु का सिर धोएँ |
| 07:20 | और 1 घंटे बाद हल्के से मुलायम कंघी से बाल बनाएं। |
| 07:27 | पपड़ी को कभी भी ना खींचे नहीं तो शिशु को चोट लग सकती है या फिर इंफेक्शन हो सकता है |
| 07:33 | शिशु को नहलाने के तरीका का यह स्पोकन ट्यूटोरियल यहीं समाप्त होता है। आईआईटी मुंबई से में बेला टोनी आपसे विदा लेती हूं हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। |